हमेशा एप्पल से यह उम्मीद की जाती है कि वो भारतीय बाजार के लिहाज से सस्ते आईफोन लॉन्च करेगा. क्योंकि यहां के साधारण कस्टमर्स के लिए आईफोन महंगे होते हैं. हाल ही में लॉन्च हुए iPhone 7 और iPhone 7 Plus की कीमत भी 72,000 रुपये से शुरू होती है और iPhone 7 Plus के टॉप मॉडल की कीमत 92,000 रुपये है. यानी एक स्मार्टफोन के लिए 72,000 या 92,000 रुपये खर्च करने होंगे और इसी वजह से ज्यादातर भारतीय यूजर्स इसे नहीं खरीदेंगे.
भारतीय यूजर्स के पास हमेशा से सस्ते आईफोन खरीदने का ऑप्शन रहता है . हम पुराने मॉडल के iPhone की बात कर रहे हैं जिनकी कीमतें नए आईफोन लॉन्च के बाद काफी कम हो जाती हैं. हाल ही में कंपनी iPhone 6s की कीमत में 22,000 रुपये की कटौती की है. लेकिन कुछ साल पहले तक ऐसा नहीं था, क्योंकि उस वक्त पुराने आईफोन कीमत और स्पेसिफिकेशन के लिहाज से एंड्रॉयड के मुकाबले बेहतर नहीं थे.
उदाहरण के तौर पर तब Nexus 5 के मुकाबले 30,000 रुपये में बिकने वाला iPhone 5 बेहतर नहीं था. लेकिन फिर भी एप्पल ने भारतीय बाजार को टार्गेट करके सस्ता आईफोन नहीं बनया.
20-25 हजार तक के सेग्मेंट में एंड्रॉयड को मिल सकती है टक्कर
हालांकि कंपनी को अब सस्ते आईफोन बनाने की जरूरत भी नहीं है. क्योंकि सैमसंग और लेनोवो जैसी कंपनियों का मार्केट शेयर इस सेग्मेंट में सबसे ज्यादा है और एप्पल को इसकी जरूरत नहीं है. लेकिन हाई सेग्मेंट जिसमें 20,000 रुपये से 25,000 रुपये के स्मार्टफोन बेचे जाते हैं इसमें एप्पल अपनी उपस्थिति तगड़े तौर पर दर्ज करा सकती है. और इसके लिए कंपनी को सस्ते फोन लाने की जरूरत नहीं है.
एप्पल एंड्रॉयड स्मार्टफोन्स को 20,000 रुपये तक के रेंज में अपने पुराने iPhone के जरिए कड़ी टक्कर दे सकता है. पुराने आईफोन नए एंड्रॉयड स्मार्टफोन्स को टक्कर देने के पीछे की वजह हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर है.
2014 से पहले तक छोटी स्क्रीन की वजह से पिछड़ता था आईफोन
2014 से एप्पल नए iPhone 6 के साथ 4.7 इंच की स्क्रीन लाना शुरू किया. इसके अलावा एक दूसरा iPhone 6 Plus भी आया जिसकी स्क्रीन साइज 5.5 इंच की है. अब बारी थी इन दोनों के एंड्रॉयड से कंपेयर करने की और इसमें यह दोनों स्मार्टफोन एंड्रॉयड पर भारी पड़े. इससे पहले तक स्क्रीन साइज के मामले में एंड्रॉयड की तुलना आईफोन से थी ही नहीं.
iPhone 5S में कंपनी पावरफुल A7 प्रोसेसर लगाया जिसके बाद कंपनी ने A8 और A9 प्रोसेसर भी लाई. इस वक्त तक एंड्रॉयड बाजार में इतने फास्ट प्रोसेसर का ऑप्शन नहीं था जिससे वो पिछड़ रहे थे. ज्यादातर प्रोसेसर मीडियाटेक और क्वॉल्कॉम के होते थे. हालांकि सैमसंग और हुआवे के अपने प्रोसेसर भी थे. लेकिन कोई भी प्रोसेसर एप्पल के प्रोसेसर को टक्कर देने लायक नहीं था.
फास्ट प्रोसेसर के साथ कंपनी अपने आईफोन में अच्छी स्क्रीन, बेहतर कैमरा, फास्ट इंटरनल स्टोरेज और दमदार बैट्री देती थी. 2014 में iPhone 6 एक बेहतरीन स्मार्टफोन का पर्याय बन गया और यह 50,000 रुपये से ज्यादा में बिका. लेकिन 2016 में टॉप एंड एंड्रॉयड स्मार्टफोन 2014 जैसे बेहतरीन नहीं हैं. फिलहाल iPhone 6 की कीमतें काफी कम हो गई हैं, लेकिन फिर भी यह कई हाई एंड एंड्रॉयड स्मार्टफोन से कई मायनों में बेहतर है.
iPhone में दिए गए सॉफ्टवेयर इसे बनाते हैं एंड्रॉयड से बेहतर
iPhone 6 और iPhone 6s के बेहतर होने के पीछे इसमें दिया गया सॉफ्टवेयर भी है. क्योंकि एप्पल समय समय पर अपने आईओएस में अपडेट देकर इसमें नए फीचर्स जोड़ता रहता है. हालांकि मार्शमैलो और नए एंड्रॉयड वर्जन नूगट को गूगल ने बेहतर करने की कोशिश की है. एंड्रॉयड की दिक्कत यह है कि इसके नए वर्जन का अपडेट सभी एंड्रॉयड स्मार्टफोन्स में नहीं मिल पाता है.
2012 में लॉन्च हुए iPhone 5 में एप्पल का नया iOS 10 का अपडेट मिल रहा है, लेकिन अगर आप 60,000 रुपये का नया एंड्रॉयड स्मार्टफोन यूज कर रहे हैं तो भी ये गारंटी नहीं है कि नूगट का अपडेट मिलेगा या नहीं.
कुछ साल पुराने आईफोन हाल में लॉन्च हुए कई एंड्रॉयड स्मार्टफोन को कड़ी टक्कर देते हैं. चाहे बात साधारण परफॉर्मेंस और डिजाइन की हो या कैमरा और दूसरे ऐप की हो पुराने आईफोन इन सब में बाजी मारते दिखते हैं. आने वाले दिनों में सभी बाजार में iPhone 7 और iPhone 7 Plus उपलब्ध होंगे. लेकिन अगर आज ज्यादातर फोन खरीदारों का बजट 30-35 हजार तक है तो वो एंड्रॉयड से बेहतर iPhone 6 जैसे पुराने आईफोन खरीद सकते हैं.