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क्या WhatsApp और दूसरे ऐप्स को रेग्यूलेट किया जा सकता है? TRAI ने पूछा

सोशल मीडिया और इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप्स को रेग्यूलेट करने को लेकर दुनिया भर में अक्सर डिबेट चलती है. अब TRAI ने एक फ्रेमवर्क तैयार किया है जिसमें इंडस्ट्री की राय मांगी गई है कि क्या OTT ऐप्स को रेग्यूलेट किया जा सकता है.

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Representational Image
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इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप वॉट्सऐप को रेग्यूलेट किया जा सकता है या नहीं ये तो आने वाले समय में ही पता चलेगा. लेकिन टेलीकॉम रेग्यूलेटर अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने वॉट्सऐप जैसी ओवर द टॉप सर्विस को रेग्यूलेट करने को लेकर एक पेपर जारी किया है.

TRAI ने सोमवार को एक पेपर जारी किया है जिसमें इंडस्ट्री से यह राय मांगी गई है कि क्या वॉट्सऐप, स्काइप और वाइबर जैसी सर्विस को रेग्यूलेट किया जाना चाहिए. चूंकि सीधे तौर पर इन्हें रेग्यूलेट करना नेट न्यूट्रैलिटी के खिलाफ हो सकता है. इसलिए इसे इकॉनॉमिक और सिक्योरिटी का हवाला देकर रेग्यूलेट किया जा सकता है.

TRAI द्वारा तैयार किए गए इस पेपर का टाइटल ‘Regulatory framework for over the top communication service’ है. इसे दरअसल विचार विमर्श के लिए लाया गया है कि क्या इन सर्विस को रेग्यूलेट किया जाना चाहिए. इसमें यह भी कहा गया है कि क्या टेलीकॉम कंपनियों की तरह इन क्मयूनिकेशन ऐप्स को नेशनल सिक्योरिटी हित में रेग्यूलेट करने की जरूरत है. क्योंकि कभी कभी इस तरह के ऐप्स खतरनाक अफवाह फैलाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं और ये अफवाह कहां से फैलाए जा रहे हैं ये पता लगाना मुश्किल होता है और ये सिक्योरिटी एजेंसी के लिए भी यह मुश्किल है.

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TRAI ने इस पेपर में यह भी पूछा  है कि क्या टेलीकॉम कंपनियों के लिए डेटा सिक्योरिटी, प्राइवेसी कानून इन कम्यूनिकेशन ऐप्स से अलग होने चाहिए.

गौरतलब है कि टेलीकॉम कंपनियों की मांग रही है कि वॉट्सऐप जैसे कम्यूनिकेशन ऐप्स को भी रेग्यूलेट किया जाना चाहिए, क्योंकि ये बिना लाइसेंस और शर्तों के ऐसी ही सर्विस देते हैं.  इसलके लिए उन्हें लाइसेंस फी भी नहीं देनी होती है जिससे उन्हें फायदा होता है.

OTT सर्विस को रेग्यूलेट करने को लेकर नेट न्यूट्रैलिटी को सपोर्ट करने वाले खिलाफ रहे हैं. उनका मानना है कि रेग्यूलेट करने से यूजर्स की प्राइवेसी में समस्या होगी.

TRAI ने कहा है, ‘इस कन्सल्टेशन पेपर का उद्देश्य OTT के ग्रोथ और इससे हो रही समस्याओं का विश्लेषण और परामर्श करना है. इसमें OTT और टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स के संबंध भी शामिल हैं.

TRAI ने इंडस्ट्री से इस मुद्दे पर अपनी राय रखने को कहा है और इसके लिए 10 दिसंबर तक की डेडलाइन है.

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