scorecardresearch
 

FB फेस रिकॉग्निशन नहीं है सटीक, लोगों को हो सकती है परेशानी

फेसबुक की टेक्नॉलॉजी फोटोज और वीडियोज के पिक्सल को ऐनालाइज करती है जिसमें आपकी प्रोफाइल फोटो, वीडियोज शामिल होते हैं. ऐनालाइज करके एक नंबर निकाला जाता है जिसे फेसबुक टेंपलेट कहती है. इस टेंपलेट को फेसबुक दूसरे फोटोज और वीडियोज से कंपेयर करती है अगर ये दोनों मैच करते हैं तो समझिए आपकी पहचान हो गई. लेकिन इसके बाद भी अगर फेसबुक आपको सलमान खान समझ कर टैग कर दे तो हैरानी तो होगी ही. इसके साथ आपके मन में कई सवाल भी उठेंगे.

Advertisement
X
Representational Image
Representational Image

Advertisement

फेसबुक इन दिनों डेटा ब्रीच को लेकर सुर्खियों में बना हुआ है. हाल ही में फेसबुक ने फेशियल रिकॉग्निशन फीचर की शुरुआत की है. फेसबुक पहले भी फेस रिकॉग्निशन फीचर यूज करता है, लेकिन इस बार इसे दूसरी तरह से यूज करने का प्लान है.

फेसबुक का यह नया फीचर इसलिए लाया गया है ताकि लोगों को पहचान की समस्या न हो. इसका दूसरा मकसद किसी यूजर की फोटो का गलत इस्तेमाल न हो उसे सुनिश्चित करना है. इसके लिए फेसबुक फेस रिकॉग्निशन का सहारा ले रहा है. फेसबुक के मुताबिक इस फीचर के तहत फेसबुक पर अगर कोई यूजर आपकी फोटो अपलोड करता है तो फेस रिकॉग्निशन फीचर के जरिए आपको एक नोटिफिकेशन मिलेगा. इस नोटिफिकेशन में बताया जाएगा कि फेसबुक यूजर ने एक फोटो अपलोड की है जिसमें आप हो सकते हैं.

Advertisement

हाल ही में मैंने इस फीचर को अपने फेसबुक पर ऑन किया था, काफी दिनों तक कोई नोटिफिकेशन नहीं मिला. अचानक 26 मार्च को कुछ लोगों ने सलमान की आने वाली फिल्म Race 3 का पोस्टर अपलोड किया और मुझे नोटिफिकेशन मिलना शुरू हुआ. चूंकि इनमें से किसी ने मुझे उन पोस्टर में टैग नहीं किया था और नोटिफिकेशन मुझे मिला तो ये हैरान करने वाला था. क्योंकि एक यूजर ऐसा था जो मेरी फ्रेंड लिस्ट में भी नहीं है.

इस पोस्टर में सलमान खान और अनिल कपूर सहित कुछ और स्टार हैं. लेकिन फेसबुक ने सलमान खान की फोटो के पास स्क्वॉयर बना कर मुझे ये बताना चाहा कि इस फोटो में आप हो सकते हैं. इसमें फेसबुक ने तीन ऑप्शन दिए – Not Me, Ignore और Tag yourself.  मैंने पहला ऑप्शन चुना. कुछ देर में नोटिफिकेशन आने बंद हो गए.

इससे दो सवाल उठते हैं – पहला ये कि फेसबुक फेस रिकॉग्निशन काम कैसे करता है और दूसरा ये कि किस आधार पर फेसबुक टैग करता है. चूंकि फेसबुक ने इस फीचर के साथ ऐपल के फेस आईडी की तरह ये दावा नहीं किया है कि फेस रिकॉग्निशन 99.9 फीसदी सही होगा. ऐपल और इसकी टेक्नॉलॉजी काफी अलग है. एक तरफ ऐपल आपके चेहरे को स्कैन करके फेस रिकॉग्निश यूज करता है और इसके लिए कंपनी ने कई डेडिकेटेड सेंसर्स दिए हैं तो दूसरी तरफ फेसबुक आपकी तस्वीरों को स्कैन और ऐनालाइज करके मशीन लर्निंग के जरिए यह पता लगाता है कि आप कौन हैं. इसमें चूक होना बड़ी बात नहीं है. लेकिन इससे फेसबुक पर सवाल उठने लाजमी हैं.

Advertisement

फेसबुक सेटिंग में फेस रिकॉग्निशन फीचर दिया गया है जिसे आप चाहें तो एनेबल या डिसेबल कर सकते हैं. इस फीचर की शुरुआत के साथ भी प्राइवेसी ऐक्सपर्ट्स ने ये सवाल उठाया था कि फेसबुक फेस रिकॉग्निशन फीचर यूजर्स की प्राइवेसी के लिहाज से खतरनाक है. लेकिन फेसबुक ने एक स्टेटमेंट जारी किया जिसमें कहा गया कि फेस रिकॉग्निशन का डेटा किसी भी थर्ड पार्टी को नहीं दिया जाएगा और एक तय समय में इसे डिलीट कर दिया जाएगा.

फेसबुक का फेस रिकॉग्निशन फीचर काम कैसे करता है?

फेसबुक की टेक्नॉलॉजी फोटोज और वीडियोज के पिक्सल को ऐनालाइज करती है जिसमें आपकी प्रोफाइल फोटो, वीडियोज शामिल होते हैं. ऐनालाइज करके एक नंबर निकाला जाता है जिसे फेसबुक टेंपलेट कहता है. इस टेंपलेट को फेसबुक दूसरे फोटोज और वीडियोज से कंपेयर करता है अगर ये दोनों मैच करते हैं तो समझिए आपकी पहचान हो गई. लेकिन इस घटना से यह समझ में आता है कि अभी फेसबुक की यह टेक्नॉलॉजी कमजोर है और इसमें काफी खामियां हैं जिससे आम यूजर को समस्या हो सकती है.

मेरी जानकारी में मैंने अपने फेसबुक पर कभी भी बतौर प्रोफाइल फोटो सलमान खान की तस्वीर नहीं लगाई है, न ही मैं उनका फैन हूं. मैंने शाहरूख खान की तस्वीर को प्रोफाइल फोटो में पहले लगाया है और अगर शाहरूख खान की फोटो में फेसबुक फेस रिकॉग्निशन के जरिए मुझे टैग करता तो शायद हैरानी नहीं होती. लेकिन यह एक घटना फेसबुक के फेस रिकॉग्निशन की खामी को दर्शाती है. अगर ऐसा रहा तो आने वाले समय में फेसबुक यूजर्स के पास ऐसे नोटिफिकेशन की भरमार हो सकती है जिस फोटो में वो नहीं होंगे उनमें भी फेसबुक उन्हें टैग करने को कहेगा.

Advertisement
Advertisement