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Future Of Indian Tennis: ग्रैंड स्लैम में कब खुलेगा भारत का खाता? अकेले संघर्ष कर रहे 44 साल के बोपन्ना... टेनिस की नई पीढ़ी बेदम

ऑस्ट्रेलियन ओपन 2025 में भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा. देखा जाए तो अब तक भारत का कोई भी टेनिस खिलाड़ी ग्रैंड स्लैम सिंगल्स टाइटल नहीं जीत सका. मगर, डबल्स स्पर्धाओं में भारतीय खिलाड़ियों को कामयाबियां हासिल हुई हैं.

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Rohan Bopanna (File Photo)
Rohan Bopanna (File Photo)

साल के पहले ग्रैंड स्लैम ऑस्ट्रेलियन ओपन में भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा. सिंगल्स (महिला/पुरुष) में भारत की इकलौती उम्मीद सुमित नागल थे, जो पहले ही राउंड में हारकर बाहर हो गए. वहीं मेन्स डबल्स में रोहन बोपन्ना, युकी भांबरी, एन. श्रीराम बालाजी और रित्विक चौधरी बोलीपल्ली का प्रदर्शन निराशाजनक रहा. जबकि मिक्स्ड डबल्स में रोहन बोपन्ना और झांग शुआई (चीन) की जोड़ी क्वार्टर फाइनल में हार गई.

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ऑस्ट्रेलियन ओपन 2025 में भारतीय खिलाड़ियों के निराशाजनक प्रदर्शन के चलते फैन्स की उम्मीदें तो टूटी हीं, साथ ही कुछ सवाल भी छोड़ गई... टेनिस में भारत का भविष्य क्या? ग्रैंड स्लैम के सिंगल्स इवेंट में भारत का खाता कब खुलेगा? अब भारतीय टेनिस को उसका अगला सुपरस्टार कब मिलेगा?

इतिहास पलटकर देखा जाए तो भारत का कोई भी खिलाड़ी ग्रैंड स्लैम सिंगल्स टाइटल नहीं जीत सका है. मगर, बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि भारतीय खिलाड़ी ग्रैंड स्लैम के सिंगल्स सेमीफाइनल/क्वार्टर फाइनल में पहुंच चुके हैं. रामनाथन कृष्णन ने लगातार दो बार विम्बलडन (1960 और 1961) में मेन्स सिंगल्स के सेमीफाइनल में जगह बनाई थी. 1961 के विम्बलडन में तो रामनाथन ने क्वार्टर फाइनल में 12 बार के ग्रैंड स्लैम एकल चैम्पियन रॉय एमर्सन को शिकस्त दी थी.

उधर विजय अमृतराज कुल मिलाकर चार बार ग्रैंड स्लैम में सिंगल्स क्वार्टर फाइनल में पहुंचे. उन्होंने ये कारनामा विम्बलडन (1973 और 1981) और यूएस ओपन (1973 और 1974) में किया. इसके अलावा रामनाथन कृष्णन के बेटे रमेश कृष्णन ने एक बार विम्बलडन (1986) और दो बार यूएस ओपन (1981 और 1987) के क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई थी.

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ramnathan krishnan and vijay amritraj
रामनाथन कृष्णन और विजय अमृतराज, फोटो (Getty Images)

सिंगल्स के उलट मेन्स डबल्स, मिक्स्ड डबल्स और वुमेन्स डबल्स में भारतीय खिलाड़ी कुछ साल पहले तक नियमित तौर पर ग्रैंड स्लैम चैम्पियन बनते रहे. लेकिन अब डबल्स में भी भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन में निरंतरता नहीं रही. आखिरी बार साल 2024 में रोहन बोपन्ना ने मैथ्यू एब्डेन के साथ मिलकर ऑस्ट्रेलियन ओपन में मेन्स डबल्स खिताब जीता था. 44 साल के बोपन्ना से इस बार भी धांसू खेल की उम्मीद थी, लेकिन करियर के इस पड़ाव पर उनसे ज्यादा उम्मीद रखना सही नहीं होगा.

