मानव नेत्र का प्रतीक बताये जाने वाले दूरदर्शन का मौजूदा लोगो जल्द ही बीते समय की बात हो सकता है क्योंकि दूरदर्शन अपने करीब 60 साल पुराने लोगो को बदलने जा रहा है. सरकारी प्रसारक युवाओं से संपर्क बढ़ाने के साथ ही दूरदर्शन के ब्रांड से जुड़ी पुरानी यादों का संरक्षण भी चाहता है. दूरदर्शन ने मौजूदा लोगो को बदलने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
मौजूदा लोगो का इस्तेमाल दूरदर्शन 1959 से कर रहा है. देशभर में दूरदर्शन 23 चैनलों का प्रसारण करता है और उसने एक लोगो डिजाइन प्रतियोगिता का आयोजन किया है जिसके विजेता को 1 लाख रूपये बतौर पुरस्कार दिया जायेगा.
दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो का संचालन करने वाली प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शशि एस वेंपति ने कहा, देश की कई पीढ़ियों के लिये दूरदर्शन ब्रांड और लोगो यादों से जुड़ा है. आज देश की आधी संख्या आबादी 30 साल से कम उम्र की है और दूरदर्शन को लेकर उनकी वैसी यादें नहीं हैं जैसी इससे पहले की पीढ़ी की हैं.
भारत की करीब 65 फीसदी आबादी 35 साल से कम उम्र की है. लोगो डिजाइन सबमिट करने की अंतिम तिथि 13 अगस्त है.इस कदम को अपने नेटवर्क के आधुनिकीकरण और सुधारने के लिए प्रसारक की कार्रवाई के हिस्से के रूप में देखा जा सकता है.