डिजिटल सिस्टम पर बढ़ती निर्भरता और बिजनेस सॉफ्टवेयर के बढ़ते इस्तेमाल की
वजह से दुनिया भर के परमाणु ऊर्जा ठिकानों पर साइबर हमले का खतरा बढ़ता जा
रहा है. लंदन के थिंक टैंक 'चैडम हाउस' ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का
खुलासा किया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि परमाणु संयंत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी के व्यवसायिक यूज के लिए वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) कनेक्शन इंस्टाल किए गए हैं, जिन्हें तोड़ना साइबर अपराधियों के लिए ज्यादा मुश्किल नहीं है.
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यहां तक कि जहां परमाणु संयंत्रों में इस्तेमाल की जाने वाली तकनीकों को पब्लिक नेटवर्क से अलग रखा जाता है, वहां भी महज एक फ्लैश ड्राइव के जरिए इनकी सुरक्षा में सेंध लगाई जा सकती है.
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, विशेषज्ञों ने आपूर्ति श्रृंखला में सेंध, व्यक्तिगत प्रशिक्षण और साइबर सिक्योरिटी में कमी को भी इस खतरे का जिम्मेदार बताया है.
खतरों को कम करने के लिए शोधकर्ताओं ने कई उपाय भी सुझाए हैं.
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साइबर सिक्योरिटी उपायों में, खतरे का आकलन, सुरक्षित नियम लागू करना, औद्योगिक कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पाॅन्स टीम का गठन और नियामक मानदण्डों को वैश्विक स्तर पर अपानाने को प्रोत्साहन देना शामिल है.
इनपुट: IANS