पूर्व भारतीय कप्तान कपिल देव ने मंगलवार को कहा कि युवराज सिंह को क्रिकेट के टेस्ट प्रारूप में खुद को स्थापित करने के लिये ज्यादा ध्यान लगाने की जरूरत है. युवराज ने कैंसर से पूरी तरह से उबरने के बाद अहमदाबाद में इंग्लैंड के खिलाफ पहला टेस्ट खेला था.
युवराज पर लिखी किताब ‘युवी’ के लांच के मौके पर कपिल ने कहा, ‘मैं उम्मीद करता हूं कि वह टेस्ट क्रिकेट में अच्छा खेले, जो उसका जुनून है. वनडे और टी-20 में देखें तो स्ट्रोक खेलने वाला दुनिया में उससे बेहतर कोई और खिलाड़ी नहीं है. लेकिन उसे टेस्ट क्रिकेट में खुद को स्थापित करने की जरूरत है. उसे इसके लिये ज्यादा ध्यान देना होगा.’
युवराज शुरुआती दिनों पूर्व राष्ट्रीय चयनकर्ता दिलीप वेंगसरकर की अकादमी में खेलते थे. वेंगसरकर ने कहा कि बायें हाथ के इस बल्लेबाज ने काफी टेस्ट मैच नहीं खेले हैं.
उन्होंने कहा, ‘इतने सालों में उसने काफी टेस्ट मैच नहीं खेले हैं, जिससे मुझे बहुत बुरा लगता है.’ कपिल की अगुवाई वाली 1983 विश्व कप विजेता टीम के सदस्य और पूर्व कप्तान ने कहा, ‘जब मैं चयनकर्ता बना था, तो मैंने सुनिश्चित किया था कि वह एक टेस्ट सीरीज खेले.’ वेंगसरकर ने कहा, ‘वह (युवराज) बैंगलोर में पाकिस्तान के खिलाफ खेला था, जिसमें उसने 169 रन बनाये थे. मैंने टेस्ट मैचों में जितनी पारियां देखीं, उसमें यह शानदार में से एक थी.’
उन्होंने कहा, ‘‘किन दुर्भाग्य से, वह ट्रेनिंग सत्र के दौरान चोटिल हो गया जिसके कारण वह एक साल तक नहीं खेल सका था. मुझे लगता है कि यह उसके लिये अच्छा नहीं हुआ क्योंकि वह इतना शानदार क्रिकेटर है. वह जिस तरह से शॉट लगाता है, उसे देखकर (वेस्टइंडीज के महान क्रिकेटर) गैरी सोबर्स को गर्व महसूस होता.’
युवराज के पिता योगराज सिंह भी इस मौके पर मौजूद थे. उन्होंने कहा कि पत्रकारों को युवराज को उसकी कैंसर से लड़ाई के बारे में याद नहीं दिलाना चाहिए. भावुक योगराज ने उस घटना का जिक्र किया, जिसमें युवराज ने उन्हें बताया था कि उन्हें कैंसर है.
उन्होंने कहा, ‘जब युवराज को कैंसर हुआ तो उसने मुझे इंग्लैंड से फोन किया कि उसकी तबीयत खराब है. मैंने उससे कहा कि तुम्हें कुछ नहीं होगा क्योंकि कहानी अभी पूरी नहीं हुई है और तुम्हें इसे पूरा करना होगा.’