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भारतीय हैकर ने बग ढूंढ कर साल भर में कमाए 89 लाख रुपये

बग बाउंटी प्रोग्राम के तहत दुनिया भर के हैकर को बग ढूंढने पर करोड़ों रूपये के रिवॉर्ड मिलते हैं. इनमें भारतीय हैकर्स भी आगे हैं. 

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Representational Image
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सोशल मीडिया वेबसाइट फेसबुक और दूसरे ऐप्स में बग ढूंढने के मामले में इंडियन हैकर्स का कोई तोड़ नहीं है. ये हैकर्स बग बाउंटी प्रोग्राम के तहत करोड़ों रुपये कमाते हैं. ऐसे ही शिवम वशिष्ठ हैं जो 23 साल के हैं इन्होंने एक साल में 125,000 डॉलर (लगभग 89 लाख रुपये) कमाए हैं. 

न्यूज एजेंसी IANS की रिपोर्ट के मुताबिक शिवम नॉर्थ इंडिया से हैं और इन्होंने 19 साल से ही हैकिंग शुरू की थी. उन्होंने ये भी कहा है कि उनकी फैमिली करियर को लेकर परेशान रहती थी, लेकिन अब उन्हें ये समझ आ गया है कि एथिकल हैकिंग पूरी तरह से कानूनी है. 

20 साल की उम्र में उन्होंने पहली बाउंटी जीती थी. InstaCart ऐप में उन्होंने खामी ढूंढी थी. इसके बाद मास्टर कार्ड में भी बग ढूंढा. कुथ साल के बाद उन्होंने अपने भाई को भी हैकिंग सिखाई और हैकिंग से ही उन्होंने अपनी फैमिली को वर्ल्ड टूर भी कराया है.

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रिपोर्ट के मुताबिक शिवम हफ्ते में सिर्फ 15 घंटे काम करते हैं. लेकिन जाहिर है हैकिंग का काम घंटे में लिमिट नहीं किया जा सकता है. क्योंकि कई दिन लगातार वो बिना ब्रेक के बग ढूंढते हैं. शिवम वशिष्ठ के अलावा भी भारत के कई हैकर हैं जो लगातार बाउंटी कमाते हैं.

हाल ही में शिरडी के रहने वाले राहुल कंक्राले ने फेसबुक मैसेंजर से जुड़े बग को उजागर किया था. ये बग गंभीर था और इसका इस्तेमाल करके हैकर्स बिना यूजर के परमिशन के सिर्फ एक लिंक भेज कर फ्रंट कैमरा का ऐक्सेस लिया जा सकता है. फेसबुक ने इनाम के तौर पर उन्हें 23.63 लाख रुपये दिए थे.

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