India Hockey Player Gurjit Kaur: भारतीय महिला हॉकी टीम आज कांस्य पदक के लिए ब्रिटेन से भिड़ रही है. शुरुआत में टीम इंडिया कुछ दबाव में नजर आई लेकिन फिर गुरजीत सिंह ने शानदार दो गोल कर भारत की मैच में वापसी करा दी. इससे पहले अर्जेंटीना के साथ खेले गए सेमीफाइनल मैच में भारत महिला हॉकी टीम हार गई थी. अर्जेंटीना ने 2 गोल दागे थे, जबकि भारत सिर्फ एक गोल कर पाया था. आइए इनमें से एक गुरजीत कौर के बारे में जानिए.
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गुरजीत कौर का निकनेम गुरी है. उन्हें हॉकी के साथ-साथ कबड्डी भी पसंद है. उनके घर से स्कूल दूर पड़ता था. जिसकी वजह से परिवार ने गुरजीत को हॉस्टल में डाल दिया गया था. वहां से हॉकी ग्राउंड पास था. वहां वह लोगों को हॉकी खेलते देखती थीं. फिर एकबार किसी ने उन्हें वहां हॉकी खेलने के लिए कहा, जिसके बाद गुरजीत ने कभी हॉकी नहीं छोड़ाय
इस ओलंपिक में भारत की टीम की शुरुआत काफी अच्छी नहीं हो पाई थी. पहले मैच में नीदरलैंड्स ने टीम इंडिया को मात दी, फिर जर्मनी ने 2-0 से टीम इंडिया को हराया. ग्रेट ब्रिटेन ने टीम इंडिया को 4-1 पटकनी दी. लेकिन इसके बाद खेल पलटा.
पहले महिला हॉकी टीम ने आयरलैंड को 1-0 से हराया. फिर आयरलैंड अपने एक अन्य मैच में हार गई. इसी की वजह से भारतीय टीम की एंट्री क्वार्टरफाइनल में हुई. लेकिन क्वार्टरफाइनल में टॉप रैंकिंग वाली टीम ऑस्ट्रेलिया को भारत की बेटियों ने हरा दिया. भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 1-0 से मात दी और दुनिया को चौंका दिया.
25 साल की गुरजीत के पिता सतनाम सिंह किसान हैं. वह अमृतसर के मियादी कला गांव की रहने वाली हैं. परिवार का हॉकी से कोई संबंध नहीं था. परिवार की आर्थिक स्थिति भी सामान्य थी. गुरजीत के लिए हॉकी किट खरीदने के लिए उनके पिता ने मोटरसाइकिल तक बेच दी थी.
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गुरजीत टीम में डिफेंडर और ड्रैग फ्लिक स्पेशलिस्ट की भूमिका निभाती हैं. ड्रैग फ्लिक स्पेशलिस्ट मतलब पेनल्टी कॉर्नर लेने वाली खिलाड़ी.
भारतीय महिला हॉकी टीम की डिफेंडर गुरजीत कौर पंजाब के अमृतसर की रहने वाली हैं. भारत ने ऑस्ट्रेलिया को क्वार्टर फाइनल में 1-0 से हराया था. भारत के लिए इकलौता गोल गुरजीत कौर ने किया था.