गूगल की एंड्रॉयड सिक्योरिटी टीम ने एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम का इयर इन रिव्यू 2016 जारी किया है. इसमें साल भर एंड्रॉयड के बड़े डेवलपमेंट को बताया गया है. इस रिपोर्ट में खतरनाक ऐप्स डिटेक्शन में इंप्रूवमेंट और मंथली पैच के लिए अपने पार्टनर्स के साथ किए गए करार के बारे में बताया गया है. इसके अलावा कंपनी ने इस रिपोर्ट में आगे के सिक्योरिटी प्लान्स के बारे में भी बताया है.
पिछले साल कंपनी ने इंप्रूवमेंट ट्रैकिंग के जरिए संभावित खतरानक ऐप को कम करने का गोल सेट किया था. गूगल ने अपनी इस रिपोर्ट में कहा है कि कंपनी की वेरिफाई ऐप सर्विस 2016 में हर दिन लगभग 450 मिलियन ऐप्स को की जांच की है.
2015 के मुकाबले अब तक 0.016 फीसदी इंस्टॉल ऐप्स में ट्रॉजन घटकर 51.5 फीसदी तक आ गए हैं.
2015 के मुकाबले अब तक 0.003 फीसदी इस्टॉल्स में से बैकडोर 30.5 फीसदी तक कम हुए हैं.
2015 के मुकाबले अब 0.0018 इंस्टॉल्स में से फिशिंग में 73.4 फीसदी की कटौती हुई है.
पिछले साल कंपनी ने मंथली सिक्योरिटी अपडेट में बढ़ोतरी की थी. रिपोर्ट के मुताबिक 200 मोबाइल निर्माताओं के लगभग 735 मिलियन डिवाइस में सिक्योरिटी अपडेट दिए गए हैं. यानी आधे एंड्रॉयड डिवाइस में सिक्योरिटी अपडेट नहीं दिए गए.
इस साल की बात करें तो गूगल सिक्योरिटी अपडेट को कई तरीकों से फिल्टर कर रहा है. गूगल इस सिक्योरिटी अपडेट प्रोसेस को मंथली बेसिस से हफ्ते भर में करना चाहता है. यानी सिक्योरिटी अपडेट पहले के मुकाबले जल्दी मिल सकते हैं. इनमें से कुछ सिक्योरिटी अपडेट पैच के जरिए अलग से मिलेंगी जबकि कुछ फुल एंड्रॉयड अपडेट के साथ दिए जाएंगे.
गूगल के इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जब लोगों ने गूगल प्ले स्टोर से ऐप इंस्टॉल किए तो इसमें से सिर्फ 0.05 फीसदी ही डिवाइस में ही संभावित खतरनाक ऐप्स का खतरा मंडराया. इसे कंपनी Potentially Harmful Application (PHA) कहा जाता है.
कंपनी अपनी इस हालिया रिपोर्ट में कहा है कि सभी डिवाइस के लिए उन्हें अभी काम करना है. खासकर उन लोगों के लिए जो अलग अलग जगहों से ऐप डाउनलोड करते हैं.
कंपनी के मुताबिक 2016 के आखिर तक सिर्फ 0.71 फीसदी एंड्रॉयड डिवाइस में संभावित खतरनाक ऐप्स का खतरा बना रहा जो 2015 के मुकाबले 0.5 फीसदी ज्यादा है. 2017 में कंपनी ने एंड्रॉयड डिवाइस से संभावित खतरनाक ऐप्स की संख्या कम करने का टार्गेट रखा है.