टी20 वर्ल्ड कप 2021 में भारतीय टीम का प्रदर्शन उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहा और वह सेमीफाइनल में भी नहीं पहुंच सकी. 8 नवंबर को नामीबिया के खिलाफ मुकाबले में जीत दर्ज कर टीम इंडिया ने टूर्नामेंट से विदाई ली थी. वह मुकाबला बतौर हेड कोच रवि शास्त्री का आखिरी मैच साबित हुआ.
रवि शास्त्री के कार्यकाल में भारत ने ऑस्ट्रेलियाई जमीं पर दो बार टेस्ट सीरीज पर कब्जा किया. इसके अलावा उनकी कोचिंग में टीम इंडिया इंडिया ने कई यादगार सफलताएं हासिल कीं. हालांकि शास्त्री के कोच रहते टीम इंडिया एक बार भी आईसीसी ट्रॉफी पर कब्जा नहीं कर पाई, जिसे लेकर काफी सवाल खड़े किए गए.
अब रवि शास्त्री ने आईसीसी टूर्नामेंट्स न जीत पाने को लेकर बड़ी बात कही है. शास्त्री का मानना है कि आईसीसी खिताब नहीं जीतने से निराशा जरूर हुई, लेकिन इसका अफसोस नहीं है. साथ ही, ऑस्ट्रेलिया में लगातार दो बार टेस्ट सीरीज जीतने को रवि शास्त्री अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं.
रवि शास्त्री ने इंडिया टुडे से कहा, 'कोई पछतावा नहीं, जिस तरह से मेरी और मेरे टीम की पांच सालों से अधिक की यात्रा रही है. हमने इस दौरान कुछ ज्यादा ही हासिल किया. ऑस्ट्रेलिया में जीतना काफी बड़ी उपलब्धि रही, इसे आप दूर नहीं ले जा सकते. ऑस्ट्रेलिया में लगभग 70 वर्षों के बाद लगातार दो जीत, यह कुछ ऐसा है जो अकल्पनीय था. यह इसे बेहद खास बनाता है. और निश्चित रूप से, इंग्लैंड में सीरीज में बढ़त हासिल करना भी खास रहा.'
आईसीसी टूर्नामेंट नहीं जीत पाने को लेकर शास्त्री ने कहा, 'यह एक निराशा है, अफसोस नहीं. अगर एक नहीं, तो शायद हम दो टूर्नामेंट जीत सकते थे, लेकिन ऐसी चीजें होती हैं. सफेद गेंद वाले क्रिकेट में चीजें बहुत जल्दी बदल जाती हैं. यदि आप अच्छी शुरुआत नहीं करते हैं तो बहुत जल्द पीछे हो सकते हैं, जैसा इस वर्ल्ड कप में हुआ.'
NZ के खिलाफ हार को लेकर कही ये बात
मौजुदा वर्ल्ड कप में न्यूजीलैंड के खिलाफ हार को लेकर शास्त्री ने कहा, 'मुझे लगता है कि पाकिस्तान के खिलाफ हमने बोर्ड पर रन टांगें थे, लेकिन न्यूजीलैंड के खिलाफ हम उतने बहादुर नहीं थे. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमने जज्बा नहीं दिखाया, यह एक दिन के लिए गायब नहीं हो सकता. पिछले पांच छह वर्षों में इस चीज ने भारतीय टीम को सभी प्रारूपों में शानदार खेल दिखाने वाली महान टीमों में से एक बना दिया है.'
शास्त्री ने बताया, 'हम उतने बहादुर नहीं थे और यह तब हो सकता है जब आप मानसिक रूप से थके हुए हों. जब आप देखते हैं कि इन लड़कों ने बायो-बबल में कितना समय बिताया है, तो ऐसी चीजें सकती हैं जैसा न्यूजीलैंड के खिलाफ हुआ. मैं अपना हाथ खड़ा करते हुए कहूंगा कि हम उस दिन न्यूजीलैंड के खिलाफ उतने साहसी नहीं थे.'
गौरतलब है कि रवि शास्त्री पहली बार टीम इंडिया के साथ बतौर डायरेक्टर 2014 में जुड़े थे. उनका कार्यकाल टी20 वर्ल्ड कप 2016 तक था. इसके बाद अनिल कुंबले को एक साल के लिए कोच बनाया गया. 2017 में भारतीय टीम के चैम्पियन्स ट्रॉफी के फाइनल में हार के बाद रवि शास्त्री को फुल टाइम कोच नियुक्त किया गया. अब शास्त्री की विदाई के बाद राहुल द्रविड़ के कंधों पर भारतीय टीम को आगे ले जाने की जिम्मेदारी है.