दुनिया की सबसे बड़ी इंटरनेट कंपनी गूगल पर यह आरोप लगा है कि उसने इंटरनेट यूजर्स को अंधेरे में रखा और खतरनाक वायरस हार्टब्लीड का शिकार होने दिया.
ऑस्ट्रेलिया के अखबार सिडनी मॉर्निंग हेरल्ड ने यह खबर दी है. आईटी सिक्योरिटी से जुड़े एक्सपर्ट्स का मानना है कि गूगल स्वार्थी है और उसने दुनिया भर के इंटरनेट यूजर्स के हितों की उपेक्षा करके सिर्फ अपने बारे में सोचा. उसने सही समय पर उन्हें खतरनाक वायरस हार्टब्लीड के बारे में नहीं बताया जिसने लाखों इंटरनेट यूजर के खाते हैक करवा दिए. गूगल पर यह आरोप लग रहा है कि उसने सिर्फ अपने चुनिंदा ग्राहकों को ही इस वायरस के बारे में बताया है.
हार्टब्लीड एक खतरनाक वायरस है और यह ओपन सोर्स प्रोजेक्ट में था जिसके सॉफ्टवेयर में भारी त्रुटि थी. यह बात गूगल को मार्च में ही मालूम पड़ गई थी लेकिन उसने चुप्पी साध ली जिसका खामियाजा लाखों यूजर्स को भुगतना पड़ा.
सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स का कहना है कि गूगल ओपन सोर्स एनक्रिप्शन करने वाले सॉफ्टवेयर ओपन SSL के बारे में जानकारी होते हुए भी चुप्पी साधे रखी. उसके सॉफ्टवेयर में ही यह खतरनाक वायरस था और इसका इस्तेमाल दुनिया भर के पांच लाख वेबसाइट इंटरनेट ट्रैफिक एन्क्रिप्ट करने के लिए करते हैं. उनमें से कइयों ने कहा कि गूगल ने चुनींदा कंपनियों को इस वायरस के बारे में जानकारी दे दी. इस बात से इंटरनेट सिक्योरिटी के जानकार बेहद नाराज हैं.
इस वायरस के कारण दुनिया भर में लाखों ऑनलाइन खातों पर असर पड़ गया और उनकी सुरक्षा में सेंध लग गई. सारी दुनिया में इस वायरस की खबर का पता लगते ही आंतक फैल गया. कई बड़े वेबसाइटों ने इसके खिलाफ मोर्चाबंदी कर तो ली लेकिन अब तक उन्होंने अपने यूजर्स को पासवर्ड फिर से सेट करने को नहीं कहा है. सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स का कहना है कि उन्हें तुरंत पासवर्ड बदल देना चाहिए क्योंकि हैकिंग का खतरा बना हुआ है. गूगल ने यह बात याहू, अमेज़न, ट्विटर वगैरह को नहीं बताई जिससे उन सभी पर हैकिंग का खतरा मंडराने लगा.