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स्टार जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक में अद्भुत प्रदर्शन करते हुए इतिहास रच दिया है. शनिवार को फाइनल मुकाबले में चोपड़ा ने दूसरे प्रयास में 87.58 मीटर का बेस्ट थ्रो करके स्वर्ण पदक अपने नाम किया. इसके साथ ही नीरज ट्रैक एंड फील्ड इवेंट में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट बन गए हैं. साथ ही, वह ओलंपिक के व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण जीतने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी हैं. इससे पहले अभिनव बिंद्रा ने बीजिंग ओलंपिक (2008) के 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में पीला तमगा अपने नाम किया था.
टोक्यो खेलों में भारत का यह 7वां पदक है. इससे पहले कुश्ती में बजरंग पुनिया ने कांस्य दिलाया. पहलवान रवि दहिया और भारोत्तोलन में मीराबाई चनू ने रजत पदक पर कब्जा किया. भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीता. बैडमिंटन में पीवी सिंधु और बॉक्सर लवलीना बोरगोहेन के नाम भी कांस्य पदक हैं.
THE THROW THAT WON #IND A #GOLD MEDAL 😍#Tokyo2020 | #StrongerTogether | #UnitedByEmotion @Neeraj_chopra1 pic.twitter.com/F6xr6yFe8J
— #Tokyo2020 for India (@Tokyo2020hi) August 7, 2021
इसके साथ ही भारत ने ओलंपिक में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर दिखाया है. 2012 के लंदन ओलंपिक में भारत ने 6 पदक जीते थे. ओलंपिक की व्यक्तिगत स्पर्धा में भारत को 13 साल बाद दूसरा गोल्ड मिला. बीजिंग ओलंपिक 2008 में पहली बार स्वर्ण पदक जीतने का कारनामा दिग्गज शूटर अभिनव बिंद्रा ने किया था.
And Gold it is for @Neeraj_chopra1 .Take a bow, young man ! You have fulfilled a nation's dream. Thank you!
— Abhinav A. Bindra OLY (@Abhinav_Bindra) August 7, 2021
Also, welcome to the club - a much needed addition! Extremely proud. I am so delighted for you.
बिंद्रा ने ट्वीट किया, ‘नीरज चोपड़ा के लिए स्वर्ण पदक. इस युवा खिलाड़ी के सामने नतमस्तक हूं. आपने देश के सपने को पूरा किया. शुक्रिया. साथ ही क्लब (स्वर्ण पदक के) में आपका स्वागत है - इसकी बहुत जरूरत थी. आप पर बहुत गर्व है. मैं आपके लिए बहुत खुश हूं.’
NEERAJ CHOPRA WINS INDIA'S FIRST OLYMPIC GOLD IN ATHLETICS 🇮🇳🥇
— #Tokyo2020 for India (@Tokyo2020hi) August 7, 2021
August 7, 2021 - #Tokyo2020, one for the history books! 📚
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नीरज चोपड़ा ने पहले प्रयास में 87.03 मीटर का थ्रो कर शानदार शुरुआत की. फिर नीरज ने दूसरे थ्रो में 87.58 मीटर दूर जैवलिन फेंका. नीरज का तीसरा थ्रो बढ़िया नहीं रहा और वह 76.79 मीटर जैवलिन थ्रो कर पाए. पहले तीन थ्रो के बाद नीरज 87.58 मीटर का बेस्ट थ्रो के साथ पहले नंबर पर रहे. तीसरे प्रयास के बाद गोल्ड मेडल के प्रबल दावेदार जोहानेस वेटल नौवें स्थान पर रहने के चलते मुकाबले से बाहर हो गए.
नीरज चोपड़ा का चौथा और पांचवां थ्रो फाउल करार दिया गया. फिर छठे एवं आखिरी प्रयास में नीरज ने 84.24 मीटर थ्रो किया. नीरज का दूसरा थ्रो गोल्ड मेडल जीतने के लिए काफी था. चेक गणराज्य के जैकब वाडलेजचो ने 86.67 मीटर का थ्रो करके रजत पदक अपने नाम किया. वहीं, चेक रिपब्लिक के ही विटदेस्लाव वेसेली 85.44 मीटर का बेस्ट थ्रो करके कांस्य पदक जीतने में सफल रहे.
