बच्चे 1980-90 के दशक में माता-पिता और दादी-दादी या नाना-नानी से राम की वीरता, तेनाली राम की समझादारी या पंचतंत्र की कहानियां सुना करते थे. बड़ों के जीवन की आपाधापी में और सिकुड़ते परिवारों के बीच आज के बच्चे उस सुख से दूर होने लगे हैं.
डिजिटल युग में इसका समाधान करने के लिए कहानी सुनाने वाला खिलौना नियो पेश किया गया है जो ऐप आधारित है. अभिभावकों के लिए बनाया गया नियो बच्चों को अपने पैरेंट्स की आवाज में भी पुराने समय की कहानियां सुना सकता है. इसके लिए जरूरी नहीं कि वे अपने बच्चों के पास बैठे ही हों.
इस ऐप का इस्तेमाल करके पैरेंट्स कहानियों को रिकॉर्ड कर सकते हैं और उसे इंटरनेट के जरिए नियो पर भेज सकते हैं और बच्चे अपनी इच्छा के अनुसार जब चाहे उन्हें सुन सकते हैं. दरअसल नियो राक्षस की शक्ल का खिलौना है. इसमें एक GB तक डेटा स्टोर की क्षमता है.
इसमें 100 से ज्यादा कहानियां भरी जा सकती है. सोशल टॉयज के सह-संस्थापक अमित देशपांडे ने पीटीआई से कहा, नियो, माता-पिता का विकल्प नहीं बन सकता हैं, लेकिन यह माता-पिता को छोटे बच्चों को अपनी आवाज में कहानियां सुनने की अनुमति देता है.
वर्तमान में एकल परिवारों के दौर में यह दादा-दादी को बच्चों से जोड़ने का अच्छा माध्यम है. उन्होंने कहा, नियो एक खिलौना है , जिसे बच्चे अपने साथ रख सकते हैं. कंपनी ने इस खिलौने की बिक्री अगले साल जनवरी तक शुरू करने की योजना बनाई है. जब इसे जनता के उपलब्ध कराया जाएगा तो इसकी कीमत 3500 रुपये होगी.