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क्या 2019 मोबाइल की बैटरी खत्म होने की समस्या के समाधान का साल होगा?

स्मार्टफोन की बैटरी तेजी से चार्ज होती है, लेकिन तेजी से ही ड्रेन भी होती है. अब वक्त आ गया है जब कंपनियां बैटरी बैकअप पर काम करें. क्योंकि यूजर्स को हर बार ये संभव नहीं होता कि हर  बार पावर बैंक लेकर चले.

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Representational Image
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स्मार्टफोन की बैटरी वक्त से पहले डिस्चार्ज होना एक बड़ी समस्या है. पावर बैंक लेकर चलना अब स्मार्टफोन यूजर्स की जरूरत बन चुकी है. कंपनियां लगातार स्मार्टफोन की बैटरी की पावर बढ़ा रही हैं, लेकिन ऐसा नहीं लगता है कि बैटरी टेक में कोई बदलाव हो रहा है. मार्केट में 5,000mAh बैटरी वाले स्मार्टफोन आम हो गए हैं, लेकिन आप जितना उम्मीद करते हैं उससे कम ही बैकअप मिल पाता है.

क्या 2019 बैटरी टेक्नॉलजी के लिए खास होगा? क्या कंपनियां ऐसे स्मार्टफोन्स लेकर आएंगी जो बिना रूके 2 से 3 दिन चल जाए. मिक्स्ड यूज नहीं, बल्कि हेवी यूज मे 2 से 3 दिन अगर स्मार्टफोन चला पाएं तो ये भी बड़ी बात होगी.

हमने आपको 2019 में लॉन्च होने वाले स्मार्टफोन्स के बारे में बताया है जिनकी जानकारियां लीक हुई हैं. लेकिन अफसोस है कि किसी स्मार्टफोन की लीक्ड खबरों में बैटरी टेक्नॉलजी पर कुछ खास देखने को नहीं मिला. ऐसा लगता है जैसे कंपनियों में मोबइल में फीचर्स भरने के लिए कमर कस ली है, लेकिन बैटरी को लेकर कम ही डेवेलपमेंट किए जा रहे हैं.

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स्मार्टफोन कंपनियां फास्ट चार्जिंग पर काम कर रही हैं. चाहे One Plus  की डैश चार्जिंग टेक्नॉलजी हो या फिर Oppo की VOOC. इन सब से निश्चित तौर पर आपाक स्मार्टफोन सुपर फास्ट स्पीड में चार्ज होता है. लेकिन 2018 तक किसी कंपनियों के पास मार्केटिंग के लिए भी ये बोलने को नहीं था कि उनके पास कुछ ऐसी टेक्नॉलजी है जिससे मोबाइल तेजी से ड्रेन नहीं होगा और लंबे समय तक चलेगा. क्या आपको इसकी जरूरत महसूस नहीं होती है?

Lithium Air बैटरी से उम्मीद जगती है, लेकिन 'दिल्ली दूर है...'

यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज के वैज्ञानिकों ने 2915 में Lithium Air बैटरी डेवेलप किया और दावा किया गया कि ये मौजूदा स्मार्टफोन्स में दी जाने वाली Lithium-ion बैटरियों से 10 टाइम ज्यादा पावरफुल हैं. हालांकि अभी इन्हें कमर्शियल तौर पर लाने में दशक लग सकते हैं. कई कंपनियां नई बैटरी टेक्नॉलजी पर काम जरूर कर रही हैं, लेकिन अब तक ये साफ नहीं है कि ये मार्कट में कब आएंगी.

एक तथ्य ये भी है कि मार्केट में अब पतले स्मार्टफोन की होड़ लगी है, इसलिए कंपनियों पर बैटरी पतली करने का भी दबाव है. बैटरियों में इंप्रूवमेंट, बैकअप में इंप्रूवमेंट देखने को मिलता है, लेकिन जिस तेजी से डिस्प्ले, सीपीयू और कैमरे में इंप्रूवमेंट है उसके हिसाब से बैटरी टेक्नॉलजी कछुए की गति से बढ़ रहा है.

इस साल यानी 2019 में भी आपको बैटरी बैकअप की समस्या होती ही रहेगी. क्योंकि अब आपकी जरूरत के हिसाब से 5,000 mAh की बैटरी भी कम है और एक स्मार्टफोन के बैकग्राउंड में जो प्रोसेस होते हैं उन्हें आप नहीं रोक सकते हैं.  

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