ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर करना जितना आसान है, उतनी ही जोखिम भरा भी. इस सुविधा के जरिये सिर्फ एक क्लिक में दुनिया के किसी भी कोने से पैसे ट्रांसफर किए जा सकते हैं. लेकिन अगर थोड़ी सी भी चूक हो गई तो ये रकम गलत इंसान को पहुंच सकती है. इसलिए जितनी आसानी से पैसे दूसरे अकाउंट में पहुंच जाते हैं, उतनी ही परेशानी होती है वापस उन पैसों को क्लेम करने में.
तो ऑनलाइन मनी ट्रांसफर करते वक्त इन बातों का ख्याल रखें:
-नया बेनिफिशियरी जोड़ते वक्त रहें अलर्ट
वैसे तो बेनिफिशियरी का अकाउंट नंबर दो बार इसलिए टाइप करना होता है ताकि मिसमैच होने पर गड़बड़ी का पता चल सके. लेकिन अगर पहली ही बार आपने
एहतियात से बेनिफिशियरी का अकाउंट नंबर लिख लिया है, तो दोबारा उसे टाइप करने के बजाय कॉपी पेस्ट कर दें.
-बेनिफिशियरी का मोबाइल नंबर बैंक को दें
बेनिफिशियरी का भी मोबाइल नंबर बैंक को जरूर दें. इससे बैंक आपको और पैसा जिसके अकाउंट में भेजा गया यानी बेनिफिशियरी को मोबाइल पर ट्रांजेक्शन की सूचना
देगा.
-कूलिंग पीरियड में ना ट्रांसफर करें पैसे
अगर नए बेनिफिशियरी को पैसे भेज रहे हैं, तो उसके नाम की एंट्री करने के आधे घंटे के बाद ही पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं. इसे कूलिंग पीरियड कहा जाता है.
-गलत ट्रांसैक्शन की सूचना फौरन बैंक को दें
रिजर्व बैंक के नियम के मुताबिक ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में हुई गड़बड़ी के लिए ग्राहक खुद जिम्मेदार है. इसलिए ऐसे मामलों में बैंक बेनिफिशियरी के अकाउंट से पैसे
रिकॉल नहीं करता. फिर भी अगर इसकी जानकारी ट्रांजेक्शन के घंटभर में बैंक को दें, तो कार्रवाई हो सकती है. अगर पैसे भेजने वाले और जिसके अकाउंट में पैसे भेजे
गए दोंनो के अकाउंट एक ही बैंक में हो, तो पैसे वापस मिलना ज्यादा आसान होता है. वर्ना कानूनी प्रक्रिया अपनानी होगी.