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T20 World Cup: ऐसा-कैसा वर्ल्डकप? खेल नहीं टॉस ने तय किए विजेता, ICC इवेंट्स पर उठे गंभीर सवाल

टी-20 वर्ल्डकप 2021 में टॉस सबसे बड़ा किंग साबित हुआ. ग्रुप मैच से लेकर नॉकआउट के मुकाबलों में टॉस ही सबकुछ तय करता दिखा. ऐसे में कई पूर्व क्रिकेटर्स ने आईसीसी के इस बड़े इवेंट पर सवाल खड़े किए.

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T20 WC Final: Aus Vs Nz
T20 WC Final: Aus Vs Nz
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ऑस्ट्रेलिया बना टी-20 वर्ल्डकप का चैम्पियन
  • टूर्नामेंट में टॉस जीतने वाली टीम को हुआ फायदा

T20 World Cup: करीब एक महीने चला टी-20 वर्ल्डकप खत्म हो गया है, 16 टीमों के बीच चली जंग में ऑस्ट्रेलिया सबसे बड़ा चैम्पियन बनकर निकला है. रविवार को फाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया ने न्यूजीलैंड को 8 विकेट से हराकर बड़ी जीत हासिल की और पहली बार टी-20 वर्ल्डकप को अपने नाम किया. ये टूर्नामेंट खत्म हो गया है, लेकिन इसी के साथ एक सबसे बड़ा सवाल छोड़ गया है. 

क्योंकि टूर्नामेंट की शुरुआत से लेकर फाइनल मुकाबले तक जो ट्रेंड देखने को मिला, वो सिर्फ यही था कि अगर आपने टॉस जीत लिया है तो मैच आपके नाम हो ही जाएगा. सेमीफाइनल, फाइनल में तो इसका बड़ा असर देखने को मिला, लेकिन सुपर-12 राउंड मैच के दौरान भी ऐसा ही हुआ. ऐसे में गंभीर सवाल खड़े होने लगे हैं. 

टॉस जीतो, बॉलिंग करो और जीत पक्की?

टी-20 वर्ल्डकप 2021 के 45 मैच में 30 मैच उस टीम ने जीते हैं, जिसने टॉस जीता है. ऐसे में 60 आधे से अधिक मैच में टॉस ही सबसे बड़ा किंग साबित हुआ. जिस स्टेडियम में फाइनल खेला गया, यानी दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम की बात करें तो इस टूर्नामेंट में कुल 13 मैच खेले गए और 11 मैच टॉस जीतने वाली टीम ने जीते हैं. सिर्फ 2 ही मैच टॉस हारने वाली टीम जीत पाई है. 

दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में खेले गए 13 मैच में 12 मैच उस टीम ने जीते है, जिन्होंने पहले बॉलिंग की है. ऐसा ही कुछ फाइनल मुकाबले में भी देखने को मिला, ऑस्ट्रेलियाई कप्तान एरोन फिंच ने टॉस जीता और बॉलिंग चुन ली, अंत में जीत ऑस्ट्रेलिया की ही हुई. यही वजह थी कि फाइनल से पहले हर एक्सपर्ट बोल रहा था कि मैच से ज्यादा टॉस की अहमियत होगी. 

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आईसीसी के इवेंट्स से उम्मीद की जाती है कि हर टीम को बराबर का मौका मिलेगा. जो द्विपक्षीय सीरीज़ में नहीं हो पाता है, क्योंकि वहां पिच, मौसम और माहौल का फायदा मिलता है. लेकिन आईसीसी इवेंट्स में हर टीम को फायदा मिले तो सही है. लेकिन इस टी-20 वर्ल्डकप में ऐसा कम ही होता दिखा, टॉस भले ही किसी के हाथ में ना हो लेकिन टॉस जीतकर मैच जीतना भी सुनिश्चित हो जाना, ऐसे में पिच और अन्य चीज़ों को ध्यान में रखना भी ज़रूरी था. 


सेमीफाइनल और फाइनल मुकाबले का एक जैसा हाल...

सुपर-12 राउंड से अलग अगर नॉक-आउट मुकाबलों को देखें तो टॉस यहां पर भी किंग साबित हुआ था. पहला सेमीफाइनल न्यूजीलैंड और इंग्लैंड के बीच खेला गया. अबुधाबी में हुए इस मैच में न्यूजीलैंड ने टॉस जीतकर बॉलिंग का फैसला लिया था, अंत में न्यूजीलैंड की जीत हुई और इंग्लैंड का वर्ल्डकप जीतने का सपना टूट गया. 

सेमीफाइनल-2 में ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान की जंग हुई थी. दुबई में हुए इस मैच में भी ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीता, बॉलिंग चुनी और पाकिस्तान को हरा दिया. जो पाकिस्तान पूरे टूर्नामेंट में एक भी मैच नहीं हारी, वो सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया से मात खाकर वर्ल्डकप से बाहर हुई. 

सेमीफाइनल के टोटके ने फाइनल की राह आसान कर दी, ऑस्ट्रेलियाई कप्तान एरोन फिंच ने भी यहां टॉस जीता पहले बॉलिंग चुनी और मानो तभी वर्ल्डकप अपने नाम कर लिया. फाइनल में ओस का फैक्टर ना होने के बाद भी बाद में बल्लेबाजी करने वाली टीम को कोई परेशानी नहीं हुई. 

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सुनील गावस्कर ने भी खड़े किए सवाल

वर्ल्डकप जैसे बड़े टूर्नामेंट में जब सबकुछ टॉस से ही तय हुआ तो पूर्व क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने भी सवाल खड़े किए. सुनील गावस्कर ने कहा कि कमेंट्री के दौरान आज बात हो रही थी कि ओस का कोई फैक्टर नहीं था, लेकिन पुराने सारे मैच में टॉस अहम साबित हुआ है. 

पूर्व क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने कहा कि आईसीसी को इस ओर ध्यान देना होगा कि ऐसे बड़े टूर्नामेंट में खेल बराबरी का हो. बता दें कि सुनील गावस्कर से पहले रवि शास्त्री, भरत अरुण ने भी भारत के मैच के दौरान टॉस और पहले बल्लेबाजी के दौरान आ रही दिक्कतों की बात की थी.

बता दें कि अगर टीम इंडिया के पांच मैच की बात करें तो भारत ने शुरुआती दो मैच गंवाए थे, दोनों ही जगह विराट कोहली टॉस हारे थे. सिर्फ अफगानिस्तान के खिलाफ एक ऐसा मैच था, जहां टीम इंडिया ने टॉस हारने के बाद भी मैच जीता. वरना स्कॉटलैंड, नामीबिया के खिलाफ भी टॉस जीतकर इंडिया ने मैच जीते.  

 

 

 


 

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