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Google Chrome यूजर्स के लिए खुशखबरी! बिना पासवर्ड टाइप किए कर पाएंगे लॉगिन, जानें ये फीचर

Google Chrome पर एक नया अपडेट आया है. इससे यूजर्स को पासवर्ड टाइप करने की जरूरत नहीं होगी. यानी बिना पासवर्ड टाइप किए भी आप अकाउंट में लॉगिन कर सकते हैं. ये नया पास-की फीचर क्रोम के डेस्कटॉप और मोबाइल डिवाइस दोनों पर काम करता है. जानिए इसकी दूसरी डिटेल्स.

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Google Chrome के लिए आया नया फीचर
Google Chrome के लिए आया नया फीचर

Google ने Chrome यूजर्स के एक्सपीरिएंस को बढ़ाने के लिए नया फीचर लॉन्च किया है. इससे यूजर्स को पासवर्ड टाइप करने की जरूरत नहीं होगी. इसको लेकर कंपनी ने अक्टूबर में टेस्ट किया था. Google का ये इंटीग्रेटेड पासवर्ड-लेस सिक्योर लॉगिन प्रोसेस Chrome Stable M108 में देखा गया है. 

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ये नया पास-की फीचर क्रोम के डेस्कटॉप और मोबाइल डिवाइस दोनों पर काम करता है. इसके लिए आपका पीसी Windows 11 या macOS पर अपडेट होना चाहिए. जबकि मोबाइल का ऑपरेटिंग सिस्टम Android होना चाहिए. इसके अलावा गूगल यूजर्स को सिक्योरिटी की एंड्रॉयड से दूसरे डिवाइस पर सिंक करने की सुविधा दे रहा है. इसके लिए यूजर क्रोम के पासवर्ड मैनेजर या थर्ड पार्टी ऐप की मदद ले सकते हैं. 

यूजर्स को मिलेगा ईजी और सिक्योर एक्सेस

Passkeys एक यूनिक डिजिटल आइडेंटिटी है जो आपके डिवाइस पर स्टोर रह सकता है. ये आपके पीसी, फोन या दूसरे डिवाइस पर USB सिक्योरिटी की तरह रह सकता है. इससे यूजर्स को ईजी और सिक्योर एक्सेस मिलता है.

Passkeys से यूजर्स वेबसाइट या एप्लीकेशन में आसानी से लॉगिन कर सकते हैं. इसके लिए डिवाइस के बायोमैट्रिक या दूसरे सिक्योर वेरिफिकेशन मैथड का इस्तेमाल किया जाता है. यानी यूजर को पासवर्ड टाइप करने की जरूरत नहीं होगी. 

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डेस्कटॉप पर भी कर सकते हैं इस्तेमाल

गूगल ने अपने ब्लॉग पोस्ट में बताया है कि डेस्कटॉप पर आप Passkeys को पास के मोबाइल डिवाइस से भी इस्तेमाल कर सकते हैं. पासकीज को इंडस्ट्री स्टैंडर्ड के अनुसार बनाया गया है, इस वजह से आप इसके लिए एंड्रॉयड या आईओएस डिवाइस का इस्तेमाल कर सकते हैं. 

पास की से केवल सिक्योर तरीके से जनरेट किया गया कोड साइट के साथ एक्सचेंज होता है. इस वजह से पासवर्ड जैसा कुछ भी लीक होने की संभावना नहीं रहती है. एंड्रॉयड क्रोम पर पास कीज को Google Password Manager में स्टोर किया जाता है. ये पास की को यूजर के एंड्रॉयड डिवाइस पर सिंक करता रहता है जिसपर सेम गूगल अकाउंट को लॉगिन किया गया है. 

पास की को पासवर्ड से बेहतर इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि इससे यूजर्स के पास ऐप और वेबसाइट में बायोमैट्रिक सेंसर से लॉगिन करने का ऑप्शन मिल जाता है. इससे यूजर्स को पासवर्ड याद रखने का झंझट नहीं रहता है. 

 

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