भारत की महिला बॉक्सर लवलीना बोरगोहेन ने टोक्यो ओलंपिक में जोरदार शुरुआत की है. उन्होंने अपने पहले मुकाबले में जीत हासिल की है. लवलीना बोरगोहेन ने मंगलवार को वेल्टरवेट राउंड ऑफ 16 (64-69 किग्रा वर्ग) में जर्मनी की एपेट्ज नेदिन को 3-2 से हरा दिया है. इस जीत से लवलीना ने अंतिम आठ में जगह बना ली है. वह मेडल से बस एक जीत दूर हैं.
लवलीना बोरगोहेन सिर्फ 24 साल की हैं. उन्होंने असम के एक छोटे से गांव से ओलंपिक तक का सफर तय किया है. लवलीना बोरगोहेन असम के गोलाघाट जिले में पड़ने वाली सरुपथर विधानसभा के छोटे से गांव बरोमुखिया की रहने वाली हैं. उनके गांव में महज 2 हजार की आबादी है.
दो बार विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीत चुकीं लवलीना असम की पहली बॉक्सर हैं जिन्होंने ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया. 1.77 मीटर लंबी लवलीना बोरगोहेन टोक्यो ओलंपिक में 69 किलोग्राम वर्ग में हिस्सा ले रही हैं.
मोहम्मद अली की खबर ने बदली जिंदगी
13 साल की उम्र में लवलीना और उनकी जुड़वा बहनों (लीचा और लीमा) को किक बॉक्सिंग सीखने के लिए भेजा गया था. दोनों बहनें किक बॉक्सिंग में नेशनल लेवल तक पहुंच गईं. लेकिन उस बीच लवलीना गेम बदलकर बॉक्सिंग रिंग में आ चुकी थीं. लवलीना की मां ममोनी बोरगोहेन बताती हैं कि अपनी स्कूलिंग के टाइम पर वह हर खेल गतिविधि में हिस्सा लेती थी.
Onwards! 🥊🔥
— #Tokyo2020 for India (@Tokyo2020hi) July 27, 2021
Power packed punching from Lovlina Borgohain lands her a last eight slot as she wins 3-2 against Nadine Apetz of #GER in the women's 69kg welterweight category! 👏 #IND #Tokyo2020 | #StrongerTogether | #UnitedByEmotion | @LovlinaBorgohai pic.twitter.com/Y9rserNmyR
बचपन का एक किस्सा बताते हुए ममोनी बोरगोहेन ने कहा, 'एक बार लवलीना के पिता उनके लिए मिठाई लाए. मिठाई जिस अखबार में लपेटकर लाई गई थी लवलीना उसे पढ़ने लगीं. तब पहली बार लवलीना ने मोहम्मद अली के बारे में पढ़ा और फिर बॉक्सिंग में उनकी रुचि बढ़ी.'
जब लवलीना 9वीं क्लास में थीं तब ही भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) के एक कोच की नजर उनपर पड़ी थी. तब से वह बॉक्सिंग में लगातार आगे ही बढ़ती गईं. वह मोहम्मद अली के साथ-साथ माइक टायसन की भी फैन हैं.