मैंने टैरी वाल्श को रुकने के लिए एक महीने के वेतन की पेशकश की थी लेकिन वो 120 दिन के वैतनिक अवकाश की मांग कर रहे थे. अब वो खुद को शहीद और हॉकी इंडिया को खलनायक के रूप में पेश करना चाहता है. ये कहना है हॉकी इंडिया के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा का.
टैरी वाल्श ने भले ही भारतीय टीम की कोचिंग दोबारा करने की इच्छा जताई हो लेकिन हॉकी इंडिया ने स्पष्ट किया कि उसे अब इस ऑस्ट्रेलियाई कोच की सेवाओं की जरूरत नहीं है.
वाल्श ने महासंघ और भारतीय खेल प्राधिकरण के साथ मतभेद के बाद मुख्य कोच के पद से इस्तीफा दे दिया था. वाल्श ने हालांकि भारत लौटने की इच्छा जताई थी बशर्ते हाकी इंडिया तर्कसंगत हल निकालने की इच्छा दिखाए.
हॉकी इंडिया के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा ने साइ महानिदेशक जिजि थामसन को लिखे पत्र में कहा, ‘हॉकी इंडिया को अब टैरी वाल्श की सेवाओं की जरूरत नहीं है और साइ की स्वीकृति से नये मुख्य कोच की तलाश करेगा.’ बत्रा ने हाल में आरोप लगाए थे यह ऑस्ट्रेलियाई कोच अमेरिकी हॉकी टीम के साथ अपने कार्यकाल के दौरान वित्तीय अनियमितताओं में शामिल रहा था. बत्रा ने कहा कि वाल्श खुद को शहीद के रूप में पेश करने का प्रयास कर रहे हैं.
बत्रा ने लिखा, ‘मैंने हॉकी इंडिया की सीईओ और ओल्टमैंस की मौजूदगी में 19 नवंबर के बाद वाल्श को चैम्पियन्स ट्रॉफी (अमेरिकी हॉकी से जुड़े मामले का पता लगने से पहले) तक भारतीय टीम के साथ रुकने के लिए पूरे एक महीने के वेतन की पेशकश की थी और उन्होंने रुकने से इनकार कर दिया जब तक कि साइ ऑस्ट्रेलिया में 120 दिन के वैतनिक अवकाश की उनकी मांग पर राजी नहीं होता और उस समय उन्होंने भारतीय टीम के प्रति कोई भावना नहीं दिखाई. अब वह मीडिया के सामने खुद को शहीद और हॉकी इंडिया को खलनायक के रूप में पेश करना चाहता है.’ उन्होंने लिखा, ‘हम आपसे आग्रह करते हैं कि हमारे ईमेल को भारत में हॉकी के लिए टैरी वाल्श की पुन: नियुक्ति के लिए हॉकी इंडिया के नजरिये के रूप में माननीय खेल मंत्री के पास भेजा जाए.’