फेसबुक के 'फ्री बेसिक्स' पर तमाम विवाद उठ रहे हैं और कई जगह इसको बैन करने की मांग उठ रही है. बता दें कि इसके तहत कुछ वेबसाइट और एप का फ्री एक्सेस दिया जाता था. लेकिन इसे प्राइवेसी पर खतरा भी बताया जा रहा है.
फिलहाल मिस्र सरकार ने इसे देश से बैन कर दिया है. 'एसोसिएटेड प्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक, दो साल पहले फेसबुक ने मिस्र में वहीं की एक टेलीकॉम कंपनी, एतिसलात, के साथ मिलकर इंटरनेट डॉट ओआरजी के शुरुआत की थी.
वहीं भारत में भी फेसबुक के तथाकथित फ्री बेसिक्स के प्रस्तावित होने पर इससे होने वाले नेट न्यूट्रैलिटी के खतरे पर बहस छिड़ी है. इंटरनेट अधिकारों से जुड़े कई संगठनों ने फेसबुक के इस प्रस्ताव के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है जिनमें आईआईटी और आईआईएस के प्रोफेसर्स भी शामिल हैं. संसद में भी इस मुद्दे पर बहस हो रही है.
इस बैन के बाद फेसबुक ने कहा कि उसे उम्मीद है कि मिस्र में इसपर से जल्दी ही बैन हटा लिया जाएगा और यहां के 9 मिलियन लोग दोाबरा फ्री बेसिक इंटरनेट यूज कर पाएंगे.
हालांकि मिस्र के अधिकारियों ने अभी तक इस बैन के पीछे की वजह नहीं बताया है, पर भारत की तरह ही वहां भी इंटरनेट अधिकारों से जुड़े कई संगठन इसका विरोध कर रहे थे. टेलीकॉम कंपनी एतिसलात ने भी इस मामले पर अभी तक कोई बयान जारी नहीं किया है.
'इंटरनेट डॉट ओआरजी' से बदलकर इसे 'फ्री बेसिक्स बाइ फेसबुक' किया गया
फेसबुक ने भारत में शुरुआत में रिलाइंस के साथ मिलकर भारत में Internet.org शुरू किया था. फेसबुक का दावा था कि रिलाइंस के साथ मिलकर वह कुछ एप फ्री देगा. इसके बाद एयरटेल सहित कई और कंपनियों के साथ फेसबुक ने इसके लिए करार किया.
साल के मिड में भारत में लोगों ने इसे नेट न्यूट्रैलिटी के खिलाफ मान कर इसे खत्म करने के लिए जमकर हंगामा किया. मौके की नजाकत और बढ़ते दबाव को देखते हुए एयरटेल ने फेसबुक से इंटरनेट डॉट ओआरजी के लिए करार खत्म कर लिया. अब फेसबुक ने इस Internet.org का नाम बदलकर फ्री बेसिक्स बाइ फेसबुक कर लिया है ताकि लोगों को लगे कि फेसबुक उन्हें फ्री इंटरनेट दे रहा है.
'मूल सिद्धांत के खिलाफ है फेसबुक का फ्री बेसिक'
फेसबुक के विवादास्पद इंटरनेट ओआरजी के फ्री बेसिक्स के खिलाफ आईआईटी और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस के 75 प्रोफेसर्स ने जॉइंट स्टेटमेंट दी है. इसमें उनकी ओर से टीआरएआई से इस सर्विस को लागू न करने की अपील की गई है.
इसके अलावा इन्होंने प्राइवेसी मुद्दे को उठाते हुए कहा कि यह सर्विस पूरी तरफ फ्री नहीं होगी क्योंकि इसके बाद टेलीकॉम कंपनियां कहीं न कहीं से इस तथाकथित फ्री बेसिक्स के पैसे वसूल कर लेंगी. साथ ही इस स्टेटमेंट में यह भी कहा गया है कि फ्री बेसिक्स नेट न्यूट्रैलिटी के मूल सिद्धांत का हनन है और TRAI को इसे खारिज करना चाहिए.
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