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टोक्यो ओलंपिक: कुश्ती में दिखेगा भारत का दम, पदक के लिए ये पहलवान झोंकेंगे ताकत

टोक्यो में 23 जुलाई से शुरू होने वाले ओलंपिक खेलों में भारत के 7 पहलवान अपना दम दिखाएंगे. इनमें से सभी अपने वजन वर्ग में पदक के दावेदार हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट और सोनम मलिक (महिला 62 किग्रा) को प्रबल दावेदार माना जा रहा है.

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Bajrang Punia, Vinesh phogat and Sonam Malik.
Bajrang Punia, Vinesh phogat and Sonam Malik.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ओलंपिक खेलों में भारत के 7 पहलवान अपना दम दिखाएंगे
  • इनमें से सभी अपने वजन वर्ग में पदक के दावेदार हैं

टोक्यो में 23 जुलाई से शुरू होने वाले ओलंपिक खेलों में भारत के 7 पहलवान अपना दम दिखाएंगे. इनमें से सभी अपने वजन वर्ग में पदक के दावेदार हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे बजरंग पूनिया (पुरुष फ्रीस्टाइल 65 किग्रा), विनेश फोगाट (महिला 53 किग्रा) और सोनम मलिक (महिला 62 किग्रा) को प्रबल दावेदार माना जा रहा है.

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भारत ने ओलंपिक में हॉकी (कुल 11 पदक) के बाद सर्वाधिक पदक कुश्ती में हासिल किए हैं. कुश्ती में अब तक भारत ने एक रजत और चार कांस्य पदक सहित कुल 5 पदक हासिल किए हैं. इनमें सुशील कुमार का एक रजत और एक कांस्य पदक भी शामिल है. 

इन तीनों के अलावा कुश्ती में जो अन्य भारतीय अपनी दावेदारी पेश करेंगे उनमें सीमा बिस्ला (महिला 50 किग्रा), अंशु मलिक (महिला 57 किग्रा), रवि कुमार दहिया (पुरुष फ्रीस्टाइल 57 किग्रा) और दीपक पूनिया (पुरुष फ्रीस्टाइल, 86 किग्रा) शामिल हैं.

इस तरह से भारत के तीन पुरुष और चार महिला पहलवान टोक्यो में अपनी चुनौती पेश करेंगे. ग्रीको रोमन में कोई भी भारतीय पहलवान ओलंपिक के लिए क्वालिफाई नहीं कर पाया था. टोक्यो में कुश्ती के मुकाबले एक अगस्त से शुरू होंगे. विनेश का मुकाबला 5 अगस्त और बजरंग का इसके एक दिन बाद होगा.

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ओलंपिक में ऐसा है इतिहास

भारत ने पहली बार एंटवर्प ओलंपिक खेल 1920 में दो पहलवानों को उतारा था. इसके बाद 1924, 1928, 1932 और 1976 के ओलंपिक खेल ही ऐसे रहे जिनमें भारत ने कुश्ती में हिस्सा नहीं लिया. पहलवान रणधीर सिंह 1920 में भारत को पहला ओलंपिक पदक दिलाने के बेहद करीब पहुंच गए थे, लेकिन आखिर में यह श्रेय खाशाबा दादासाहेब जाधव को मिला था. भारतीय कुश्ती के इतिहास में 23 जुलाई 1952 का दिन विशेष स्थान रखता है, क्योंकि इसी दिन जाधव ने हेलंसिकी ओलंपिक में बैंटमवेट में कांस्य पदक जीता था.

महाराष्ट्र के गोलेश्वर में 15 नवंबर 1926 को जन्मे जाधव ने पहले राउंड में कनाडा के एड्रियन पोलिक्विन पर 14 मिनट 25 सेकेंड तक चले मुकाबले में जीत दर्ज की और अगले राउंड में मैक्सिको के लियांड्रो बासुर्तो को केवल पांच मिनट 20 सेकेंड में धूल चटाई. वह जर्मनी फर्डिनेंड श्मिज को 2-1 से हराकर फाइनल राउंड में पहुंचे थे. तब चोटी के तीन पहलवानों के बीच राउंड रॉबिन आधार पर मुकाबले होते थे. जाधव फाइनल राउंड में सोवियत संघ के राशिद मम्मादबेयोव और जापान के सोहाची इशी से हार गए थे.

सुशील के खाते में दो पदक 

इसके 56 साल बाद बीजिंग ओलंपिक 2008 में सुशील ने कुश्ती में भारत को पदक दिलाया. सुशील क्वालिफाईंग राउंड में बाई मिलने के बाद वह अंतिम सोलह के राउंड में यूक्रेन के एंड्री स्टाडनिक से हार गए थे. भाग्य ने सुशील का साथ दिया स्टाडनिक के फाइनल में पहुंचने से भारतीय पहलवान को रेपचेज में भिड़ने का मौका मिल गया. सुशील ने कुछ घंटों के अंदर तीन कुश्तियां जीतकर पदक अपने नाम किया था.

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सुशील ने रेपचेज के पहले राउंड में अमेरिका के डग श्वाब को, दूसरे राउंड में बेलारूस के अल्बर्ट बाटिरोव को और फाइनल राउंड में कजाखस्तान के लियोनिड स्पिरडोनोव को हराकर कांस्य पदक जीता था.

सुशील ने इसके बाद लंदन ओलंपिक में रजत पदक तो योगेश्वर दत्त ने कांस्य पदक हासिल किया. सुशील ने क्वार्टर फाइनल में उज्बेकिस्तान के इख्तियोर नवरूजोव को 3-1 से हराकर पहली बार ओलंपिक सेमीफाइनल में प्रवेश किया और फिर कजाखस्तान के अखजुरेक तनातारोव 6-3 से हराया. सुशील फाइनल में हालांकि जापान के तात्सुहिरो योनेमित्सु से 0-1, 1-3 से हार गए.

इससे एक दिन पहले योगेश्वर ने 60 किग्रा में कांस्य पदक जीता था. वह हालांकि रूस के बेसिक कुदखोव से हार गए. रूसी पहलवान फाइनल में पहुंच गया. योगेश्वर को रेपचेज का मौका मिला और उन्होंने प्यूर्तोरिका के फ्रैंकलिन गोमेज और ईरान के मसूद इस्माइलपुवर को हराने के बाद फाइनल राउंड में उत्तर कोरिया के रि जोंग म्योंग को पस्त करके कांस्य पदक जीता.

आखिरी पदक साक्षी ने दिलाया

रियो ओलंपिक 2016 में साक्षी मलिक भी महिलाओं के 58 किग्रा में क्वार्टर फाइनल में वेलारिया कोबलोवा से हार गईं. रूसी पहलवान फाइनल में पहुंच गईं और फिर साक्षी ने रेपचेज में ओरखोन पुरेवदोर्ज और कजाखस्तान की एसुलू तिनिवेकोवा को हराया और ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनीं.

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