scorecardresearch
 

भारत के लिए टोक्यो ओलंपिक का 'गोल्डन फिनिश', अब पेरिस में पार करेंगे 10 का आंकड़ा!

भारत ने 7 मेडल अपने नाम किए, लेकिन कुछ खिलाड़ी ऐसे भी रहे जो पोडियम फिनिश तो नहीं कर पाए, लेकिन अपने प्रदर्शन से उन्होंने ये बता दिया है कि आने वाला समय उन्हीं का है. 

Advertisement
X
Neeraj Chopra (Photo-Getty Images)
Neeraj Chopra (Photo-Getty Images)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • टोक्यो ओलंपिक-2020 भारत के लिए रहा खास
  • पेरिस ओलंपिक-2024 में 10 से ज्यादा मेडल की आस

ओलंपिक के इतिहास में भारत ने अपना सबसे अच्छा प्रदर्शन टोक्यो में किया है. उसने टोक्यो ओलंपिक में 7 मेडल अपने नाम किए. भारत ने 'खेलों के महाकुंभ' का अंत गोल्ड मेडल जीतकर किया. जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने स्वर्ण पदक पर कब्जा करके आने वाले ओलंपिक में भारत के लिए नई उम्मीदें जगा दी हैं. नीरज के इस एतिहासिक प्रदर्शन से उन खिलाड़ियों को हौसला मिलेगा, जो ये सोचते थे कि एथलेटिक्स में भारत पदक नहीं जीत सकता.

Advertisement

भारत ने 7 मेडल अपने नाम किए, लेकिन कुछ खिलाड़ी ऐसे भी रहे जो पोडियम फिनिश तो नहीं कर पाए, लेकिन अपने प्रदर्शन से उन्होंने ये बता दिया है कि आने वाला समय उन्हीं का है.  

टोक्यो ओलंपिक में नीरज चोपड़ा, मीराबाई चून, रवि कुमार दहिया, पीवी सिंधु, लवलीना बोरगोहेन, बजरंग पुनिया और पुरुष हॉकी टीम ने मेडल जीता. ये खिलाड़ी 3 साल बाद जब पेरिस ओलंपिक में उतरेंगे तो मेडल के दावेदार तो होंगे. इनके अलावा तीरंदाज दीपिका कुमारी, दीपक पुनिया, अतनु दास, मनिका बत्रा, मनु भाकर और अदिति अशोक जैसे स्टार भी पदक जीतने की कतार में होंगे. 

दीपिका कुमारी- ये खिलाड़ी दुनिया की नंबर-1 तीरंदाज का तमगा लेकर टोक्यो पहुंची थी. दीपिक पदक की दावेदार थीं. वह उस सफर तक आसानी से पहुंच भी रही थीं. उन्होंने प्री-क्वार्टर फाइनल तक के मुकाबले में उम्मीद के मुताबकि प्रदर्शन किया था, लेकिन क्वार्टर फाइनल में न जाने ऐसा क्या हुआ कि दीपिका के तीर निशाने पर लग ही नहीं रहा थे. 

Advertisement

हो सकता है ये उम्मीदों का ज्यादा दबाव हो या बड़े मैच का प्रेशर. दीपिका 27 साल की हैं. उनके पास समय है. टोक्यो ओलंपिक में उन्होंने जो गलती की उससे वह सीख सकती हैं और कोशिश होनी चाहिए की पेरिस में वह उन गलतियों को न दोहराएं. 

दीपक पुनिया- टोक्यो ओलंपिक से पहले रेसलर दीपक पुनिया बहुत बड़ा नाम नहीं थे. दीपक भले पदक नहीं जीते, लेकिन वह उसके करीब तो जरूर पहुंच गए थे.

उन्होंने पुरुषों के 86 किग्रा वर्ग के सेमीफाइनल तक का सफर तय किया था. फिर कांस्य पदक के मैच में उन्होंने अपने विरोधी पहलवान को जोरदार टक्कर दी. दीपक पर मुकाबले के आखिरी 10 सेकंड भारी पड़े थे.

