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टोक्यो में जारी ओलंपिक (Tokyo Olympics) में आज हिन्दुस्तान के पास इतिहास रचने का मौका है. महिला हॉकी टीम (Indian Women Hockey Team) की सेमीफाइनल में अर्जेंटीना के साथ भिड़ंत जारी है. भारत की ओर से पहले क्वार्टर में ही पहला गोल दाग कर बढ़त बनाई गई.
भारत की बेटियों के सामने आज इतिहास रचकर पहली बार ओलंपिक के फाइनल में पहुंचने का चांस है. पूरे देश की नज़रें आज टोक्यो में टीम इंडिया पर टिकी हैं और सवा अरब लोगों की दुआएं देश की बेटियों के साथ हैं.
भारत की बेटियां रचेंगी इतिहास
क्वार्टर फाइनल मुकाबले में भारतीय टीम ने सबसे बड़ा उलटफेर करते हुए ऑस्ट्रेलिया को मात दी और सेमीफाइनल में जगह बनाई. सेमीफाइनल में पहुंचते ही महिला हॉकी टीम ने इतिहास रच दिया, लेकिन अब जब सेमीफाइनल में अर्जेंटीना से भिड़ंत है तो सोने पर सुहागा पाने का मौका है. क्योंकि अगर टीम इंडिया फाइनल में पहुंचती है, तो ऐसा पहली बार होगा कि महिला हॉकी टीम के खाते में ओलंपिक का गोल्ड या सिल्वर मेडल होगा.
भारत की ये 16 बेटियां रच रही हैं इतिहास
1. रानी रामपाल: टीम इंडिया की कप्तान रानी रामपाल हरियाणा के शाहबाद से आती हैं. 26 साल की रानी फॉरवर्ड पॉजिशन पर खेलती हैं और देश की उम्मीदों का भार उनपर ही टिका है. एक दशक से ज्यादा से हॉकी खेल रही रानी जूनियर वर्ल्ड कप, एशियन कप में अपना जलवा दिखा चुकी हैं. क्लिक कर पढ़ें कहानी...
2. नेहा गोयल: हरियाणा के सोनीपत की रहने वाली नेहा मिडफील्डर पॉजिशन पर खेलती हैं. 24 साल की नेहा ने कभी साइकिल फैक्ट्री में काम किया है और अब उनके पास देश के लिए सोना जीतने का मौका है. क्लिक कर पढ़ें स्टोरी...
3. निक्की प्रधान: 27 साल की निक्की झारखंड के हेसल से आती हैं और टीम के महत्वपूर्ण डिफेंडर में से एक हैं. निक्की इससे पहले रियो ओलंपिक में भी हिस्सा ले चुकी हैं. निक्की की कहानी पढ़ें...
4. निशा वारसी: हरियाणा के सोनीपत की निशा भारतीय टीम की मिडफिल्डर हैं, जिन्होंने दो साल पहले ही डेब्यू किया था. 2018 में टीम में शामिल होने के बाद से ही निशा टीम की महत्वपूर्ण खिलाड़ी हैं. निशा के बारे में जानें...
5. लालरेमसियामी: मिजोरम की रहने वालीं लालरेमसियामी सिर्फ 21 साल की उम्र में देश की उम्मीदों का भार उठा रही हैं. फॉरवर्ड पॉजिशन पर खेलने वालीं लालरेमसियामी शुरुआत में सिर्फ साइन भाषा में बात करती थीं, क्योंकि जब वो टीम में आईं तो उन्हें हिन्दी और अंग्रेज़ी नहीं आती थी. लालरेमसियामी अपने राज्य से ओलंपिक खेलने वाली पहली प्लेयर हैं. क्लिक करें...
6. सुशीला चानू: मणिपुर के इम्फाल से आने वाली टीम इंडिया की मिडफिल्डर सुशीला टीम की सबसे सीनियर प्लेयर में से एक हैं. सुशीला टीम की कप्तान भी रह चुकी हैं और रियो ओलंपिक में उन्होंने टीम की अगुवाई की थी. क्लिक कर पढ़ें सुशीला की कहानी...
7. दीप एक्का: ओडिशा से आने वालीं दीप 27 साल की हैं और टीम इंडिया में डिफेंडर की भूमिका में हैं. एक्का पहले गोलकीपर बनना चाहती थीं, लेकिन बाद में उन्होंने डिफेंडर की भूमिका चुनी. दीप का ये दूसरा ओलंपिक है. क्लिक कर दीप के बारे में जानें...
