क्या सोशल मीडिया वेबसाइट फेसबुक लॉग आउट करने के बाद भी आपको ट्रैक कर रहा है. फेसबुक पर ऐसे आरोप पहले से लग रहे हैं. इसके लिए सोशल मीडिया दिग्गज फेसबुक पर मुकदमा भी किया गया है.
दी गार्डियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक फेसबुक के खिलाफ किए गए मुकदमे में कहा गया है कि दूसरे वेबसाइट पर फेसबुक के लाइक बटन दिए जाते हैं. इन लाइक बटन के ही जरिए फेसबुक यूजर्स की ब्राउजिंग हिस्ट्री ट्रैक करता है. मुकदमा करने वाले शख्स ने दावा किया है कि यह अमेरिका के फेडरल और स्टेट प्राइवेसी कानून का उल्लंघन करता है.
हालांकि सैन होजे में अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट जज एडवर्ड डेविला ने इस मुकदमे को खारिज कर दिया है . जज के मुताबिक मुकदमा करने वाले ऐसे सबूत देने में फेल रेह हैं जिससे यह साबित हो कि इससे उन्हें नुकसान हुआ है या फेसबुक ऐसे कैसे कर रहा है.
जज डेविला ने लिखा है, ‘यूजर्स के वेब ब्राउजर खुद से दोनो पार्टियों को जानकारियां भेजता है. यानी फेसबुक और दूसरी वेबसाइट को. ऐसी चीजें इस बात को साबित नहीं करती हैं कि पहली पार्टी ने दूसरी पार्टी से यूजर्स के कम्यूनिकेशन डीटेल्स हासिल किए हैं’
जज ने कहा कि याचीकाकर्ता अगर चाहे तो अपनी ब्राउजिंग हिस्ट्री प्राइवेट रख सकता है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि डिजिटल ऐडवर्टाइजिंग अलाइंस ऑप्ट आउट टूल या इनकॉग्निटो मोड यूज करते हुए ऐसे कर सकता है.
गौरतलब है कि यह मुकदमा पांच साल पुराना है और इससे पहले भी जज ने इस मुकदमे को खारिज किया था. 2011 में ऑस्ट्रैलिया के एक सिक्योरिटी ब्लॉगर निक क्यूरिलॉविक ने सबसे पहले यह पाया था कि फेसबुक लॉग आउट होने के बाद भी यूजर्स को ट्रैक करता है.
गार्डियन के मुताबिक इसका जवाब देते हुए फेसबुक के इंजीनियर ग्रेग स्टेफनिक ने यह साफ किया था कि सुरक्षा कारणों से फेसबुक के पास कूकीज स्टोर होते हैं, क्योंकि ऐसा करने से दूसरा यूजर्स असल अकाउंट में सेंध लगा नहीं सकता. लेकिन कंपनी इस कूकीज का इस्तेमाल किसी की जानकारी बेचने के लिए या थर्ड पार्टी वेबसाइट के लिए यूज नहीं करती है.
फेसबुक के प्रवक्ता ने कोर्ट के इस फैसले कहा है कि हम इस फैसले से काफी खुश हैं.
फिलहाल मुकदमा करने वाले के वकील ने इसपर कोई भी बयान जारी नहीं किया है.