जापान में पिछले साल 140 कंपनियों पर किए गए साइबर हमलों में 20 लाख से ज्यादा प्राइवेट आंकड़े चोरी हो गए या इनके सार्वजनिक रूप से जाहिर होने का खतरा पैदा हो गया है. इन 140 कंपनियों में से 75 ने कहा कि उन्हें आंकड़ों की चोरी की जानकारी तब मिली, जब उन्हें पुलिस या दूसरे बाहरी ग्रुप्स ने बताया.
जापान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साइबर हमले का शिकार हुई कंपनियों में से 69 निजी कंपनियां और 49 सरकारी एजेंसियां व उनकी सहयोगी कंपनियां है और 22 विश्वविद्यालय हैं.
जिन कंपनियों के आंकड़ों में सेंध लगी उनमें से 40 कंपनियों ने कहा कि उनको इस बात की जानकारी थी कि उन्हें निशाना बनाया जा रहा है. जापान के सबसे बड़े पेंशन प्रदाता के 12.5 लाख से ज्यादा लोगों के आईडी नंबर, नाम, पते और जन्मदिन के आंकड़े चोरी हो गए.
कई कंपनियों को नहीं है जानकारी
सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स का कहना है कि जो जानकारी सामने आई है, वह साइबर हमले का बहुत छोटा सा हिस्सा है. कई ऐसी कंपनियां हैं, जिन्हें पता भी नहीं होगा कि उन्हें निशाना बनाया गया है.
मतसुयामा की एक बेवसाइट निर्माता और प्रिटिंग कंपनी सेकीको के एक अधिकारी का कहना है कि लगभग 2 लाख 10 हजार निजी आंकड़ों में सेंध लगी है. वहीं सिजूयोका शहर की कंपनी तमिया ने कहा है कि लगभग 1 लाख 7 हजार निजी आंकड़ों की चोरी हुई है.
DDoS अटैक से किया गया हैक
22 संस्थाओं ने पुष्टि की है कि उन्हें DDoS (डिस्ट्रीब्यूटेड डिनाइल ऑफ सर्विस) हमले का निशाना बनाया गया. इस हमले में किसी वेबसाइट को निशाना बनाकर कई जगह से उसे एक साथ लगातार खोला जाता है, जिससे उस वेबसाइट पर सामान्य से कहीं ज्यादा ट्रैफिक बढ़ जाता है. इससे सर्वर बंद हो जाने से वह वेबसाइट काम करना बंद कर देती है.