आने वाले वक्त में ट्रेन के सफर के तरीके और समय में बड़ा बदलाव आ सकता है. ये संभव होगा हाइपरलूप तकनीक से. Hyperloop एक ऐसा माध्यम है जिसे लंबी दूरी मिनटों में तय की जा सकती है, लेकिन फिलहाल कॉन्सेप्ट के तौर पर है. अमेरिकी कंपनी टेस्ला और स्पेस एक्स ने मिलकर इसे शुरू किया है. हाईपरलूप में एक सील की ट्यूब की सीरीज होती है जिसके जरिए किसी भी घर्षण और हवा के रूकावट के बिना लोगों को एक जगह से दूसरी जगह की यात्रा कराई जा सकती है. इसमें ट्रेन जैसे ही लोगों के लिए जगह होगी.
सबसे पहले 2012 में टेस्ला के फाउंडर एलोन मस्क ने इसका कॉन्सेप्ट रखा और तब से अभी तक इसका डेवलपमेंट चल रहा है.
टेस्ला के अधिकारी इसे भारत में लाना चाहते हैं और उन्होंने डेमोंस्ट्रेशन के जरिए बताया है कि दिल्ली से मुंबई की दूरी पैसेंजर्स घंटे भर में कर सकते हैं. यह हवाई जहाज से की जाने वाली यात्रा से फास्ट और उसके मुकाबले थोड़ा सस्ता भी होगा. हालांकि सरकार ने अभी इसके लिए इजाजत नहीं दी है.
एक साल तक कंपनी ने हाईपरलूप का लो स्पीड टेस्ट किया, लेकिन आखिरकार इसकी टेस्टिंग स्पीड से की गई है. 29 जुलाई को हाईपरलूप वन के प्रोटोटाइप पॉड को 500 मीटर लंबे टेस्ट ट्यूब में छोड़ा गया था. टेस्टिंग के दौरान हाईपर लूप वन ने लगभग 309 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ी. कंपनी का दावा है कि यह अब तक का सबसे तेज हाईपरलूप टेस्ट है.
कुछ महीने पहले हाईपरलूप वन का पहला परीक्षण किया गया था. कंपनी आगे भी इसकी टेस्टिंग जारी रखेगी. कंपनी ने एक रूट प्लान किया है और इसके मुताबिक अबु धाबी से दुबई के बीच इसे 804 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलाया जाए. उदाहरण के तौर पर 160 किलोमीटर की दूरी सिर्फ 12 मिनट में तय की जा सकेगी. यानी अगर भारत में इसकी शुरुआत हुई तो दिल्ली से आगरा आधे घंटे से भी कम में पहुंच सकते हैं.