आप सिंगल हैं या किसी को डेट कर रहे हैं, आपको कौन सा एक्टर या सिंगर पसंद है, यह फेसबुक पहले से जानता है. लेकिन अब इसने यह पता लगाने की कोशिश की कि चंद कंप्यूटर की स्ट्रोक्स से कैसे यूजर्स को खुश या नाराज किया जा सकता है. लेकिन इस प्रयोग ने आप तक पहुंचने वाली सूचनाओं के एक हिस्से को रोक दिया और दुनिया की सबसे पॉपुलर सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट आलोचनाओं के घेरे में आ गई.
आप जानकर चौंक जाएंगे कि फेसबुक खोलने पर आपको क्या दिखेगा और क्या नहीं, इसे पिछले दिनों कंट्रोल किया जा रहा था. कोई और नहीं, खुद फेसबुक ही बिना इजाजत आपकी न्यूज फीड से छेड़छाड़ कर रहा था.
नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेस के एक रिसर्च पेपर में दावा किया गया है कि फेसबुक ने अपने एक प्रयोग के लिए करीब 7 लाख से ज्यादा यूजर्स की न्यूज फीड में तब्दीलियां कीं. दरअसल फेसबुक सकारात्मक और नकारात्मक पोस्ट का यूजर्स पर असर देखना चाहता था, इसलिए कुछ पोस्ट यूजर्स से छिपाई गईं और कुछ ज्यादा दिखाई गईं. रिसर्च पेपर के मुताबिक, 6,89,003 यूजर्स के साथ यह प्रयोग किया गया और उनकी न्यूज फीड में रद्दोबदल किए गए.
क्या जायज है फेसबुक की यह हरकत?
यूजर्स को दो ग्रुप में बांटा गया. एक ग्रुप को दिखने वाले 'नेगेटिव इमोशनल पोस्ट' की संख्या घटा दी गई और दूसरे
को दिखने वाली 'पॉजिटिव इमोशनल पोस्ट्स' कम कर दी गईं. फिर फेसबुक ने यह निगरानी की कि क्या इसका
असर यूजर के बर्ताव पर पड़ता है. दिलचस्प बात यह है कि इसका असर देखा भी गया. नेगेटिव पोस्ट ज्यादा देखने
वालों ने ज्यादातर 'नेगेटिव इमोशनल' पोस्ट ही कीं. असल मायनों में फेसबुक ने 'यूजर्स क्या देखेगा', यह नहीं बदला.
उसने एक एल्गॉरिदम के इस्तेमाल से आपके देखे जाने के लिए पोस्ट चुनीं. इसका इस्तेमाल 'यूजर का बिहेवियर'
बदलने के शक्तिशाली टूल के तौर पर किया गया.
हालांकि रिसर्च पेपर में यह बताया गया है कि इस तरह के 'मैनिपुलेशन' का जिक्र फेसबुक ने अपने इस्तेमाल की शर्तों में किया हुआ है. हालांकि कई लोग इसे सूचनाओं के प्रवाह को रोकने और ब्रेनवॉश की घटना भी मान रहे हैं.