गूगल अर्थ एक ऐसा टूल या सॉफ्टवेयर है जिसके जरिए दुनिया के किसी कोने में पहुंच सकते हैं. सच में? नहीं, बिल्कुल भी नहीं. क्योंकि गूगल मैप पर ने कई जगहें आपसे छुपा रखी हैं या यो कहें कि उन्हें सुरक्षा कारणों से लोगों को नहीं दिखाया जाता है. अमेरिका, चीन, रूस और इजराइल जैसे देशों की कई सीक्रेट जगहें मैप से ब्लर कर दी गई हैं ताकि उसका मैप न बनाया जा सके. लेकिन क्या गूगल मैप के लिए भारत की संवेदनशील जगहों की सिक्योरिटी भी ऐसे मायने रखती है जितना अमेरिका और चीन की? क्या भारत सरकार ने गूगल से संवेदनशील जगहों को ब्लर करने को कहा है?
एक तरफ नीदरलैंड्स के Volkel Airbase को गूगल अर्थ से पूरी तरह ब्लर कर दिया गया है तो दूसरी तरफ पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमलों के बाद भी इस एयरबेस को गूगल अर्थ के जरिए आसानी से देखा जा सकता है.
सिर्फ पठानकोट ही नहीं बल्कि हिंडन एयरबेस और आदमपुर एयरबेस गूगल अर्थ के जरिए फुल क्वॉलिटी में देखे जा सकते हैं. विकिलीक्स के मुताबकि नीदरलैंड्स के इस एयरबेस पर अमेरिका ने कथित तौर पर 22 कोल्ड वॉर ऐरा न्यूक्लियर वेपन रखे हैं.
पठानकोट अटैक के बाद दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचीका भी दायर की गई जिसमें कहा गया, 'डिफेंस से जुड़े संवेदनशील जगहों को गूगल मैप से हटा लिया जाए'.
याचीका में कहा गया है, 'मुमकिन है आतंकी इस एयरबेस के ऑनलाइन मैप के जरिए पहुंचे हों लेकिन सरकार गूगल मैप से संवेदनशी जगहों को ब्लर कराने में नाकामयाब रही है'
इस पिटिशन में गूगल द्वारा भारत में आयोजित कराए गए मैपाथॉन की भी आलोचना की गई. क्योंकि इस इवेंट के विनर विशाल सैनी ने ही पठानकोट शहर की मैपिंग की थी जिसमें एयर फोर्स स्टेशन भी शामिल है.
हालांकि गूगल के मैपाथॉन पहले भी सवालों के घेरे में रहा है. 2013 में सीबीआई ने पठानकोट मिलिट्री एयरफोर्स स्टेशन की संवेदनशील इमेज पब्लिश करने को लेकर मैपाथॉन इवेंट की जांच की गई थी.
दी हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक असोसिएशन ऑफ जियोस्पेजन इंडस्ट्रीज के प्रेसिडेंट संजय कुमार ने यह सवाल उठाया है, 'गूगल मैप पर उन संवेदनशील लोकेशन को कैसे ब्लॉक कर सकता है जिसके बारे में सरकार ने उन्हें लिस्ट भी नहीं दी है'
ऐसा नहीं है कि भारत ने कभी संवेदनशील मैप को ब्लर करने को न कहा हो, लेकिन ऐसा होता हुआ नहीं दिखता है. एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार के आला अधिकारियों कुछ साल पहले मिलिट्री से जुड़े संवेदनशील जगहों को मास्क करने के लिए आवेदन किया था. लेकिन अपनी पॉलिसी का हवाला देते हुए गूगल ने एक भी आवेदन स्वीकार नहीं किया है.
लेकिन सवाल यह भी है अगर गूगल अमेरिका और चीन की मिलिट्री से जुड़े संवेदनशील जगहों को अपने मैप से ब्लर कर सकता है तो भारत के क्यों नहीं?
ये हैं वो जगहें जिसे गूगल ने अपने मैप से ब्लर कर रखा है.
Volkel Airbase Netherlands
यह जगह का मैप गूगल अर्थ पर नहीं मिलेगा. इसे पुरी तरह से छुपाया गया है यानी इमेज ब्लर है. विकिलीक्स के मुताबकिक यहां अमेरिका ने कथित तौर पर 22 कोल्ड वॉर ऐरा न्यूक्लियर वेपन रखे हैं.
Roses Spain
यहां अमेरिकी एयर फोर्स के 875वें एयरक्राफ्ट कंट्रोल और वॉर्निंग स्कॉर्ड्रन का बेस बताया जाता है. इसे भी गूगल अर्थ पर आप देख नहीं पाएंगे.
नेशनल सिक्योरिटी ब्यूरो चीन ताइवान
यह चीन की नेशनल सिक्योरिटी का हेडक्वॉर्टर है. यह वहां के मुख्य इंटेलिजेंस गैदरिंग ऑर्गनाइजेशन के तौर पर यूज किया जाता है.
इजराइल - मैप पर इजराइल का एरियल व्यू तो साफतौर पर दिखता है, लेकिन आप इसे जूम करेंगे तो यहां कम रिजोलुशन की इमेज मिलेगी. जबकि दूसरे देशों की इमेज साफ होती हैं
NATO airbase Gelsenkirchen - नॉर्थ अट्लांटिक ट्रीटि ऑर्गनाइजेशन का एयरबेस है जो ब्लर है. हालंकि माइक्रोसॉफ्ट के बिंग मैप पर यह देखा जा सकता है.
Heliport de Cartagena, Spain
इस लोकेशन के बारे में ज्यादा कोई जानकारी नहीं है. यह एक खुले मैदान जैसा दिखता है, लेकिन गूगल अर्थ पर यह ब्लर किया हुआ है.
US Mexico border Hudsepeth country Texas
15 माइल अमेरिकी मैक्सिकन बॉर्डर को डिस्टॉर्ट कर दिया गया है ताकि लोग देख न सकें
भारत के एयरबेस और मिलिट्री से जुड़ी दूसरी जगहों को गूगल अर्थ के जरिए हाई क्वॉलिटी में देखा जा सकता है.
हिंडन एयरबेस
पठानकोट एयरबेस
अदमपुर एयरबेस