दीपक का ये पहला ओलंपिक था और उन्होंने उम्मीद से कहीं ज्यादा बेहतर खेल दिखाया. दीपक जब 3 साल बाद पेरिस ओलंपिक में उतरेंगे तो वह मेडल के प्रबल दावेदार होंगे. 

अदिति अशोक- इस युवा गोल्फर ने टोक्यो ओलंपिक में क्या कमाल का प्रदर्शन किया. ओलंपिक में गोल्फ में पदक जीतना भारत के लिए एक सपना है, और इसे कोई सच कर सकता है तो वो हैं अदिति अशोक.

अदिति मेडल जीतने के करीब पहुंच चुकी थीं. वह तीन दिन तक दूसरे स्थान पर थीं. चौथे दिन जब चौथे और फाइनल राउंड का खेल शुरू हुआ तो उनसे मेडल की आस बन गई. लग रहा था कि अदिति गोल्ड नहीं तो कम से कम कांस्य तो जीत ही जाएंगी.

Advertisement

अदिति उस ओर बढ़ भी रही थीं. 13वें होल तक वह टॉप -3 में थीं, लेकिन अंतिम 5 होल में वह पिछड़ गईं और उन्हें चौथे स्थान से संतोष करना पड़ा. 

ओलंपिक में भारत अब तक बॉक्सिंग, कुश्ती, बैडमिंटन, शूटिंग जैसे खेलों में ही मेडल की उम्मीद करता था लेकिन इसमें एक नाम और जुड़ा है और वो है गोल्फ. तो अदिति जब पेरिस ओलंपिक में उतरेंगी तो वह पदक की दावेदारों में से एक होंगी. 

अतनु दास- दीपिका के अलावा अतनु दास से भी इस बार मेडल जीतने की उम्मीद थी. अतनु ने प्री-क्वार्टर फाइनल तक का सफर तय किया था. अतनु मेडल तो जीत नहीं पाए, लेकिन उन्होंने लंदन ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता ओ जिन हयेक को हराकर जो धमाका किया उसे शायद कोई भूल पाए. इस मुकाबले के बाद अतनु से मेडल की आस जग गई थी. 

प्री-क्वार्टर फाइनल मुकाबले में हारने से पहले अतनु ने अच्छा प्रदर्शन किया था. अतनु पुरुषों के व्यक्तिगत वर्ग के प्री-क्वार्टर फाइनल में जापान के ताकाहारू फुरूकावा से हारकर बाहर हो गए थे. उम्मीद है कि अतनु जब अगली बार ओलंपिक में उतरेंगे तो मेडल जीतेंगे और देश को जश्न मनाने का मौका देंगे. 

मनु भाकर- बीते कुछ ओलंपिक से भारत का निशानेबाजी में एक पदक जीतना तय माना जाता रहा है. अभिनव बिंद्रा, गगन नारंग, विजय कुमार जैसे निशानेबाजों ने शूटिंग में पदक जीतने की उम्मीदों को खड़ा किया था.

Advertisement

टोक्यो ओलंपिक में भी आस थी कि शूटिंग में एक मेडल तो पक्का है, लेकिन हमारे निशानेबाजों ने निराश किया. शूटिंग के किसी भी इवेंट में वह एक पदक नहीं जीत पाए. 

मनु भाकर जैसी स्टार निशानेबाज तक नाकाम रहीं. हालांकि अच्छी बात ये है कि मनु युवा हैं और उनके पास सीखने का समय है. उम्मीद है कि मनु टोक्यो ओलंपिक में की गई गलतियों से सीख लेंगी और जसपाल राणा जैसे दिग्गज के साथ जारी अपने विवाद को विराम देंगी और पेरिस ओलंपिक की तैयारियों में जुटेंगी. आशा है कि मनु 2024 में पोडियम पर मेडल को चूमेंगी.

ये भी पढ़ें


 

Advertisement
Advertisement