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एक बार फिर से मंडराया DNSChanger मैलवेयर का खतरा, 2012 में 1 मिलियन डिवाइस को किया था प्रभावित

रिसर्चर्स के मुकाबिक अटैकर्स इन दिनों ऑनलाइन टार्गेट यूजर्स को DNSChanger के जरिए निशाना बना रहे हैं. डीएनएसचेंजर नाम के इस किट को इमेज विज्ञापन में दिए जाने वाले फोटो में हाइड करके लोगों तक पहुंचाया जा रहा है.

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आप सिक्योर हैं ये समझने की भूल न करें
आप सिक्योर हैं ये समझने की भूल न करें

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आप कंप्यूटर यूज कर रहे हैं और राउटर के जरिए कनेक्टेड हैं. आपका कंप्यूटर सिक्योर भी है, एंटी वायरस डला हुआ है और किसी ऐसे लिंक को क्लिक नहीं करते जिस पर संदेह है. इस स्थिति में भी अगर आपका कंप्यूटर हैक हो जाए या फिर आपकी ईमेल आईडी का पासवर्ड किसी और को पता चले तो आप हैरान हो जाएंगे. लेकिन ऐसा संभव है.

संभव इसलिए क्योंकि आप राउटर से कनेक्टेड हैं और आपको नहीं जाहिर है सिर्फ आपका कंप्यूटर या डिवाइस ही उस राउटर कनेक्ट नहीं होगा, बल्कि कई कंप्यूटर या लैपटॉप भी उससे कनेक्ट होंगे. आप सिक्योर हैं, लेकिन अगर उस राउटर से इंटरनेट चला रहे हैं तो आप हैक हो सकते हैं. क्योंकि आप नहीं तो कोई और गलती से किसी ऐसा विज्ञापन वाले पॉप अप को क्लिक करेगा जिसमें डीएनएस चेंजर होगा और हैक हो जाएंगे.

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समझ आया तो ठीक है, लेकिन आप अबतक नहीं समझें तो यह समझ लें कि किसी विज्ञापन वाले पॉप अप को क्लिक करने से बचें. क्योंकि आप तो हैक होंगे ही और साथ ही राउटर से जुड़े सभी डिवाइस के यूजर्स भी हैक हो जाएंगे. कुछ ही दिन पहले हैकर न्यूज ने एक रिपोर्ट पब्लिश की थी जिसमें बैनर एडवर्टाइजिंग वाले खतरनाक कोड के बारे में बाताया गया था जो हाई प्रोफाइल न्यूज वेबसाइट में मिलते हैं.

रिसर्चर्स के मुकाबिक अटैकर्स इन दिनों ऑनलाइन टार्गेट यूजर्स को DNSChanger के जरिए निशाना बना रहे हैं. डीएनएसचेंजर नाम के इस किट को इमेज विज्ञापन में दिए जाने वाले फोटो में हाइड करके लोगों तक पहुंचाया जा रहा है.

अगर आपको याद हो तो 2012 में इसी DNSChanger ने लाखों कंप्यूटर्स को प्रभावित किया था . DNSChanger प्रभावित कंप्यूटर्स का डीएनएस बदल देता है जो इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर द्वारा दिए गए डीएनएस से अलग होता है. इससे अटैकर्स डिवाइस को कंट्रोल में ले सकते हैं.

इसके बाद प्रभावित कंप्यूटर के यूजर्स किसी वेबसाइट को ओपन करता है तो वो असली वेबसाइट की जगह अटैकर्स के जरिए किसी ऐसी वेबसाइट पर ले जाया जाता है जो इंफेक्टेड होती है. इतना ही नहीं हैकर्स यहां अपनी मर्जी कोई विज्ञापन दिखा सकते हैं.

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एक बार इस प्रभावित विज्ञापन को आपने क्लिक किया तो आपके साथ ही आपके राउटर भी प्रभावित हो जाता है और मैलवेयर अपने आप को अटैकर द्वारा कंट्रोल किए जाने वाले डीएनएस सर्वर में बदल लेता है. इसके जरिए इससे दूसरे डिवाइस पर भी हैकर्स का कब्जा हो सकता है.

रिसर्चर्स ने कुछ ऐसे राउटर्स की लिस्ट जारी की है जो कमजोर हैं इसस पीड़ित भी हैं. हालांकि फिलहाल यह साफ नहीं है कि कितने लोग और डिवाइस इससे प्रभावित हैं, लेकिन सिक्योरिटी फर्म का कहना है कि काफ पहले यह मैलवेयर 1 दिन में 1 मिलियन कंप्यूटर्स को अपनी चपेट लिया था.

इनसे बचने के लिए अपने राउटर का फर्मवेयर यानी सॉफ्टवेयर समय समय पर अपडेट करते रहें. क्योंकि इसी अपडेट के जरिए कंपनी सिक्योरिटी पैच देती है जो आपके लिए जरूरी है.

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