थाईलैंड की गुफा में काफी मशक्कत के बाद 6 बच्चों को बाहर निकाल लिया गया है. बच्चों को बाहर गोताखोरों की मदद से बाहर निकाला गया है. लेकिन यह काम बेहद कठिन रहा. बच्चों को गुफा से सुरक्षित निकालने के लिए अन्य उपायों पर भी काम किया जा रहा है. इनमें से एक है बेबी सबमरीन. अमेरिका के सबसे अमीर लोगों में शामिल और स्पेसएक्स और टेस्ला के सीईओ एलन मस्क बच्चों की मदद करने के लिए आगे आए हैं. मस्क ने कहा है कि उनकी कंपनी एक छोटी पनडुब्बी बना रही है जो इस गुफा में अंदर जा सकेगी. खास बात ये होगी कि इसे रॉकेट के पार्ट्स से तैयार किया जाएगा.
हालांकि अभी जिस तरह से रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है, उससे उम्मीद जताई जा रही कि इस सबमरीन के बगैर ही बच्चों को सुरक्षित निकाल लिया जाएगा. लेकिन फिर भी किसी भी स्थिति को देखते हुए बेबी सबमरीन भी तैयार किया जा रहा है.
इसकी जानकारी एलन मस्क ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल के जरिए दी है. मस्क ने ट्वीट में कहा, 'थाईलैंड से बेहतर प्रतिक्रिया मिलने के बाद हम बच्चों के आकार वाली पनडुब्बी को बनाने के लिए काम कर रहे हैं. ये पनडुब्बी फॉल्कन रॉकेट के लिक्विड ऑक्सिजन ट्रांसफर ट्यूब के जरिए संचालित होगी. ये पनडुब्बी वजन में काफी हल्की होगी और 2 गोताखोर इसे ले जा सकेंगे. ये काफी मजबूत भी होगी और इसे गुफा के संकरे रास्तों से आसानी से निकाला जा सकेगा.'
कई और ट्वीट्स में मस्क ने जानकारी दी है कि इस पनडुब्बी में 8 हिच पॉइन्ट्स होंगे, जिनमें 4 आगे और 4 पीछे की तरफ होंगे. साथ ही लीकेज से बचाने के लिए 4 एयर टैंक भी जुड़े होंगे.Some good feedback from cave experts in Thailand. Iterating with them on an escape pod design that might be safe enough to try. Also building an inflatable tube with airlocks. Less likely to work, given tricky contours, but great if it does.
— Elon Musk (@elonmusk) July 7, 2018
साथ ही कुछ सवालों के जवाब देते हुए ट्विटर पर मस्क ने जानकारी दी कि इस पनडुब्बी को लगभग 8 घंटे में तैयार कर लिया जाएगा और फ्लाइट से इसे थाईलैंड पहुंचने में 17 घंटे का वक्त लगेगा.
23 जून को वाइल्ड बोर्स नाम की टीम ने फुटबॉल मैच खेला. बच्चे हमेशा की तरह मौज मस्ती करना चाहते थे. साइकिल रेस लगाते हुए टीम गुफा तक जा पहुंची. रेस में 13वां लड़का भी था. लेकिन किसी कारणों से उसको वापस जाना पड़ा.
वे अलग-अलग रास्ते से अंदर घुसते जा रहे थे. देखते-देखते इतनी बारिश हुई कि गुफा में बाढ़ आ गई. बाहर निकलने का एक ही रास्ता था और वह पूरी तरह बंद हो चुका था.
रात तक जब बच्चे घर नहीं लौटे तो घरवाले परेशान हो गए. इसकी खबर प्रशासन को दी गई. प्रशासन खोज में लग गया. थाईलैंड की नेवी सील इस ऑपरेशन में लगा दी गई.
ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, चीन समेत 8 देश बचाव में लगे. आखिरकार गोता लगाते हुए रेस्क्यू टीम बच्चों के करीब तक पहुंची, लेकिन अभी वे प्रवेश द्धार से 4 किमी दूर थे. एक प्रशिक्षित तैराक को वहां पर पहुंचने में 6 घंटे लग रहे हैं और निकलने में 5 घंटे. लोगों को लगा राहतकर्मी बच्चों को लेकर आएंगे, लेकिन गुफा के अंदर कई जगह ऐसी हैं जहां तैराकी करनी है, ऐसी स्थिति में एक प्रशिक्षित तैराक ही तैर सकता है.
बारिश में हमेशा इन गुफाओं में पानी भर जाता है और सितंबर के महीने तक ही उतरता है. 9 दिन तक बच्चों ने खाना नहीं खाया, सिर्फ बाढ़ के पानी के सहारे ही जिंदा थे. बच्चों को ये तक नहीं पता था कि वे कितने दिन से फंसे हुए हैं. पहाड़ों के नीचे गुफा है. कुछ रास्ते ऊपर जाते हैं और कुछ नीचे. हर रास्ते को जोड़ने वाले में पानी भर हुआ है.
बच्चों को न तैरना और न ही गोता लगाना आता है. बच्चों को स्विमिंग और डाइविंग सिखाई जा रही है. गुफा के अंदर डॉक्टरों का एक दल पहुंच चुका है. गोताखोर ने खाना पहुंचा दिया है. बच्चों के लिए 4 महीने के खाने का इंतजाम कर दिया गया है.
बातचीत के लिए फोन भी पहुंचाया गया, लेकिन भीगने से वह भी खराब हो गया. पानी निकालने के लिए पंप लगा हुआ है. गुफा का जलस्तर 16 सेंटीमीटर तक घट चुका है. लेकिन पहाड़ से रिसकर पानी दोबारा भर जा रहा है. डर है कि अगर फिर तेज बारिश हुई तो जहां बच्चों ने शरण ली है, वह जगह धंस सकती है और अगले कुछ दिन भारी बारिश की चेतावनी है.