
जिस काम को अंजाम सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ जैसे धुरंधर नहीं दे पाए, उसे अंजाम देने का मौका रोहित शर्मा के पास था. लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने भारत के 140 करोड़ फैंस का दिल तोड़ते हुए एकतरफा मुकाबले में 6 विकेट से छठी बार फाइनल जीतकर इतिहास रच दिया. अपने ही देश में मिली इस करारी हार का दर्द रोहित एंड कंपनी को जिंदगीभर सालता रहेगा.
साल 2013 में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी जीतने के बाद से भारत पिछले 10 साल में 5 आईसीसी खिताब को फाइनल में हारकर गंवा चुका है. हैरान कर देने वाली बात यह है कि टीम इंडिया को इन सभी मुकाबलों में एकतरफा शिकस्त मिली है. ऑस्ट्रेलिया ने इस साल दो आईसीसी टूर्नामेंट के फाइनल में भारत को धूल चटाई है. पहली वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप और अब वनडे वर्ल्ड कप. तीसरी बार खिताब जीतने की आस में अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में बल्लेबाजी करने उतरी टीम इंडिया ने धमाकेदार अंदाज में शुरुआत की.
रोहित एंड कंपनी को ये हार हमेशा दर्द देगी
हिटमैन रोहित शर्मा ने अपने स्वभाव के अनुरुप विस्फोटक शुरुआत की. उन्होंने लगातार अटैक करते हुए तीन गगनचुंबी छक्कों और चार चौकों की मदद से भारत को तेज शुरुआत दिलाई, लेकिन 31 गेंद में 47 रन बनाने के बाद वह बेहतरीन कैच की वजह से आउट हो गए. शानदार शुरुआत के बाद 10वें ओवर में रोहित शर्मा का आउट होना भारत के लिए बड़ा झटका था और फिर टीम कभी इस मैच में उबर ही नहीं सकी. रोहित का अपना विकेट गंवाना सारी उम्र याद रहेगा. शानदार बल्लेबाजी और कप्तानी करने वाले रोहित शर्मा को इस हार की टीस हमेशा सताती रहेगी.
बड़े खिताबी मुकाबलों में एकतरफा हार के बाद यह सवाल खड़ा हो रहा है कि क्रिकेटिंग सुपर पावर माने जाने वाले देश के लिए एक आईसीसी ट्रॉफी को जीतने के लिए 10 साल नहीं लगते हैं. भारतीय खिलाड़ी एक टीम के तौर पर प्रदर्शन भी अच्छा कर रहे थे. अचानक से एक खराब दिन आ गया और टीम फाइनल मुकाबला हार गई. वो बैड डे भारतीय टीम के साथ ही क्यों आता है? क्या खिलाड़ी फाइनल के दबाव में ओवर थिंकिंग कर जाते हैं? अपनी ताकत को भूलकर दूसरों की कमजोरी ढूंढने लगते हैं? इन सवालों के जवाब ढूंढने होंगे.
अब वक्त आ गया है कि इस सवाल का जवाब तो तलाशना ही होगा. इसके बाद भारत को अभी आईसीसी के कई टूर्नामेंट्स में खेलना है. ऑस्ट्रेलिया ने दो आईसीसी टूर्नामेंट के फाइनल में भारत को हराया है कोई तो वजह होगी. रोहित ने आते ही शानदार बल्लेबाजी शुरू की. ऐसा लग रहा रहा था कि फिर से 350 रन के आसपास स्कोर जाएगा. लेकिन शानदार कैच की वजह से वो आउट हो गए. फिर मैच का रुख ही पलट गया.
लीग मुकाबलों में टीम इंडिया ने किया जबरदस्त प्रदर्शन
आईसीसी वर्ल्ड कप के शुरुआती मुकाबलों में टीम इंडिया एक अलग कॉम्बिनेशन के साथ खेली थी. टीम की बल्लेबाजी सातवें नंबर तक थी क्योंकि हार्दिक पांड्या उस नंबर पर बल्लेबाजी कर रहे थे. इस बीच पांड्या चोटिल हो गए. उन्हें बांग्लादेश के खिलाफ पुणे में खेले गए मुकाबले में गेंदबाजी करते समय चोटिल होकर टूर्नामेंट से बाहर होना पड़ा. उनके लेफ्ट एंकल में चोट आई थी. इसके बाद प्लेइंग इलेवन में बॉलिंग ऑलराउंडर शार्दुल ठाकुर को टीम में शामिल किया गया, लेकिन एक मैच के बाद उन्हें बिठा दिया गया. फिर तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी की एंट्री हुई और टीम इंडिया का बैटिंग ऑर्डर छठे नंबर तक सिमट गया.
