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WhatsApp ने फैक्ट चेक के लिए Proto के साथ पार्टनर्शिप की है, लेकिन ये काफी स्लो है

चुनाव से पहले WhatsApp ने प्रोटो नाम के स्टार्टअप के साथ मिल कर भारत में फैक्ट चेक सर्विस शुरू की है. 24 घंटे से ज्यादा हो गए हमने कई खबरें फैक्ट चेक करने के लिए भेजी कोई रेस्पॉन्स नहीं मिला है. क्या फ्लॉप शो बन कर रह जाएगी ये सर्विस?

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Representational Image
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WhatsApp ने भारत के लिए फैक्ट चेक सर्विस का ऐलान किया है. हालांकि इसे वॉट्सऐप की सर्विस नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि इसे वॉट्सऐप ने रिसर्च प्रोजेक्ट के तौर पर कमीशन किया है. ये एक टिपलाइन है और इस नंबर पर फैक्ट चेक के लिए कॉन्टेंट भेज सकते हैं.

इसके लिए कंपनी ने Proto नाम के एक लोकल स्टार्टअप के साथ पार्टनर्शिप की है और एक नंबर जारी किया है. इस नंबर पर मैसेज करके आप खबरों को वेरिफाई कर सकते हैं. लेकिन मैंने इसे ट्राई किया और 24 घंटे से ज्यादा हो गए कोई फैक्ट चेक नहीं है. कई लोगों ने ट्राई किया, सिर्फ ऑटो रिप्लाई मिलता है.

वॉट्सऐप के मुताबिक ये वॉट्सऐप की सर्विस नहीं है न ही वॉट्सऐप का कोई फीचर है. प्रोटो और दूसरे लोकल स्टार्टअप के साथ वॉट्सऐप ने पार्टनर्शिप की है जो फैक्ट चेक करते हैं. ये नंबर वॉट्सऐप का अपना नहीं है, बल्कि प्रोटो का है. अगर आप ये समझ रहे हैं कि ये वॉट्सऐप की सर्विस है और वॉट्सऐप ने भारत में फैक्ट चेक सर्विस लॉन्च की है तो आप गलत हैं. 

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भारत में WhatsApp के 200 मिलियन से ज्यादा यूजर्स हैं. ऐसे में इस तरह की फैक्ट चेक सर्विस असंभव लगती है. भारत पहला देश है जहां वॉट्सऐप ने ये कदम उठाया है. इसका मकसद फेक न्यूज को रोकना है. 

प्रोटो नाम की ये कंपनी फैक्ट चेक के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का करती है या इसे लोग वेरिफाई करते हैं ये सीक्रेट है.

फेसबुक ने अपने प्लेटफॉर्म पर फैक्ट चेक करने के लिए कई कंपनियों के साथ पहले से पार्टनर्शिप की है, लेकिन फिर भी इसका असर फेसबुक पर नहीं दिखता है.

मुमकिन है WhatsApp ने सरकार के लगातार दबाव से बचने के लिए ये रास्ता निकाला है. सरकार काफी पहले से ये मांग कर रही है कि फेक न्यूज भेजने वाले के ऑरिजिन का पता लगाने के लिए कंपनी एक टूल डेवेलप करे. वॉट्सऐप ने साफ कहा है कि ऐसा नहीं हो सकता, क्योंकि वॉट्सऐप एंड टु एंड एन्क्रिप्शन वाला प्लेटफॉर्म है.

आम चुनाव भी आने वाले हैं, ऐसे में वॉट्सऐप ने एक थर्ड पार्टी फैक्ट चेक एजेंसी के साथ मिल कर एक नंबर जारी किया है. शायद इससे अब सरकार का दबाव वॉट्सऐप पर कम हो जाएगा. भले ही फैक्ट चेक हो या न हो.

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WhatsApp ने एक स्टेटमेंट में कहा है कि कंपनी Proto नाम के एक लोकल स्टार्टअप के साथ काम कर रही है. इसके तहत यूजर्स को उनके रिक्वेस्ट पर ये बताया जाएगा कि खबर ट्रू है, फॉल्स है, मिस्लीडिंग या या डिस्प्यूटेड है.  

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