8. सलीमा तेते: झारखंड की सलीमा भारतीय टीम में मिडफिल्डर हैं. नक्सली इलाके से आने वालीं सलीमा की शुरुआत काफी मुश्किल भरी रही, खेत में काम कर पैसा कमाने के बाद वह हॉकी स्टिक जीत पाई थीं. सलीमा के बारे में और पढ़ें...
9. उदिता दुहान: हरियाणा के हिसार की उदिता जो टीम में डिफेंडर की भूमिका में हैं, हर किसी की निगाहें उन्हीं पर टिकी हैं. उन्होंने पहले अपने पिता की तरह हैंडबॉल खेलने से शुरुआत की और बाद में हॉकी की ओर आईं. उदिता के बारे में जानें...
10. वंदना कटारिया: उत्तर प्रदेश की वंदना ने इस ओलंपिक में शानदार गेम खेला है. वंदना की हैट्रिक के दम पर ही टीम यहां तक पहुंची है. फॉरवर्ड पॉजिशन पर खेलने वाली वंदना पर देश की निगाहे हैं. वंदना की कहानी पढ़ें...
11. नवनीत कौर: हॉकी के गढ़ शाहबाद से आने वाली नवनीत उन खिलाड़ियों में शामिल हैं, जिन्होंने रियो ओलंपिक में हिस्सा लिया था. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मुकाबले में नवनीत ने शानदार खेल दिखाया था. नवनीत कौर की कहानी पढ़ें...
12. मोनिका मलिक: हरियाणा से ही आने वालीं मोनिका टीम इंडिया की मिडफील्डर हैं. मोनिका के पिता चंडीगढ़ पुलिस में ASI हैं. मोनू के नाम से मशहूर मोनिका टीम इंडिया की ओर से एशियन गेम्स में खेल चुकी हैं. मोनिका के बारे में जानें...
13. गुरजीत कौर: पंजाब के अमृतसर से आने वालीं गुरजीत ने ही ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक मात्र गोल किया था, जिसने सेमीफाइनल की टिकट पक्की की. कभी कबड्डी खेलने वाली गुरजीत ने हॉस्टल के दिनों में हॉकी स्टिक थामी थी. क्लिक कर आगे पढ़ें...
14. शर्मिला देवी: फॉरवर्ड पॉजिशन पर खेलने वालीं 19 साल की शर्मिला ने 2019 में अपना डेब्यू किया था. अमेरिका को हराने में शर्मिला की अहम भूमिका रही थी, तभी से वो हर किसी की नज़रों में हैं. शर्मिला के बारे में जानें..
15. नवजोत कौर: कुरुक्षेत्र की नवजोत के पिता मैकेनिक थे, लेकिन उनकी बेटी अब टोक्यो ओलंपिक में अपने देश का नाम रोशन कर रही है. मिडफिल्डर के तौर पर खेलने वाली नवजोत रियो ओलंपिक में खेल चुकी हैं. नवजोत के बारे में पढ़ें...
16. सविता पूनिया: टीम इंडिया की दीवार सविता को देश में कौन नहीं जानता. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 9 पेनाल्टी कॉर्नर को जिस तरह सविता ने बचाया. उससे वो देश में हीरो बन गई. हरियाणा की रहने वालीं सविता टीम इंडिया की वाइस कैप्टन हैं. सविता की कहानी पढ़ें...
टोक्यो 2020 में कैसा रहा महिला टीम का सफर...
इस ओलंपिक में भारत की टीम की शुरुआत काफी अच्छी नहीं हो पाई थी. पहले मैच में नीदरलैंड्स ने टीम इंडिया को 501 से मात दी, फिर जर्मनी ने 2-0 से टीम इंडिया को हराया. ग्रेट ब्रिटेन ने टीम इंडिया को 4-1 पटकनी दी. लेकिन इसके बाद टीम इंडिया की किस्मत पलट गई.
पहले महिला हॉकी टीम ने आयरलैंड को 1-0 से मात दी और उसके बाद आयरलैंड अपने एक अन्य मैच में हार गई. इसी की वजह से भारतीय टीम की एंट्री क्वार्टरफाइनल में हुई. लेकिन क्वार्टरफाइनल में टॉप रैंकिंग वाली टीम ऑस्ट्रेलिया को भारत की बेटियों ने हरा दिया. भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 1-0 से मात दी और दुनिया को चौंका दिया.