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भारत की गोल्फर अदिति अशोक ने अपने हैरतअंगेज प्रदर्शन से पदक की आस जगा दी है. टोक्यो ओलंपिक में भारत के खाते में एक और मेडल आ सकता है. अदिति महिलाओं के व्यक्तिगत स्ट्रोक प्ले के तीसरे दौर के बाद दूसरे स्थान पर हैं. अब शनिवार (7 अगस्त) का इंतजार है. चौथा और अंतिम दौर भारतीय समयानुसार तड़के 3ः00 बजे शुरू होगा.
23 साल की अदिति के पास गोल्ड मेडल जीतने का बेहतरीन मौका है. अगर खराब मौसम के कारण शनिवार को चौथा और फाइनल राउंड नहीं होता है, तो अदिति को सिल्वर मेडल मिल सकता है. वहीं, अगर फाइनल राउंड पूरा होता है. तो वह गोल्ड मेडल जीतने की प्रबल दावेदार होंगी.
गोल्फ में आएगा गोल्ड! अगर ऐसा हुआ तो अदिति अशोक की झोली में होगा पदक
ओलंपिक में गोल्फ का पदार्पण 1900 के पेरिस खेलों में हुआ था. यह खेल ओलंपिक के अगले संस्करण का भी हिस्सा रहा. लेकिन इसके बाद ओलंपिक में यह खेल नहीं दिखा. आखिरकार 112 वर्षों के बाद 2016 के रियो ओलंपिक में गोल्फ की वापसी हुई. रियो में शिव चौरसिया, अनिर्बान लाहिड़ी और अदिति अशोक ने ओलंपिक डेब्यू किया. टोक्यो ओलंपिक में अदिति के अलावा तीन और गोल्फरों (अनिर्बान लाहिड़ी, उदयन माने और दीक्षा डागर) को मौका मिला.
ऐसे शुरू हुआ अदिति का 'गोल्फ सफर'
मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मीं (29 मार्च 1998- बेंगलुरु में) गोल्फर अदिति अशोक ने महज 5 साल की उम्र में गोल्फ खेलना शुरू किया था, लेकिन तब बेंगलुरु में सिर्फ तीन गोल्फ कोर्स थे. बेटी के गोल्फ सीखने की जिद के बाद अदिति के पिता उन्हें कर्नाटक गोल्फ एसोसिएशन ड्राइविंग रेंज ले जाने लगे. अदिति ने गोल्फ को ही अपना करियर बना लिया.
अदिति पहली बार महज 13 साल की उम्र में तब सुर्खियों में आईं, जब उन्होंने 2011 में बेंगलुरु में खेली गई इंडियन ओपन प्रो चैम्पियनशिप में भारत की जानी-मानी गोल्फर स्मृति 'सिमी' मेहरा को पराजित किया. फिर अदिति ने 2013 में एशियन यूथ खेल और 2014 में हुए यूथ ओलंपिक खेल में भारत का प्रतिनिधित्व किया.
... लगातार जुड़ती गईं उपलब्धियां
इसके बाद 17 साल की उम्र में अदिति अशोक ने मोरक्को में हुए लल्ला आइचा टूर स्कूल (Lalla Aicha Tour School) जीता. इस जीत के साथ वह क्वालिफाइंग स्कूल जीतने वाली पहली भारतीय और सबसे कम उम्र की गोल्फर बन गईं.
2016 में अदिति ने 3-अंडर 213 के स्कोर के साथ हीरो महिला इंडियन ओपन का खिताब जीता. इसके साथ ही वह लेडीज यूरोपियन टाइटल (LET) जीतने वाली पहली भारतीय गोल्फर बन गईं. इसके दो हफ्ते बाद उन्होंने कतर लेडीज ओपन में अपनी दूसरी जीत हासिल की और उस सीजन के ऑर्डर ऑफ मेरिट में दूसरा स्थान हासिल किया.
इस शानदार प्रदर्शन के चलते उन्होंने 2016 का रूकी ऑफ द ईयर का पुरस्कार जीता. साथ ही अदिति क्वालिफाइंग टूर्नामेंट के जरिए 2017 सीजन के लिए एलपीजीए टूर कार्ड भी प्राप्त किया. 2017 में अदिति भारत की पहली एलपीजीए (Ladies Professional Golf Association) खिलाड़ी बनीं और लुईस सुग्स रोलेक्स रूकी ऑफ द ईयर स्टैंडिंग में उन्होंने 8वां स्थान प्राप्त किया. अदिति को 2020 में अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया.
टोक्यो में मां हैं अदिति की कैडी
अदिति के पिता का अपनी बेटी की सफलता में बड़ा हाथ रहा है. 2016 के रियो ओलंपिक में अशोक गुडलामणि अपनी बेटी के कैडी बनकर गए थे. जिसका मतलब यह था कि अशोक रियो में अपनी बेटी का बैग गोल्फ कोर्स में उठाया करते थे. वहीं, अब टोक्यो ओलंपिक में अदिति की मां माहेश्वरी अशोक अपनी बेटी की कैडी बनकर गई हैं.
टोक्यो का सफर: अदिति अशोक ने क्वालिफाइंग सूची में 45वां स्थान हासिल कर टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया था. इससे पहले अदिति ने रियो ओलंपिक में भी महज 18 साल की उम्र में भारत का प्रतिनिधित्व किया. इसके साथ ही वह ओलंपिक में भाग लेने वाली पहली भारतीय महिला गोल्फर बन गई थीं. हालांकि रियो में उनका प्रदर्शन उतना प्रभावशाली नहीं रहा था और वह 41वें स्थान पर रही थीं.