भारत में चल रहे वर्ल्ड टी20 के विजेता का फैसला होने में बस दो दिन बाकी हैं. ऐसे में सभी सोच रहे हैं कि इस टूर्नामेंट का खिताब कौन अपने नाम करेगा. कोई पिछले सेमीफाइनल को ध्यान में रखते हुए वेस्टइंडीज को जिता रहा है तो किसी को इंग्लैंड का साउथ अफ्रीका के खिलाफ 230 का रन चेज याद है.
इन सबके बीच एक बात ऐसी भी है जिस पर कम ही लोग ध्यान दे रहे हैं. वो बात यह है कि इन दोनों टीमों में से जो भी टीम इस फाइनल को जीतेगी वो दो बार टी20 वर्ल्ड कप जीतने वाली पहली टीम बन जाएगी.
दोनों टीमों ने दिखाया है दम
ये रिकॉर्ड अपने नाम करने से पहले इन दोनों टीमों ने गजब का खेल दिखाते हुए वर्ल्ड टी20 खिताब के दो प्रबल दावेदारों को पीटकर फाइनल में अपनी जगह बनाई है. दोनों टीमों का मजबूत पक्ष उनकी बैटिंग है और दोनों टीमों को ही वर्ल्ड टी20 शुरू होने से पहले दावेदार नहीं माना जा रहा था. बात यहीं पर नहीं खत्म होती, ये दोनों ही टीमें एक ही ग्रुप से सेमीफाइनल में पहुंची थीं और दूसरे ग्रुप की दोनों टीमों को पीटकर फाइनल में एंट्री ली. इससे पहले कि फाइनल मैच हो और आपको पता चले कि किसने इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज कराया, आइए आपको बताते हैं कि कैसे इन दोनों टीमों ने अपना पहला टी20 वर्ल्ड कप जीता था.
कंगारुओं को पीटकर जीते अंग्रेज
वेस्टइंडीज के बारबडोस में 2010 के टी20 वर्ल्ड कप का फाइनल खेला गया था. इस मैच में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के रूप में दो चिर प्रतिद्वंद्वी आमने-सामने थे. किसी ने सोचा भी नहीं था कि जिस कंगारू बैटिंग ऑर्डर में स्टीव स्मिथ जैसा बल्लेबाज आठवें नंबर पर बैटिंग कर रहा हो वो अपेक्षाकृत कमजोर इंग्लिश टीम से हार जाएगा.
बड़ा स्कोर नहीं बना पाए कंगारू
इस मैच में टॉस हारकर पहले बैटिंग करने आई ऑस्ट्रेलियाई टीम निर्धारित 20 ओवरों में 6 विकेट के नुकसान पर 147 रन ही बना पाई. ऑस्ट्रेलिया के लिए इस मैच में डेविड हसी ने अर्धशतक ठोंका जबकि कैमरन वाइट और माइकल क्लार्क ने भी अच्छी पारियां खेलीं. इंग्लैंड के लिए रेयान साइडबॉटम ने दो जबकि ग्रीम स्वान और ल्यूक राइट ने एक-एक विकेट लिया. जबकि डेविड वॉर्नर और डेविड हसी रनआउट हुए.
कीजवेटर बने थे जीत के हीरो
148 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरे अंग्रेजों ने महज 7 रनों पर अपना पहला विकेट खो दिया. माइकल लंब के आउट होने के बाद तीसरे नंबर पर आए केविन पीटरसन ने ओपनिंग कर रहे विकेटकीपर बल्लेबाज क्रेग कीजवेटर के साथ मिलकर दूसरे विकेट के लिए 111 रनों की साझेदारी कर डाली. इस साझेदारी ने मैच कंगारुओं की गिरफ्त से निकाल अंग्रेजों की तरफ झुका दिया. पॉल कॉलिंगवुड की कप्तानी में खेल रहे अंग्रेजों ने कंगारुओं के दिए लक्ष्य को मैच की अंतिम गेंद पर सिर्फ तीन विकेट खोकर हासिल कर लिया. क्रेग कीजवेटर को उनकी 49 गेंदों पर 63 रनों की पारी के लिए मैन ऑफ द मैच चुना गया.
विंडीज ने श्रीलंका को घर में पीटा
श्रीलंका की मेजबानी में खेले गए 2012 के वर्ल्ड कप का फाइनल मर्लन सैमुअल्स के जबरदस्त खेल के लिए याद किया जाता है. कोलंबो के आर. प्रेमदासा स्टेडियम में खेले गए इस मैच में वेस्टइंडीज के कप्तान डैरेन सैमी ने टॉस जीतकर पहले बैटिंग का फैसला किया. श्रीलंकाई गेंदबाजों ने सैमी के इस फैसले को गलत साबित करने की जोरदार कोशिश करते हुए पहले ही ओवर में ओपनर जॉनसन चार्ल्स को पैवेलियन वापस भेज दिया. एंजेलो मैथ्यूज के दिए इस झटके से कैरेबियन उबर नहीं पाए और छठें ओवर में जब अजंता मेंडिस ने क्रिस गेल को पगबाधा किया तो स्कोरबोर्ड पर सिर्फ 14 रन ही टंगे थे.
सैमुअल्स से हारी थी श्रीलंका
यहां से मर्लन सैमुअल्स ने जो बैटिंग की वो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई. सैमुअल्स ने इस मैच में 56 गेंदों पर 6 छक्कों और तीन चौकों की मदद से 78 रनों की पारी खेलकर अपनी टीम को 137 रनों के सम्मानजनक स्कोर पर पहुंचाया. ये लो स्कोरिंग मैच श्रीलंका के तेज गेंदबाज लसिथ मलिंगा के करियर के लिए बुरे सपने की तरह था. मलिंगा ने इस मैच में अपने चार ओवरों में 54 रन लुटाए. इतना ही नहीं उन्होंने इस मैच में पड़े कुल 7 छक्कों में से पांच अकेले खाए थे.
नहीं चले लंकाई बल्लेबाज
वेस्टइंडीज के बनाए 137 रनों के जवाब में खेलने उतरी श्रीलंकाई टीम 18.4 ओवरों में 101 रनों पर ही सिमट गई और ये मैच 36 रनों से गंवा दिया. इस मैच में श्रीलंका के लिए महेला जयवर्धने, कुमार संगकारा और नुवान कुलाशेखरा को छोड़कर कोई भी बल्लेबाज दहाई का आंकड़ा नहीं पार कर पाया. वेस्टइंडीज ने सुनील नरायण ने इस मैच में 3.4 ओवरों में सिर्फ 9 रन देकर तीन विकेट लेने के साथ ही एक रनआउट भी किया. नरायण के अलावा मर्लन सैमुअल्स ने भी अच्छी बॉलिंग करते हुए चार ओवरों में 15 रन देकर एक विकेट चटकाया. उन्हें मैन ऑफ द मैच भी चुना गया.
ईडन में बन के रहेगा इतिहास
इस तरह दोनों ही टीमों ने अपने से मजबूत टीमों को हराकर अपना पहला टी20 वर्ल्ड कप जीता था. अब देखने वाली बात यह होगी कि कौन सी टीम अपना ही कारनामा दोहराकर अपना नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज कराने में सफल होती है.