भारत की टेबल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा ने टोक्यो ओलंपिक में निराशजनक प्रदर्शन किया. टेबल टेनिस में पदक की उम्मीद मानी जा रही मनिका बत्रा महिला एकल के तीसरे दौर तक ही पहुंच पाईं. मैच के दौरान मनिका बत्रा को कोच की कमी साफ खलती दिखी. दरअसल, मनिका के निजी कोच सन्मय परांजपे को उनके मुकाबले के दौरान स्टेडियम में आने की अनुमति नहीं मिली थी. इसके विरोध में उन्होंने राष्ट्रीय कोच सौम्यदीप रॉय की सेवाएं लेने से इनकार कर दिया था.
मनिका का ये फैसला उनको महंगा पड़ा सकता है. उनके खिलाफ कार्रवाई होनी तय मानी जा रही है. टेबल टेनिस फेडरेशन ऑफ इंडिया (टीटीएफआई ) ने मनिका बत्रा के टोक्यो ओलंपिक में अपने मैचों के दौरान राष्ट्रीय कोच सौम्यदीप रॉय की मदद नहीं लेने के फैसले को 'अनुशासनहीनता का कार्य' बताया है. उन्होंने कहा कि जब कार्यकारी बोर्ड की बैठक होगी तो उन्हें (मनिका बत्रा) निश्चित रूप से कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा. बोर्ड की ये बैठक अगले महीने की शुरुआत में हो सकती है.
सौम्यदीप रॉय 2006 राष्ट्रमंडल खेलों की टीम स्पर्धा के स्वर्ण पदक विजेता हैं. उन्हें अर्जुन पुरस्कार भी मिल चुका है. टोक्यो जाने वाली 4 सदस्यीय टीम के वह एकमात्र कोच थे.
मनिका अपने निजी कोच सन्मय परांजपे को टोक्यो ले गई थीं, लेकिन उन्हें केवल उनके साथ प्रशिक्षण की अनुमति दी गई थी. टीटीएफआई के महासचिव अरुण कुमार बनर्जी ने टोक्यो से पीटीआई को बताया, 'यह निश्चित रूप से अनुशासनहीनता का कार्य है. उसे अन्य खिलाड़ियों की तरह अपने मैचों के दौरान राष्ट्रीय कोच को कोच कॉर्नर में बैठने देना चाहिए था. रॉय भारत के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से एक हैं और अब एक प्रतिष्ठित कोच हैं.'
उन्होंने आगे कहा कि कार्यकारी बोर्ड जल्द ही बैठक करेगा और इस अनुशासनहीनता के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई पर फैसला करेगा. संयोग से टोक्यो में शुरुआती दौर में हारने वाले जी साथियान ने भी मनिका की तरह अपने निजी कोच के साथ प्रशिक्षण लेना चुना. हालांकि कोच रॉय को साथियान के दूसरे दौर के मुकाबले के दौरान स्टेडियम में देखा गया था.
टोक्यो ओलंपिक में टेबल टेनिस में भारत का अभियान मंगलवार को समाप्त हो गया जब अनुभवी शरत कमल राउंड ऑफ 32 के मुकाबले में चीन के मौजूदा चैम्पियन मा लोंग के खिलाफ लड़ते हुए हार गए.
मनिका ने क्या कहा था
तीसरे दौर में हार के बाद मनिका ने कोच विवाद पर चुप्पी तोड़ी थी. मनिका ने कहा, 'सबको को कोई न कोई चाहिए होता है पीछे से सपोर्ट करने के लिए. मैं जिसके साथ खेल रही थी, उसके पीछे भी कोच था. ओलंपिक के इतने बड़े इवेंट में इस स्टेज पर मानसिक रूप से मजबूत रखने और सलाह देने के लिए कोच का रहना जरूरी होता है. मैंने कोच को अनुमति देने के लिए पहले अनुरोध किया था. मैं इसके लिए किसी को दोष नहीं दे रही.'
मनिका ने कहा, 'अगर होता (कोच) तो अच्छा रहता. जैसे भारत की ओर से सिर्फ सुतीर्था (भारत की ही दूसरी टेबल टेनिस खिलाड़ी) के पास उनका अपना कोच था. वो चीज बहुत काम आती है कि मैच में आप जा रहे हो और पीछे कोई सलाह दे रहा है. ठीक है, मैं मानसिक रूप से मजबूत हूं और मैंने अपना बेस्ट दिया.'