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Paralympics: 'गोल्डन गर्ल' अवनि बोलीं- ऐसा लग रहा है... जैसे दुनिया में शीर्ष पर हूं

अवनि लखेरा को 2012 में एक कार दुर्घटना में घायल होने के कारण व्हील चेयर का सहारा लेना पड़ा, लेकिन सोमवार को पैरालंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनने के बाद उन्हें लगता है कि जैसे कि वह दुनिया में शीर्ष पर हैं.

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Avani Lekhara (Twitter)
Avani Lekhara (Twitter)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पैरालंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं
  • यह भारत का इन खेलों की निशानेबाजी प्रतियोगिता में भी पहला पदक है

अवनि लखेरा को 2012 में एक कार दुर्घटना में घायल होने के कारण व्हील चेयर का सहारा लेना पड़ा, लेकिन सोमवार को पैरालंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनने के बाद उन्हें लगता है कि जैसे कि वह दुनिया में शीर्ष पर हैं. अवनि ने एक बार में केवल एक शॉट पर ध्यान दिया और महिलाओं की आर-2 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग एसएच1 में पहला स्थान हासिल करके स्वर्ण पदक जीता.

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उन्होंने कहा, ‘मैं अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर सकती. मुझे ऐसा लग रहा है जैसे कि मैं दुनिया में शीर्ष पर हूं. इसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता.’ जयपुर की रहने वाली यह 19 साल की निशानेबाज पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गई हैं. उनकी रीढ़ की हड्डी में 2012 में कार दुर्घटना में चोट लग गई थी. उन्होंने 249.6 अंक बनाकर विश्व रिकॉर्ड की बराबरी की. यह पैरालंपिक खेलों का नया रिकॉर्ड है.

फाइनल में शांतचित्त होकर अपने काम को अंजाम देने वाली अवनि ने कहा, ‘मैं स्वयं से यही कह रही थी कि मुझे एक बार केवल एक शॉट पर ध्यान देना है. अभी बाकी कुछ मायने नहीं रखता. केवल एक शॉट पर ध्यान दो.’ उन्होंने कहा, ‘मैं केवल अपने खेल पर ध्यान दे रही थी. मैं स्कोर या पदक के बारे में नहीं सोच रही थी.’

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यह भारत का इन खेलों की निशानेबाजी प्रतियोगिता में भी पहला पदक है. टोक्यो पैरालंपिक में भी यह देश का पहला स्वर्ण पदक है. अवनि पैरालंपिक खेलों में पदक जीतने वाली तीसरी भारतीय महिला हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं बहुत खुश हूं कि मैंने अपना योगदान दिया. उम्मीद है कि आगे हम और पदक जीतेंगे.’

छह साल पहले निशानेबाजी में उतरने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और इस खेल का पूरा लुत्फ उठाया. उन्होंने कहा, ‘जब मैं राइफल उठाती हूं तो मुझे उसमें अपनापन लगता है. मुझे उसके प्रति जुड़ाव महसूस होता है. निशानेबाजी में आपको एकाग्रता और निरंतरता बनाए रखनी होती है और यह मुझे पसंद है.’

अवनि ने निशानेबाजी से जुड़ने के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘वह 2015 की गर्मियों की छुट्टियों की बात है, जब मेरे पिताजी मुझे निशानेबाजी रेंज में ले गए थे. मैंने कुछ शॉट लिये और वे सही निशाने पर लगे. मैंने इसे एक शौक के रूप में शुरू किया था और आज मैं यहां हूं.’

अवनि मिश्रित 10 मीटर एयर राइफल प्रोन एसएच1, महिलाओं की 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन एसएच1 और मिश्रित 50 मीटर राइफल प्रोन में भी हिस्सा लेंगी.

एसएच1 राइफल वर्ग में वे निशानेबाज शामिल होते हैं जो हाथों से बंदूक थाम सकते हैं, लेकिन उनके पांवों में विकार होता है. इनमें से कुछ एथलीट व्हील चेयर पर बैठकर, जबकि कुछ खड़े होकर प्रतिस्पर्धा में भाग लेते हैं.

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