आखिरकार भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने 41 साल का इंतजार खत्म किया. टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर टीम इंडिया ने इतिहास रचा. मेजर ध्यानचंद से लेकर मनप्रीत सिंह तक ओलंपिक में भारतीय पुरुष हॉकी टीम का अब तक का सफर इस प्रकार है.
1928 एम्सटर्डम : ब्रिटिश हुकूमत वाली भारतीय टीम ने फाइनल में नीदरलैंड को 3-2 से हराकर पहली बार ओलंपिक में हॉकी का स्वर्ण पदक जीता. भारतीय हॉकी को ध्यानचंद के रूप में नया सितारा मिला जिन्होंने 14 गोल दागे.
1932 लॉस एंजेलिस: टूर्नामेंट में सिर्फ तीन टीमें भारत, अमेरिका और जापान थी. भारतीय टीम 42 दिन का समुद्री सफर तय करके पहुंची और दोनों टीमों को हराकर खिताब जीता.
1936 बर्लिन: ध्यानचंद की कप्तानी वाली भारतीय टीम ने मेजबान जर्मनी को 8-1 से हराकर लगातार तीसरी बार खिताब जीता.
1948 लंदन : आजाद भारत का पहला ओलंपिक खिताब. जिसने दुनिया के खेल मानचित्र पर भारत को पहचान दिलाई. ब्रिटेन को 4-0 से हराकर भारतीय टीम लगातार चौथी बार ओलंपिक चैम्पियन बनी और बलबीर सिंह सीनियर के रूप में हॉकी को एक नया नायक मिला.
1952 हेलसिंकी : मेजबान नीदरलैंड को हराकर भारत फिर चैम्पियन बना. भारत के 13 में से नौ गोल बलबीर सिंह सीनियर के नाम जिन्होंने फाइनल में सर्वाधिक गोल करने का रिकॉर्ड भी बनाया.
1956 मेलबर्न : पाकिस्तान को फाइनल में एक गोल से हराकर भारत ने लगातार छठी बार ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर अपना दबदबा कायम रखा.
1960 रोम : फाइनल में एक बार फिर चिर प्रतिद्वंद्वी भारत और पाकिस्तान आमने सामने हुए. इस बार पाकिस्तान ने एक गोल से जीतकर भारत के अश्वमेधी अभियान पर नकेल कसी.
1964 टोक्यो: पेनल्टी कॉर्नर पर मोहिंदर लाल के गोल की मदद से भारत ने पाकिस्तान को हराकर एक बार फिर ओलंपिक स्वर्ण जीता.
1968 मैक्सिको : ओलंपिक के अपने इतिहास में भारत पहली बार फाइनल में जगह नहीं बना सका. सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हार मिली.
1972 म्यूनिख: भारत सेमीफाइनल में पाकिस्तान से हारा लेकिन प्लेआफ में नीदरलैंड को 2-1 से हराकर कांस्य पदक जीता.
1976 मॉन्ट्रियल: फील्ड हॉकी में पहली बार एस्ट्रो टर्फ का इस्तेमाल हुआ. भारत ग्रुप चरण में दूसरे स्थान पर रहा और 58 साल में पहली बार पदक की दौड़ से बाहर हुआ. टीम सातवें स्थान पर रही.
1980 मॉस्को: नौ टीमों के बहिष्कार के बाद ओलंपिक में सिर्फ छह हॉकी टीमें थीं. भारत ने स्पेन को 4-3 से हराकर स्वर्ण पदक जीता, जो उसका आठवां और अब तक का आखिरी स्वर्ण था.
1984 लॉस एंजेलिस: बारह टीमों में भारत पांचवें स्थान पर रहा.
1988 सियोल : परगट सिंह की अगुआई वाली भारतीय टीम का औसत प्रदर्शन रहा. पाकिस्तान से क्लासिफिकेशन मैच हारकर टीम छठे स्थान पर रही.
1992 बार्सिलोना: भारत को सिर्फ दो मैचों में अर्जेंटीना और मिस्र के खिलाफ जीत मिली. टीम सातवें स्थान पर रही.
1996 अटलांटा: भारत के प्रदर्शन का ग्राफ लगातार गिरता रहा. इस बार आठवें स्थान पर.
2000 सिडनी : एक बार फिर क्लासिफिकेशन मैच तक खिसका भारत सातवें स्थान पर रहा.
2004 एथेंस: धनराज पिल्लै का चौथा ओलंपिक था. भारत ग्रुप चरण में चौथे और कुल सातवें स्थान पर रहा.
2008 बीजिंग : भारतीय हॉकी के इतिहास का सबसे काला पन्ना. चिली के सैंटियागो में क्वालिफायर में ब्रिटेन से हारकर भारतीय टीम 88 साल में पहली बार ओलंपिक के लिये क्वालिफाई नहीं कर सकी.
2012 लंदन : भारतीय हॉकी टीम एक भी मैच नहीं जीत सकी. ओलंपिक में पहली बार बारहवें और आखिरी स्थान पर.
2016 रियो : भारतीय टीम क्वार्टर फाइनल में पहुंची, लेकिन बेल्जियम से हारी. आठवें स्थान पर रही.
2020 टोक्यो : तीन बार की चैम्पियन जर्मनी को 5-4 से हराकर भारत ने 41 साल बाद ओलंपिक में पदक जीता. मनप्रीत सिंह की कप्तानी में भारतीय टीम ने इतिहास रचा.