हार्दिक पांड्या के चोटिल होने के बाद कप्तान रोहित शर्मा और कोच राहुल द्रविड़ ने टीम को प्लान A से प्लान B पर शिफ्ट किया. जिस वक्त तक हार्दिक पांड्या खेल रहे थे तब विराट कोहली बड़ी-बड़ी हिट लगा रहे थे. पांड्या के टीम में रहने तक कोहली ने 4 मैच में 90.24 के स्ट्राइक रेट के साथ 259 बनाए थे. जिसमें दो अर्धशतक और 1 शतक शामिल थे.
पांड्या के बाहर होते ही विराट कोहली ने अपने रोल बदला और वो एक एंकर की भूमिका में आ गए. कोहली बेहद संभलकर बल्लेबाजी करने लगे उनका प्लान आखिर तक क्रीज पर डटे रहने का था. क्योंकि बल्लेबाजी में गहराई कम हो गई थी. टीम इंडिया की बल्लेबाजी उनके इर्द-गिर्द घूमने लगी. हार्दिक पांड्या के टूर्नामेंट से बाहर होने के बाद किंग कोहली ने 7 मैच में 90.35 के स्ट्राइक रेट के साथ 506 रन बनाए. जिसमें उनके 4 अर्धशतक और 2 शतक शामिल थे. पूरे वर्ल्ड कप के 11 मैच में विराट ने 90.31 के स्ट्राइक रेट से 765 रन बनाए. जिसमें उन्होंने 6 अर्धशतक और 3 शतक लगाए. उन्हें इस विश्व कप का मैन ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया.
हार्दिक पांड्या के बाहर होते ही कोहली ने बदला बैटिंग का अंदाज
भारतीय टीम ने कितनी आसानी से प्लान A को प्लान B की तरफ शिफ्ट किया. किसी को इसका एहसास तक नहीं हो सका. टीम इंडिया के इस मूव पर पाकिस्तान के पूर्व बल्लेबाज मोहम्मद यूसुफ और पूर्व स्पिन गेंदबाज मुश्ताक अहमद ने एक टीवी शो में कहा कि भारतीय टीम ने बड़ी ही खूबसूरती के साथ अपना प्लान बदला. उन्होंने कहा कि हार्दिक पांड्या के रहने से विराट कोहली खुलकर बल्लेबाजी कर रहे थे. लेकिन पांड्या के बाहर जाने के बाद कोहली ने अपना रोल बदला और पूरी टीम उनके आसपास बल्लेबाजी करने लगी.
वहीं, कप्तान रोहित शर्मा की बात करें तों वो पहली ही गेंद से शुरू हो जाते हैं. वो फ्रंट से लीड करते हैं और किसी युवा खिलाड़ी पर नए गेंद से खेलने का दबाव नहीं बनाते. ये लीडरशिप क्वालिटी जो उन्हें दूसरे कप्तानों से अलग करती है. यहीं छोटी-छोटी बातें टीम खड़ा करने में मदद करती हैं. सीनियर खिलाड़ियों का सबसे बड़ा रोल बड़ा स्कोर बनाना नहीं बल्कि चैलेंज को सामने आकर स्वीकार करना होता है. यही सीनियर प्लेयर का रोल होता है. जो इस समय कप्तान रोहित शर्मा निभा रहे हैं.
रोहित शर्मा और राहुल द्रविड़ ने स्मार्टनेस के साथ स्ट्रैटेजिक मूव किए
मुश्ताक अहमद और मोहम्मद यूसुफ ने बताया कि टीम इंडिया ने अपनी बैंच स्ट्रेंथ को काफी मजबूत किया है, जैसे ही शमी को मौका मिला उन्होंने भी अपना काम शुरू कर दिया. इसका पूरा क्रेडिट कोच राहुल द्रविड़ को जाता है. उन्होंने जो स्मार्टनेस के साथ स्ट्रैटेजिक मूव किए वो बेहद जोड़ थे. बता दें, टीम इंडिया के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ वेस्टइंडीज में खेले गए 2007 वर्ल्ड कप में उस टीम के कप्तान थे जो शुरुआती दौर में ही श्रीलंका से हरकर टूर्नामेंट से बाहर हो गई थी. जिसके बाद उन्होंने कप्तानी से इस्तीफा दे दिया था.
राहुल द्रविड़ ने 2007 में लगे दाग को कोच के तौर पर धोया
द्रविड़ ने 344 वनडे मुकाबलों में 12 शतक और 83 अर्धशतक के साथ 10,889 रन बनाए. जिसमें उनका सर्वाधिक स्कोर 153 रन का है जो उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ हैदराबाद में बनाए थे. वहीं 164 टेस्ट मैचों में उन्होंने 52.31 की औसत के साथ 13,288 रन बनाए. इस दौरान उन्होंने 36 शतक और 63 अर्धशतक बनाए. उनका सर्वाधिक स्कोर 270 रन का है, जो उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ रावलपिंडी में बनाया था. अपने टेस्ट करियर में द्रविड़ 5 दोहरे शतक लगाए.