अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (NSA) ने स्मार्टफोन पर स्पाइवेयर के लिए गूगल और सैमसंग के एप्लिकेशन स्टोर को हैक करने की योजना बनाई थी. सुरक्षा एजेंसी स्मार्टफोन के जरिए हर गतिविधि पर नजर रखना चाहती थी. यह खुलासा अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एडवर्ड स्नोडेन द्वारा लीक एक दस्तावेज के आधार पर हुआ है.
जानकारी के मुताबिक, अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने इस योजना पर काम करने के लिए ब्रिटेन, कनाडा, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर एक संगठन भी बनाया था. इसे 'फाइव आईज' नाम दिया गया था. इसके लिए साल 2011 और 2012 में सुरक्षा एजेंसियों के बीच मीटिंग भी हुई थी. इस योजना का मुख्य उद्देश्य आतंकी गतिविधियों पर नजर रखने के साथ आतंकी की पहचान सुनिश्चित करना था.
योजना के तहत 'इर्रिटेंट हॉर्न' नाम से एक प्रोजेक्ट तैयार किया गया. इसके जरिए सुरक्षा एजेंसियों को गूगल और सैमसंग के एप्लिकेशन स्टोर को हैक करके स्मार्टफोन में मालिसियस साफ्टवेयर प्लांट करने की इजाजत मिली थी. इस साफ्टवेयर से आसानी से डाटा निकाला जा सकता था.
रिपोर्ट के मुताबिक, खुफिया एजेंसियां गलत सूचनाएं भेजने के लिए स्पाइवेयर का इस्तेमाल का सकती थीं. इससे संभावित विरोधियों को कंफ्यूज किया जा सकता था. एजेंसियों को अफ्रीका क्षेत्र, खासकर, सेनेगल, सूडान और कांगो में ज्यादा रुचि थी. इसके साथ ही फ्रांस, क्यूबा, मोरक्को, स्विट्जरलैंड, बहामा, नीदरलैंड और रूस के स्टोर भी निशाने पर थे.
बताते चलें कि उस समय गूगल एप स्टोर को एंड्राएड मार्केट के नाम से जाना जाता था, जिसे अब गूगल प्ले कहा जाता है. सुरक्षा एजेंसियों का यह प्लान यूसी ब्राउज़र में कमजोरी की वजह से सफल नहीं हो सका.