भारत की स्टार बॉक्सर लवलीना ने टोक्यो ओलंपिक में ब्रॉन्ज जीत सभी का दिल जीत लिया. उनका खेल अद्भुत रहा और उनके जज्बे की सभी ने खूब तारीफ की. लेकिन जब लवलीना ने आजतक के 'जय हो' कार्यक्रम में शिरकत की, उन्होंने कहा कि मैं नहीं बदलूंगी... लेकिन मेडल का रंग बदलता रहेगा, जानिए क्यों?
मेडल जीतना बहुत जरूरी- लवलीना
लवलीना मानती हैं कि हर खिलाड़ी का सपना होता है कि ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड लाना है. वहीं, उनकी नजरों में देश भी आपको सिर्फ तभी याद रखता है जब आप मेडल जीतते हैं. अगर मेडल नहीं आएगा तो कोई आपको याद नहीं रखेगा. ऐसे में लवलीना यही मानती हैं कि वे तो समय के साथ नहीं बदलेंगी, लेकिन उनके मेडल का रंग जरूर बदलता रहेगा. उन्होंने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि अब उनकी निगाहें सिर्फ और सिर्फ गोल्ड पर हैं. वे इस ब्रॉन्ज को सीधे गोल्ड में तब्दील करना चाहती हैं.
स्टार बॉक्सर ने ये भी बताया कि उन्हें बॉक्सिंग करने में मजा आता है. वे जब भी रिंग में जाती हैं उन्हें कभी डर नहीं लगता. वे अपने प्रतिद्वंद्वी को कमतर नहीं आकंती हैं, लेकिन उनसे डरती भी नहीं हैं. उनका सिंपल फंडा है- रिंग में जाकर अपना बेस्ट देना है. अब ऐसा ही टोक्यो ओलंपिक में उन्होंने किया और देश के लिए ब्रॉन्ज मेडल जीत लिया.
लवलीना का संघर्ष
लेकिन ये मेडल जीतना उनके लिए आसान नहीं था. लवलीना बताती हैं कि जब उन्होंने बॉक्सिंग शुरू की तब काफी संघर्ष करना पड़ा था. कई मौकों पर लड़कियों संग तो प्रैक्टिस करने का भी मौका नहीं मिलता था, ऐसे में वे लड़कों संग ही बॉक्सिंग करती थीं. वे बताती हैं कि उन्होंने पुणे में आर्मी के जवानों संग भी प्रैक्टिस की है. कई बार उनके घूसे भी खाए हैं. ऐसे में ब्रॉन्ज मेडल तक पहुंचने का सफर भी संघर्षपूर्ण रहा है.
लवलीना ने अंत में यही कहा कि वे अभी भी संतुष्ट नहीं हैं. उनका सपना तो सिर्फ और सिर्फ गोल्ड है और वे उसी के लिए अब मेहनत करने जा रही हैं. अभी कुछ दिन परिवार के साथ समय बिताने के बाद वे फिर प्रैक्टिस में लग जाएंगी और एक नए सफर की शुरुआत करेंगी. 69 किलो वेल्टरवेट कैटेगरी के सेमीफाइनल में लवलीना को तुर्की की वर्ल्ड नंबर-1 मुक्केबाज बुसेनाज सुरमेनेली ने 5-0 से शिकस्त दी, जिससे उन्हें कांस्य से संतोष करना पड़ा.