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Tokyo Olympics: राइफल संघ के अध्यक्ष बोले- मनु भाकर और जसपाल राणा साथ नहीं काम कर पा रहे थे

टोक्यो ओलंपिक में भारतीय निशानेबाजों ने निराश किया है. ओलंपिक खेलों के पांचवें दिन तक निशानेबाजी में भारत के खाते में एक भी मेडल नहीं आया .

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Manu Bhaker
Manu Bhaker
स्टोरी हाइलाइट्स
  • टोक्यो ओलंपिक में निशानेबाजों का खराब प्रदर्शन
  • एक भी मेडल नहीं जीत पाए भारत के युवा शूटर्स

टोक्यो ओलंपिक में भारतीय निशानेबाजों ने निराश किया है. ओलंपिक खेलों के पांचवें दिन तक निशानेबाजी में भारत के खाते में एक भी मेडल नहीं आया. मनु भाकर और सौरभ चौधरी की जोड़ी से 10 मीटर एयर पिस्टल के मिक्स्ड टीम इवेंट में मेडल की आस थी, लेकिन वे नाकाम रहे.

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फ्लॉप शो के बाद राइफल संघ और खिलाड़ियों का अब काम है कि उन कमियों को पकड़ा जाए जिसके कारण हार हुई. हार के बाद  भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) के अध्यक्ष रनिंदर सिंहर ने मनु भाकर और जसपाल राणा के बीच विवाद पर बयान दिया है. रनिंदर सिंह ने इस बात पर जोर देकर कहा है कि उन्होंने जसपाल राणा और मनु भाकर को साथ लाने की कोशिश की थी, लेकिन असफल रहे. 

रनिंदर सिंह ने कहा कि उन्होंने जसपाल राणा और मनु भाकर को एक साथ काम पर लाने की पूरी कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे. रनिंदर सिंह से जब सवाल किया गया कि क्या कोचिंग स्टाफ को बदला जाएगा तो उन्होंने कहा कि हां. यह पूछे जाने पर कि हार के लिए क्या वह भी जवाबदेह हैं तो उन्होंने कहा हां, क्यों नहीं, मैं एनआरएआई का प्रमुख हूं. 

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'खराब प्रदर्शन के लिए बहाना नहीं बना सकते'

रनिंदर सिंह ने कहा कि हमने तैयारी में वह सब कुछ किया है जो मानवीय रूप से संभव है. दिन के अंत में, मुझे केवल यही कहना है कि मैं खराब प्रदर्शन के लिए बहाना नहीं बना सकता. लेकिन मैं इतना ही कह सकता हूं, याद रखिए कि उनमें से ज्यादातर 19 साल के हैं. ये वयस्क नहीं हैं. उनमें से कुछ ओलंपिक दबाव में आ गए हैं. मैं और कुछ नहीं कह सकता.

रनिंदर सिंह ने आगे कहा कि जब आप खेलों के लिए तैयार होते हैं, तो यह एक परिवार होता है, आपको शांति बनाए रखने की कोशिश करनी होती है. दोनों (जसपाल राणा और मनु भाकर) साथ काम नहीं कर पाए. दूसरा पक्ष भी उनके साथ काम करने को तैयार नहीं था. लड़की ने कुछ बताया, माता-पिता ने कुछ बताया. जसपाल ने अपने बचाव में कुछ और हवाला दिया. 

भारतीय पिस्टल निशानेबाज रौनक पंडित के साथ टोक्यो ओलंपिक में गए हैं. मनु और जसपाल राणा का जब विवाद हुआ था, तब रौनक क्रोएशिया में मनु भाकर के साथ काम कर रहे थे. बता दें कि ओलंपिक से ठीक पहले जसपाल राणा की जगह रौनक पंडित को मनु के कोच के रूप में नियुक्त किया गया था.

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रनिंदर सिंह ने कहा कि मुझे लगता है कि दिल्ली में पिस्टल कोचों के बीच आंतरिक गुटबाजी थी. यह मेरे द्वारा 8 पन्नों के पत्र में संबोधित किया गया था. मैं किसी एक के लिए नहीं बोल सकता. हमने जसपाल सहित अपने सभी कोचों, अपने सभी पूर्व एथलीटों को सम्मानित किया है. 

एनआरएआई के प्रमुख ने कहा कि यह उन्हें और संबंधित एथलीटों को पता है कि वे एक साथ काम करने में असमर्थ हैं. उन्हें एक-दूसरे के साथ काम करने के लिए तैयार रहना होगा.

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