India Hockey Player Sharmila Devi: ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम इतिहास रचने से चूक गई है. अर्जेंटीना के साथ आज खेले गए सेमीफाइनल मैच में भारत महिला हॉकी टीम हार गई है. अर्जेंटीना ने 2 गोल दागे, जबकि भारत सिर्फ एक गोल कर पाया है. हालांकि हमारी बेटियों ने शानदार प्रदर्शन किया. अब ब्रॉन्ज के लिए महिला टीम की टक्कर ग्रेट ब्रिटेन से होगी. खैर आज देश को उन सभी 16 बेटियों पर नाज है, जिन्होंने इतिहास में पहली बार महिला हॉकी टीम को अंतिम-4 में पहुंचाया है. यहां जानिए टीम की फॉरवर्ड खिलाड़ी शर्मिला देवी के बारे में.
भारत को सेमीफाइनल में अर्जेंटीना ने 2-1 से हरा दिया. फाइनल में भारतीय महिला हॉकी टीम भले नहीं पहुंची हो लेकिन अभी कांस्य पदक की रेस में बनी हुई है. इसके लिए भारतीय महिला टीम को 6 अगस्त को ग्रेट ब्रिटेन से भिड़ना है.
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19 साल की शर्मिला देवी का 2019 के ओलंपिक टेस्ट इवेंट में इंटरनेशनल डेब्यू हुआ था. शर्मिला के दादा हॉकी के नेशनल प्लेयर रहे थे. उनको लोकल ग्राउंड में कंपनी देने के लिए शर्मिला ने सबसे पहली बार हॉकी थामा था.
इस ओलंपिक में भारत की टीम की शुरुआत काफी अच्छी नहीं हो पाई थी. पहले मैच में नीदरलैंड्स ने टीम इंडिया को मात दी, फिर जर्मनी ने 2-0 से टीम इंडिया को हराया. ग्रेट ब्रिटेन ने टीम इंडिया को 4-1 पटकनी दी. लेकिन इसके बाद खेल पलटा.
पहले महिला हॉकी टीम ने आयरलैंड को 1-0 से हराया. फिर आयरलैंड अपने एक अन्य मैच में हार गई. इसी की वजह से भारतीय टीम की एंट्री क्वार्टरफाइनल में हुई. लेकिन क्वार्टरफाइनल में टॉप रैंकिंग वाली टीम ऑस्ट्रेलिया को भारत की बेटियों ने हरा दिया. भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 1-0 से मात दी और दुनिया को चौंका दिया.
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भारतीय फॉरवर्ड शर्मिला देवी के पिता सुरेश कुमार किसान हैं. घर की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी. इस वजह से शर्मिला ज्यादा पढ़-लिख नहीं पा रही थीं. जब वह चौथी क्लास में थीं तभी कोच प्रवीण सिहाग से मुलाकात हुई. सिहाग ने ही उन्हें इंटरनेशनल लेवल का खिलाड़ी बनाया.
भारतीय महिला हॉकी टीम की फॉरवर्ड शर्मिला देवी हिसार के कैमरी की रहने वाली हैं. उनके पिता सुरेश कुमार किसान हैं.