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आसान नहीं था रवि दहिया का छत्रसाल से ओलंपिक में सिल्वर लाने तक का सफर, पिता की मेहनत लाई रंग

टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारतीय पहलवान रवि कुमार दहिया (Ravi Dahiya) फाइनल के कड़े मुकाबले में ROC के पहलवान जावुर युगुऐव से हार गए हैं. इसके साथ ही रवि दहिया को सिल्वर मेडल के साथ संतोष करना होगा.

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भारतीय पहलवान रवि कुमार दहिया
भारतीय पहलवान रवि कुमार दहिया
स्टोरी हाइलाइट्स
  • रवि दहिया फाइनल में ROC के पहलवान से हार गए
  • रवि दहिया ने ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीता

टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारतीय पहलवान रवि कुमार दहिया (Ravi Dahiya) फाइनल के कड़े मुकाबले में ROC के पहलवान जावुर युगुऐव से हार गए हैं. इसके साथ ही रवि दहिया को सिल्वर मेडल (ravi kumar dahiya wins silver medal) के साथ संतोष करना होगा. वह कुश्ती में भारत के लिए व्यक्तिगत सिल्वर मेडल जीतने वाले दूसरे भारतीय पहलवान बन गए हैं. रवि दहिया के लिए दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम से ओलंपिक तक का सफर आसान नहीं था. इसके पीछे उनके पिता की बहुत मेहनत छिपी है.

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रवि दहिया का जन्म 1997 में हरियाणा के सोनीपत जिले के नहरी गांव में हुआ था. उनके पिता एक भूमिहीन किसान थे, जो बटाई की जमीन पर खेती किया करते थे. 10 साल की उम्र से ही रवि ने दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में ट्रेनिंग शुरू कर दी थी. उन्होंने 1982 के एशियन गेम्स में गोल्ड जीतने वाले सतपाल सिंह से ट्रेनिंग ली है.

रवि दहिया के पिता राकेश चाहते थे कि बेटा पहलवान बने. आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने अपने बेटे की ट्रेनिंग में कोई कमी नहीं आने दी. पिता राकेश हर रोज अपने गांव से छत्रसाल स्टेडियम तक की 40 किलोमीटर की दूरी तय कर रवि तक दूध और फल पहुंचाते थे.

बेटे रवि को किसी बात की कमी ना हो इसके लिए पिता दिन रात मेहनत करते हैं. काम इतना होता है कि वह रवि का 2019 में वर्ल्ड चैम्पियनशिप का मैच भी नहीं देख पाए थे. तब रवि ने कांस्य पदक जीता था. 

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चोट ने भी किया परेशान, लेकिन नहीं मानी हार

रवि का सबसे पहला कमाल 2015 जूनियर वर्ल्ड रेसलिंग चैम्पियनशिप में देखने को मिला. तब उन्होंने 55 किलो कैटेगरी में सिल्वर मेडल जीता, लेकिन सेमीफाइनल में उन्हें चोट लग गई थी. फिर 2017 के सीनियर नेशनल्स में चोट ने उन्हें फिर परेशान किया. इस कारण उन्हें कुछ समय मैट से दूर रहना पड़ा.

रवि को पूरी तरह से ठीक होने में करीब एक साल लग गया था. फिर वापसी करते हुए रवि ने बुखारेस्ट में 2018 वर्ल्ड अंडर 23 रेसलिंग चैम्पियनशिप में 57 किलो कैटेगरी में सिल्वर पर कब्जा जमाया.

उन्होंने 2019 के वर्ल्ड चैम्पियनशिप के सिलेक्शन ट्रायल में सीनियर रेसलर उत्कर्ष काले और ओलंपियन संदीप तोमर को हराया. 2020 भी रवि के लिए अच्छा रहा. कोरोना से पहले मार्च में दिल्ली में हुई एशियन रेसलिंग चैम्पियनशिप में उन्होंने गोल्ड जीता था.

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