कुवैत के अब्दुल्ला अलरशीदी ने टोक्यो ओलंपिक निशानेबाजी में कांस्य पदक जीतकर दुनिया को दिखा दिया कि उनके लिए उम्र महज एक आंकड़ा है. उम्र के जिस पड़ाव पर लोग अक्सर ‘रिटायर्ड ’ जिदंगी की योजनाएं बनाने में मसरूफ होते हैं, इस निशानेबाज ने यह हैरतअंगेज कारनामा किया है.
7 बार के ओलंपियन ने सोमवार को पुरुषों की स्कीट स्पर्धा में कांस्य पदक जीता. यही नहीं पदक जीतने के बाद उन्होंने 2024 में पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पर निशाना लगाने का भी वादा किया, जब वह 60 पार हो चुके होंगे.
उन्होंने असाका निशानेबाजी रेंज पर ओलंपिक सूचना सेवा से कहा, ‘मैं 58 साल का हूं. सबसे बूढ़ा निशानेबाज और यह कांस्य मेरे लिए सोने से कम नहीं. मैं इस पदक से बहुत खुश हूं, लेकिन उम्मीद है कि अगले ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतूंगा. पेरिस में.’
उन्होंने कहा, ‘मैं बदकिस्मत हूं कि स्वर्ण नहीं जीत सका, लेकिन कांस्य से भी खुश हूं. ईंशाअल्लाह अगले ओलंपिक में, पेरिस में 2024 में स्वर्ण पदक जीतूंगा. मैं उस समय 61 साल का हो जाऊंगा और स्कीट के साथ ट्रैप में भी उतरूंगा.’
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अलरशीदी ने पहली बार 1996 अटलांटा ओलंपिक में भाग लिया था. उन्होंने रियो ओलंपिक 2016 में भी कांस्य पदक जीता था, लेकिन उस समय स्वतंत्र खिलाड़ी के तौर पर उतरे थे. कुवैत पर अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने प्रतिबंध लगा रखा था. उस समय अल रशीदी आर्सन्ल फुटबॉल क्लब की जर्सी पहनकर आए थे.
कुवैत के लिए खेलते हुए पदक जीतने के बारे में उन्होंने कहा, ‘रियो में पदक से मैं खुश था, लेकिन कुवैत का ध्वज नहीं होने से दुखी था. आप समारोह देखो, मेरा सर झुका हुआ था. मुझे ओलंपिक ध्वज नहीं देखना था. यहां मैं खुश हूं, क्योंकि मेरे मुल्क का झंडा यहां है.’