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भारतीय हॉकी के लिए किसी वरदान से कम नहीं टोक्यो की जमीन, आज फिर दोहराया इतिहास

हॉकी के लिए टोक्यो की जमीन किसी वरदान से कम नहीं हैं. टोक्यो की जमीन साल 1964 में भारतीय हॉकी के इतिहास का गवाह बनी, तो आज इसने एक बार फिर भारतीय हॉकी को अपनी जमीन पर इतिहास दोहराते देखा है.

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भारतीय हॉकी
भारतीय हॉकी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • भारतीय हॉकी के लिए वरदान है टोक्यो की धरती
  • टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारत ने जमर्नी को हरा जीता ब्रॉन्ज

हॉकी के लिए टोक्यो की जमीन किसी वरदान से कम नहीं हैं. टोक्यो की जमीन साल 1964 में भारतीय हॉकी के इतिहास का गवाह बनी, तो आज इसने एक बार फिर भारतीय हॉकी को अपनी जमीन पर इतिहास दोहराते देखा है.  यह बदलते हिंदुस्तान की हॉकी है. यह सुनहरे भविष्य की शुरुआत है. यह आगाज है उस बादशाहत को पाने का जो वक्त के साथ कहीं खो गई थी. जर्मनी के खिलाफ मुकाबले में वापसी सिर्फ मैच में नहीं थी, बल्कि यह कदम हॉकी स्वर्णिम युग की ओर था. दो जीरो से जर्मनी से पिछड़ने के बाद शानदार अंदाज में भारतीय धुरंधरों ने वापसी की.

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आखिर ऐसा क्या मैजिक है टोक्यो की फिजाओं में, इसके लिए लेकर चलते हैं साल 1960 के रोम ओलंपिक में, जहां फाइनल में हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच मुकाबला था. पाकिस्तान ने भारत को हराकर हॉकी में बादशाहत छीन ली. रोम ओलंपिक में भारत को सिल्वर से संतुष्ट होना पड़ा. साल 1928 के बाद यह पहला मौका था जब भारत हॉकी में गोल्ड मैडल नहीं जीता और लगातार 7वां गोल्ड जीतने का सपना टूट गया.

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लेकिन फिर आई टोक्यो ओलंपिक की बारी जहां फाइनल मुकाबले में एक बार फिर हिंदुस्तान और पाकिस्तान आमने सामने थे. भारत घायल शेर की तरह मैदान पर उतरा. पाकिस्तान को 1-0 से मात देकर 7वीं बार ओलंपिक में गोल्ड पर कब्जा किया और उस हार का बदला लिया जो उसे रोम ओलंपिक में मिली थी. 

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यह हिंदुस्तान की आखिरी सबसे ताकतवर टीम थी क्योंकि हिंदुस्तान ने आखिरी बार हॉकी में गोल्ड 1980 के मॉस्को ओलंपिक में जीता था लेकिन यह ओलंपिक विवादों में रहा था. पूरब और पश्चिम की जंग में कई टीमों ने ओलंपिक में हिस्सा नहीं लिया था. अफगानिस्तान में रूस की आक्रमणकारी नीतियों का दुनिया के कई देश विरोध कर रहे थे. इन देशों में अमेरिका, जापान और पश्चिमी जर्मनी जैसे देश शामिल थे. 

अब एक बार फिर भारत ने टोक्यो में हॉकी मेडल का सूखा खत्म किया है, जहां से इन सूरमाओं को हॉकी की उस गोल्डन दुनिया में टीम को ले जाना है जहां हिंदुस्तान की तूती बोलती थी.

(आजतक ब्यूरो)

 

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