देखा जाए तो भारतीय टेनिस खिलाड़ियों ने 1997-2024 के दौरान कुल 31 ग्रैंड स्लैम खिताब जीते. इनमें 18 मिक्स्ड डबल्स, 10 मेन्स डबल्स और 3 वुमेन्स डबल्स खिताब हैं. ये सभी खिताब सिर्फ चार खिलाड़ियों लिएंडर पेस, महेश भूपति, रोहन बोपन्ना और सानिया मिर्जा ने दिलाए. इन खिलाड़ियों ने कभी आपस में तो कभी विदेशी खिलाड़ियों के साथ मिलकर ये टाइटल जीते.

इंडियन एक्सप्रेस के नाम से मशहूर रही लिएंडर पेस और महेश भूपति की जोड़ी अपने टेनिस करियर पर विराम लगा चुकी है. वहीं, रोहन बोपन्ना भी अपने करियर के आखिरी छोर पर खड़े हैं. ऐसे में भारतीय फैन्स की निगाहें युवा खिलाड़ियों पर जाना लाजिमी है. इन खिलाड़ियों में सुमित नागल, रामकुमार रामनाथन, मुकुंद शशिकुमार और कारन सिंह शामिल हैं.

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हालांकि इनमें से सिर्फ सुमित नागल ही ऑस्ट्रेलियन ओपन 2025 के मेन्स सिंगल्स में जगह बना पाए. वैसे भी पुरुष सिंगल्स के टॉप-100 खिलाड़ियों में सिर्फ नागल ही इकलौते भारतीय हैं. नागल को छोड़ दें तो पुरुष सिंगल्स रैंकिंग में टॉप-300 में एक भी भारतीय नहीं है. मुकुंद शशिकुमार 367वें, रामकुमार रामनाथन 405वें और कारन सिंह 476वें स्थान पर हैं. सिंगल्स को तो छोड़ दीजिए, डबल्स में भी युवा खिलाड़ी कुछ खास नहीं कर पा रहे हैं.

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सुमित नागल, फोटो: (Getty Images)

महिलाओं की बात करें, तो सानिया मिर्जा ने टेनिस की दुनिया में अपनी पहचान बनाई थी. लेकिन उनके रिटायरमेंट के बाद भारतीय टेनिस में और सूनापन आ गया. 32 साल की अंकिता रैना से भारत को काफी उम्मीदें थीं, लेकिन उनका परफॉर्मेंस कुछ खास नहीं रहा. अंकिता वूमेन्स सिंगल्स रैंकिंग में फिलहाल 286वें नंबर पर हैं और वो सबसे हाई रैंक भारतीय प्लेयर हैं. सहजा यमलापल्ली, श्रीवल्ली भामिदिपती, ऋतुजा भोसले और वैदेही चौधरी भी उम्मीदों पर खरी नहीं उतर सकी हैं.

सीनियर लेवल पर तो भारतीय टेनिस की हालत दयनीय हो ही चुकी है, जूनियर लेवल पर भी स्थिति कुछ खास नहीं है. बॉयज कैटेगरी में क्रिश त्यागी (31वें), आरपी सेंथिल कुमार (37वें) और हितेश चौहान (85वें) फिलहाल टॉप-100 में हैं. जबकि गर्ल्स कैटेगरी में माया राजेश्वरन रेवती (56वें) ही टॉप-100 में मौजूद इकलौती भारतीय हैं.

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फैन्स को उम्मीद है कि आने वाले समय में भारतीय टेनिस एक बार फिर से अपना खोया गौरव हासिल करेगा. लेकिन इसके लिए युवा खिलाड़ियों एवं बच्चों में इस खेल के प्रति जागरूकता पैदा करनी होगी...

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