दुनिया के वैसे लोग जो 21वीं सदी में भी इंटरनेट से वंचित हैं उनके लिए फेसबुक ने एक ऐतिहासिक परियोजना की शुरुआत की है. फेसबुक के मुताबिक यह परियोजना दुनिया के 10 प्रतिशत लोगों को इंटरनेट प्रदान करेगा जिनके पास इंटरनेट की सुविधा नहीं है. आईए जानते हैं क्या है यह परियोजना.
फेसबुक संस्थापक मार्क ज़ुकरबर्ग नें अकीला परियोजना के नाम से एक विशालकाए ड्रोन नुमा सोलर एयरक्राफ्ट का निर्माण कराया है जिसकी मदद से दूरदराज के ग्रामीण इलाकों इंटरनेट की सुविधा मुहैय्या कराया जा सकेगा. मार्क जुकरबर्ग ने इस एयरक्राफ्ट को बनवाने में ब्रिटेन के मशहूर एयरोस्पेस वैज्ञानिकों की मदद ली है. इस एयरक्राफ्ट का आकार बोइंग 737 विमान के पंख के बराबर होगा.
फेसबुक के इंजीनियरिंग डायरेक्टर ऑफ़ कनेक्टिविटी येल मैगिर के मुताबिक यह एयरक्राफ्ट जमीन से 18 से 27 किलोमीटर की उंचाई पर लगातार 90 दिनों तक काम करेगा. इतनी उंचाई पर आम हवाई जहाज नहीं उड़ सकते. ज्यादा ऊंचाई की वजह से इस एयरक्राफ्ट पर मौसम का कोई असर नहीं पड़ेगा. यह एयरक्राफ्ट 10 गीगाबाइट्स प्रति सेकेंड के स्पीड से इंटरनेट प्रदान करने में सक्षम होगा.
यह एयरक्राफ्ट देखने में किसी फिल्म का खुफिया बॉम्बर विमान जैसा लगता है पर इस ड्रोन में हाई स्पीड इंटरनेट प्रदान कराने के तमाम उपकरण मौजूद हैं. इंटरनेट उपलब्ध कराने वाले तमाम उपक्रण से लैस इस एयरक्राफ्ट का वजन 400 किलोग्राम होगा जो कि यूएस मिलिट्री के ड्रोन से काफी कम है.
फेसबुक के वाइस प्रेसिडेंट, इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर जय पारिख ने कहा कि हमारा मिशन पूरी दुनिया को इंटरनेट से जोड़ना है. इस परियोजना से इंटरनेट के मूलभूत ढांचे में बदलाव लाया जा सकेगा. फेसबुक के मुताबिक वह इस एयरक्राफ्ट का परीक्षण इस साल के अंत तक करेगा.
येल मैगिर ने कहा कि यह एयरक्राफ्ट इतनी उंचाई पर उड़ने वाला पहला विमान होगा इसलिए किसी भी सरकारी पेंच से बचने के लिए हमने अमेरिकी पॉलिसीमेकर के साथ मिलकर सारे गाइडलाईन बनाने में मदद ली है.
फेसबुक संस्थापक मार्क ज़ुकरबर्ग का मानना है कि इंटरनेट की उपलब्धता दुनिया भर में हो. इसी चाहत में उन्होंने इंटरनेट डाट ओआरजी परियोजना की शुरुआत की जिसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में फेसबुक और कुछ और ऐप्प फ्री में इस्तेमाल कर सकें.
फेसबुक के इस प्रोग्राम को गूगल के 'लून' परियोजना से प्रतिस्पर्धा करनी होगी क्योंकि गूगल ने भी सुदुर ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट की सुविधा मुहैया कराने के लिए हीलियम बलून नामक एक परियोजना की शुरुआत की है. इस परियोजना का मकसद भी उन लोगों तक इंटरनेट पहुंचाना है जहां इंटरनेट उपलब्ध नहीं है.
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