लगभग एक साल पहले सितंबर 2015 में लगभग 9 लाख एंड्रॉयड स्मार्टफोन और टैबलेट्स में घोस्ट पुश नाम का एक मैलवेयर पाया गया था. चीनी सिक्योरिटी फर्म चीता मोबाइल की एक रिपोर्ट रिपोर्ट के मुताबिक अभी भी यह मैलवेयर एंड्रॉयड डिवाइस के लिए खतरा बना हुआ है.
एंटी वायरस फर्म द्वारा की गई एक स्टडी के मुताबिक यह मैलवेयर हर दिन 10 हजार नए डिवाइस में जाकर उन्हे नुकसान पहुंचा रहा है. हैरानी की बात यह है कि जिस डिवाइस में ये पाया गया है उनमें से 50 फीसदी भारत के ही हैं.
ताजा रिपोर्ट के मुताबिक यह मैलवेयर सिर्फ उन डिवाइस को ही नुकसान पहुंचा रहा है जिनमे एंड्रॉयड लॉलीपॉप या उनसे नीचे के वर्जन हैं. गौरतलब है कि दुनिया के ज्यादातर एंड्रॉयड डिवाइस लॉलीपॉप या उनसे नीचे वर्जन वाले ही हैं. यही एंड्रॉयड और इसके डिवाइस की सबसे बड़ी प्रॉब्लम है.
आंकड़ों को देखें तो सितंबर तक सिर्फ 18.7 फीसदी एंड्रॉयड यूजर्स ही 6.0 मार्शमैलो यूज कर रहे हैं. यानी बाकी के 81.3 फीसदी एंड्रॉयड खतरे में हैं. जैसे जैसे एंड्रॉयड पुराना होता जाता है कंपनियां सिक्योरिटी अपडेट देना बंद कर देती हैं और आखिर में इतने कमजोर हो जाते हैं कि मैलवेयर आसानी से अटैक कर सकते हैं.
कैसे काम करता है यह मैलवेयर
SDK फाइल या वेबसाइट के जरिए सबसे पहले ये मैलवेयर आपके फोन में आएगा और आपके मोबाइल का फुल एक्सेस हासिल कर लेगा. हैरानी की बात यह है कि अपने ही मोबाइल का फुल एक्सेस आपके अपने पास भी नहीं होता है और इसे मोबाइल रूट कर के ही हासिल किया जा सकता है. यह मैलवेयर आपकी परमिशन के बिना कुछ एप जैसे 'Time Service' या 'Monkey Test' एप इंस्टॉल करेगा. इस मैलवेयर के आते ही आपका स्मार्टफोन स्लो हो जाएगा और बैट्री भी जल्दी डिस्चार्ज होगी. चूंकि इस मैलवेयर ने आपके फोन का रूट एक्सेस हासिल कर लिया है इसकी वजह से तो आपके स्मार्टफोन को काफी नुकसान पहुंचा सकता है.
कैसे बचें
इससे बचने के लिए आप फोन की सिक्योरिटी सेटिंग्स में जा कर 'Device Administration' सेक्शन में 'Unknown Sources' को ऑफ कर दें ताकि आपके फोन में कोई भी ऐसा एप इंस्टॉल ना हो जिससे मैलवेयर आ सके.
मोबाइल के ब्राउजर की सेटिंग्स में जा कर पॉप अप ब्लॉक कर दें.