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Jai Ho: क्या सिल्वर की जगह गोल्ड जीतते रवि दहिया? कोच ने बताई रेफरी की गलती

टोक्यो ओलंपिक के पदकवीरों के सम्मान में आयोजित आजतक के खास कार्यक्रम 'जय हो' में स्टार रेसलर रवि दहिया शामिल हुए. रजत पदक विजेता दहिया ने अपने सफर के बारे में तो बात की ही, फाइनल मैच में मिली हार पर भी अपना अनुभव साझा किया.

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रवि दहिया
रवि दहिया
स्टोरी हाइलाइट्स
  • आजतक के खास कार्यक्रम 'जय हो' में स्टार रेसलर रवि दहिया
  • रवि ने बताया, प्रतिद्वंद्वी को थकाना उनकी सबसे बड़ी ताकत

टोक्यो ओलंपिक के पदकवीरों के सम्मान में आयोजित आजतक के खास कार्यक्रम 'जय हो' में स्टार रेसलर रवि दहिया शामिल हुए. रजत पदक विजेता दहिया ने अपने सफर के बारे में तो बात की ही, फाइनल मैच में मिली हार पर भी अपना अनुभव साझा किया. एक तरफ रवि ने खेल भावना पर फोकस किया, तो वहीं उनके कोच सतपाल ने रेफरी की गलती बताई.

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सिल्वर नहीं, गोल्ड जीतते रवि?

रवि दहिया के कोच ने जोर देकर कहा कि फाइनल मैच में रेफरी द्वारा कई गलितियां हुई थीं. अगर वो गलतियां नहीं होतीं और रवि को समय रहते कुछ और प्वाइंट मिले होते तो ये मैच उनके नाम हो जाता. गुरु सतपाल बताते हैं कि रवि को आरओसी के जाउर उगुएव के खिलाफ तीन प्वाइंट और मिलने चाहिए थे. अगर वो प्वाइंट रेफरी दे देते तो फाइनल में मुकाबला टाई हो जाता. महाबली सतपाल ने ये भी कहा कि उन्होंने खुद और कई दूसरे कोच ने उस आखिरी मुकाबले को कई बार देखा था. कई मौकों पर रीप्ले करके भी देखा गया. सभी को यही लगा कि रेफरी से कुछ गलतियां हुई हैं. जहां प्वाइंट मिलने चाहिए थे, वहां भी नहीं दिए गए.

रवि दहिया की सबसे बड़ी ताकत?

खुद रवि दहिया ने बताया कि उनकी सबसे बड़ी ताकत ही ये है कि वे अपने विरोधी को थका देते हैं. उनके मुताबिक शुरुआत में प्रतिद्वंद्वी को अपनी ताकत लगाने दो. उसके बाद जब वो थक जाएगा, तब वे अपना गेम शुरू करेंगे और उस मैच को अपने नाम कर लेंगे. लेकिन फाइनल मुकाबले में जाउर उगुएव ने मैच के बीच में ब्रेक लिया था. काफी समय जाया किया गया. अगर ऐसा नहीं होता तो रवि उस मैच में जबरदस्त वापसी कर लेते और शायद सिल्वर की जगह गोल्ड अपने नाम करते.

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Jai Ho: विरोधी पहलवान ने आपको काटा क्यों..? रवि दहिया बोले- वो भी देश के लिए लड़ रहा था, दोस्त है मेरा 

रवि बताते हैं कि उन्होंने हमेशा से ही गोल्ड का सपना देखा था. वे देश के लिए सिर्फ गोल्ड ही लाना चाहते थे. ऐसा नहीं था कि वे एक मेडल अपने नाम कर संतुष्ट हो गए थे. उन्हें फाइनल में भी जीत चाहिए थी. लेकिन अब जब वो सपना पूरा नहीं हुआ है तो रवि मानते हैं कि अगली बार वे और ज्यादा मेहनत करेंगे और अगले ओलंपिक में गोल्ड लाने की कोशिश करेंगे.

कोच बोले- ऐसा शिष्य होने पर गर्व

वैसे रवि ने मेहनत अभी से शुरू कर दी है. उनके कोच ने जानकारी दी कि टोक्यो ओलंपिक से वापस आने के बाद रवि ने एक भी दिन ब्रेक नहीं लिया है. उन्होंने तुरंत अपनी ट्रेनिंग शुरू कर दी है. वे बताते हैं कि रवि जब काफी छोटा था, तब उनके पास आया था. उन्हें रवि के अंदर हमेशा से एक आग दिखती थी, चैम्पियन दिखाई देता था. उनकी नजरों में रवि जैसे शिष्य हर गुरु को मिलने चाहिए.

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