'फ्लाइंग सिख' मिल्खा सिंह का सपना पूरा किया
नीरज चोपड़ा ने स्वर्ण पदक जीतकर 'फ्लाइंग सिख' मिल्खा सिंह के सपने को साकार किया है. मिल्खा सिंह का यह सपना था कि कोई भारतीय ट्रैक और फील्ड में ओलंपिक पदक जीते. मिल्खा को टोक्यो ओलंपिक में एथलीट हिमा दास से खासी उम्मीदें थीं. इस बाबत उन्होंने हिमा को तैयारी के टिप्स भी दिए थे. मिल्खा सिंह ने कहा था कि हिमा में काफी टैलेंट दिखाई दे रहा है. हालांकि दुर्भाग्यवश हिमा टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालिफाई नहीं कर पाईं. लेकिन अब नीरज चोपड़ा ने ओलंपिक में पदक जीतने उनके सपने को साकार कर दिया है.
नीरज चोपड़ा से पहले मिल्खा सिंह, गुरबचन सिंह रंधावा, श्रीराम सिंह, पीटी उषा, अंजू बॉबी जॉर्ज, कृष्णा पूनिया और कमलप्रीत कौर ओलंपिक के ट्रैक एंड फील्ड के फाइनल में तो पहुंचे थे, लेकिन वह पदक नहीं जीत सके. मिल्खा सिंह ने 1960 के रोम ओलंपिक में 400 मीटर रेस के फाइनल में चौथा स्थान हासिल किया था. इस दौरान मिल्खा महज सेकेंड के दसवें हिस्से से भारत के लिए पदक जीतने से चूक गए थे.
गुरबचन रंधावा ने 1964 के टोक्यो ओलंपिक में 110 मीटर हर्डल्स में पांचवां स्थान हासिल किया था. इसके बाद श्रीराम सिंह 1976 के मॉन्ट्रियल ओलंपिक के फाइनल में पहुंचे. लेकिन वह 1:45.77 का समय निकाल कर सातवें स्थान पर रहे. 1984 के लॉस एंजेलिस ओलंपिक में पीटी उषा महिलाओं की 400 मीटर बाधा दौड़ के फाइनल मुकाबले में पहुंचीं. मिल्खा सिंह की तरह वो भी ओलंपिक पदक जीतने से सेकेंड के सौवें हिस्से से चूक गई थीं.
2004 के एथेंस ओलंपिक में अंजू बॉबी जॉर्ज ने लंबी कूद के फाइनल में जगह बनाई थी. फाइनल में अंजू 6.83 मीटर जंप लगाकर छठे स्थान पर रही थीं. 2007 में अमेरिका की मरियन जोन्स को डोपिंग आरोपों के कारण अयोग्य घोषित किए जाने के बाद अंजू को 5वां स्थान दिया गया था. इसके बाद 2012 के लंदन ओलंपिक में कृष्णा पूनिया डिस्कस थ्रो के फाइनल में पहुंची थीं. फाइनल में पूनिया 63.62 मीटर दूरी तक डिस्कस थ्रो कर छठे स्थान पर रहीं. फिर टोक्यो ओलंपिक में कमलप्रीत कौर ने फाइनल में 63.70 मीटर डिस्कस थ्रो कर छठा स्थान हासिल किया था.
नीरज चोपड़ा ने पिछले साल साउथ अफ्रीका में आयोजित हुई सेंट्रल नॉर्थ ईस्ट मीटिंग एथलेटिक्स चैम्पियनशिप के जरिए ओलंपिक का टिकट हासिल किया था. उन्होंने 87.86 मीटर जैवलिन थ्रो कर 85 मीटर के अनिवार्य क्वालिफिकेशन मार्क को पार कर यह उपलब्धि हासिल की. चोपड़ा ने बुधवार को क्वालिफाइंग दौर में अपने पहले ही प्रयास में भाले को 86.65 मीटर की दूरी तक फेंककर फाइनल के लिए क्वालिफाई किया था.