पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा एक मोबाइल ऐप गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद है. इस ऐप का नाम 'अच्छी बातें' रखा गया है लेकिन इसके मंसूबे आतंकी हैं. इस ऐप को गूगल प्ले स्टोर पर 'Educational App' की कैटेगरी में रखा गया है और दावा इस्लामिक शिक्षा देने का है, लेकिन इसके जरिए मासूम युवाओं को भड़काने की कोशिश की जा रही है.
'अच्छी बातें' ऐप सीधे तौर पर जैश से लिंक नहीं हैं, लेकिन इसके तार जैश सरगना मौलाना मसूद अजहर से जुड़े हुए हैं. इस ऐप में एक्सटर्नल वेब पेज भी लिंक हैं जहां मसूद अजहर और उसके साथियों से जुड़ी किताबें, साहित्य और ऑडियो मैसेज हैं. इनके जरिए युवाओं को आतंक की ओर धकेलने की कोशिश हो रही है.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने 2001 में जैश-ए-मोहम्मद पर प्रतिबंध लगा दिया था. अमेरिका ने भी इसे एक विदेशी आतंकी संगठन घोषित कर रखा है.
इस मोबाइल ऐप को 4 दिसंबर 2020 को एंड्रॉयड यूजर्स के लिए लॉन्च किया था और इसे अब तक 5 हजार से ज्यादा बार डाउनलोड किया जा चुका है. पाकिस्तान के कई इस्लामिक धर्मगुरुओं के कोट, मैसेज और किताबें मौजूद हैं. इस ऐप में मौलाना तारिक जामील से लेकर राशिद अहमद तक का कंटेंट है.
मसूद अजहर के ऑडियो मैसेज
ऐप के डेवलपर्स ने एक ब्लॉग पेज भी बनाया है जो ऐप के डिस्क्रिप्शन पेज से हाइपरलिंक है. इस वेब पेज पर मसूद अजहर का छद्म नाम 'सादी' लिखा हुआ है. इसी पेज दो एक्सटर्नल पेज भी लिंक किए गए हैं. इनमें मसूद अजहर के ऑडियो मैसेज हैं जो उसने 2001 से 2019 के बीच रिकॉर्ड हुए थे. साथ ही अजहर के छोटे भाई और जैश के ऑपरेशनल हेड अब्दुल रौफ असगर और उसका करीबी साथी तल्हा सैफ की रिकॉर्डिंग भी है. एक पेज पर मसूद अजहर की लिखी कई किताबें मौजूद हैं.
इंडिया टुडे के लिए इन्फोर्मेशन सिक्योरिटी लैब Innefu Labs ने जब इस ऐप का टेक्नीकल एनालिसिस किया तो पाया कि इसका सर्वर जर्मनी में है. Innefu Labs के को-फाउंडर तरुण विग ने बताया, 'ये ऐप जर्मनी के कोन्ताबो डेटा सेंटर के सर्वर से कनेक्ट है.' उन्होंने बताया कि ये कंपनी कॉपीराइट क्लेम्स को नजरअंदाज करने के लिए खबरों में बनी रहती है. विग ने बताया कि ये ऐप कई तरह की परमिशन मांगता है जो इसकी फंक्शनलिटी से अलग है. आमतौर पर ऐसा तब किया जाता है जब आप और फंक्शनलिटी जोड़ना चाहते हैं.
उन्होंने बताया कि ये ऐप चीन के UC ब्राउजर ऐप की तरह ही काम करता है, जिसे भारत में बैन कर दिया गया था. एक बार इंस्टॉल हो जाने के बाद ये ऐप नेटवर्क और जीपीएस लोकेशन (अगर जीपीएस एक्टिव है) को एक्सेस करता है. जैसे ही यूजर अपना फोन चालू करता है, वैसे ही ये ऐप भी चालू हो जाती है और बैकग्राउंड में चलती रहती है. इसके जरिए ये फोन की लोकेशन, नेटवर्क, स्टोरेज, मीडिया और दूसरी फाइलों को भी एक्सेस कर सकती है.
तरुण विग कहते हैं कि इस तरह के ऐप के बारे में जानकारी मिलते ही तुरंत इसकी सूचना गूगल को दी जानी चाहिए ताकि इसे प्ले स्टोर से हटाया जा सके. साथ ही यूजर्स को भी ऐसी ऐप के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए.