
दिग्गज मुक्केबाज एमसी मैरीकॉम (51 किग्रा) का दूसरा ओलंपिक पदक जीतने का सपना गुरुवार को टूट गया. टोक्यो खेलों के प्री-क्वार्टर फाइनल में रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता इंग्रिट वालेंसिया से उन्हें 2-3 से हार झेलनी पड़ी. कई बार की एशियाई चैम्पियन और 2012 लंदन ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता मैरीकॉम ने इस चुनौतीपूर्ण मुकाबले में अपना सर्वश्रेष्ठ दिया, लेकिन वह आगे नहीं बढ़ सकीं. यह 38 साल की महान मुक्केबाज का अंतिम ओलंपिक मुकाबला होगा.
जब रेफरी ने मुकाबले के अंत में वालेंसिया का हाथ ऊपर उठाया, तो मैरीकॉम की आंखों में आंसू थे और चेहरे पर मुस्कान थी. जिस तरीके से वालेंसिया पहली घंटी बजने के बाद भागी थीं, उससे लग रहा था कि यह मुकाबला कड़ा होने वाला है और ऐसा ही हुआ.
शुरू से ही दोनों मुक्केबाज एक-दूसरे पर मुक्के जड़ रही थीं, लेकिन वालेंसिया ने शुरुआती राउंड 4-1 से अपने नाम कर दबदबा बना लिया.
मणिपुर की अनुभवी मुक्केबाज मैरीकॉम ने शानदार वापसी कर दूसरे और तीसरे राउंड को 3-2 से अपने नाम किया. पर शुरुआती राउंड की बढ़त से वालेसिंया इस मुकाबले को जीतने में सफल रहीं. भारतीय मुक्केबाज ने दूसरे और तीसरे राउंड में दाहिने ‘हुक’ का बखूबी इस्तेमाल किया.
भारतीय मुक्केबाज के निजी ट्रेनर छोटे लाल यादव ने पीटीआई से कहा, ‘पता नहीं यह स्कोरिंग प्रणाली कैसी है, मुझे यह समझ नहीं आती. वह पहले राउंड में 1-4 से पीछे कैसे हो सकती हैं, जब दोनों में कुछ भी चीज अलग नहीं थी.’ उन्होंने कहा, ‘यह निराशाजनक है, लेकिन मुझे लगता है कि यही भाग्य है.’
मैरीकॉम 2019 विश्व चैम्पियनशिप के क्वार्टरफाइनल में पहले वालेंसिया को हरा चुकी हैं. कोलंबियाई मुक्केबाज की यह मैरीकॉम पर पहली जीत है.
मैरीकॉम की तरह 32 साल की वालेंसिया भी अपने देश के लिए काफी अहम खिलाड़ी हैं. वह पहली महिला मुक्केबाज हैं, जिन्होंने ओलंपिक खेलों में अपने देश का प्रतिनिधित्व किया और वह पहली महिला मुक्केबाज हैं, जिन्होंने देश के लिए ओलंपिक पदक जीता.